
नाबालिग पीड़िता को शादी का प्रलोभन देकर शाररिक शोषण करने वाले आरोपी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास फॉस्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो एक्ट) सारंगढ द्वारा आरोपी उमाशंकर उर्फ कुसु को 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया गया।

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
आज दिनाँक 12/12/2025 को न्यायालय माननीय अपर सत्र न्यायाधीश फॉस्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो एक्ट) सारंगढ़ श्री अमित राठौर के न्यायालय में थाना भटगांव के अपराध जो कि विशेष आपराधिक प्रकरण अंतर्गत पॉक्सो एक्ट से संबंधित है में आरोपी उमाशंकर उर्फ कुसु पिता सालिकराम यादव निवासी ग्राम गिरवानी थाना भटगांव जिला-सारंगढ़ बिलाईगढ़ को जो कि नाबालिक बालिका उम्र – 14 वर्ष 4माह, जो अपने स्कूल पढ़ने के लिए जा रही थी
उसे आरोपी के द्वारा स्कूल छोड़ने की बात बोलकर अपनी मोटरसाइकिल में बैठ कर ले गया था और नाबालिग पीड़िता को शादी करने की बात बोलकर उसके साथ निरंतर जबरन शारीरिक संबंध बनाया था इसके संबंध में पीड़ित बालिका के पिता के द्वारा थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया गया था, जिस पर थाना – भटगांव मे अपराध पंजीबद्ध कर माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था ।
पीडित बालिका की उम्र 18 वर्ष से कम होने पर प्रकरण लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का पाये जाने से माननीय अपर सत्र न्यायाधीश फॉस्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट सारंगढ़ के द्वारा मामले का त्वरित विचारण कर सभी साक्ष्यों एवं गवाहों के बयान पर विचार करने के बाद आज आरोपी को भा.न्याय.स. की धारा 137(2) के तहत 05 वर्ष के सश्रम कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया गया है एवं धारा 87 भा.न्याय.स. के तहत 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माना तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4 (2) में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माना एवं धारा-5 (ठ)/6 में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया गया है।
अदालत के द्वारा मामले की सवेदनशीलता को देखते हुए पीडिता के शारीरिक एवं मानसिक क्षति एवं पुनर्वास हेतु लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के तहत राज्य शासन को प्रतिकर भुगतान किये जाने की अनुशंसा की गई है।लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सुरक्षा प्रदान करता है यह फैसला बाल सुरक्षा एवं यौन अपराध के खिलाफ राज्य शासन एवं न्याय पालिका की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही लैगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन को प्रभावित करता है, इस प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रफुल्ल कुमार तिवारी ने अभियोजन का पक्ष रखते हुए पैरवी की।



