जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

जल आवर्धन बना जनता के लिए मुसीबत, सारंगढ़ की सड़कों की खुदाई से फैली अव्यवस्था – ठेकेदार व प्रशासन पर उठे सवाल

जल आवर्धन बना जनता के लिए मुसीबत, सारंगढ़ की सड़कों की खुदाई से फैली अव्यवस्था – ठेकेदार व प्रशासन पर उठे सवाल

जल आवर्धन बना जनता के लिए मुसीबत, सारंगढ़ की सड़कों की खुदाई से फैली अव्यवस्था – ठेकेदार व प्रशासन पर उठे सवाल

सारंगढ़ | विशेष रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “जल आवर्धन योजना” का उद्देश्य शहर भीतर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना है, लेकिन सारंगढ़ क्षेत्र में यह योजना जनता के लिए वरदान कम और मुसीबत ज्यादा बन गई है। पाइपलाइन बिछाने के नाम पर शहर की अधिकांश सड़कों को बेतरतीब ढंग से खोद दिया गया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सारंगढ़ की अधिकांश सडके रोज पाईप लाईन के लिए खोदी जा रही हैँ, लेकिन उन्हें फिर से पाटा नही जा रहा है जिसके कारण नगर वासी परेशान हैँ।
सड़कों पर गड्ढे, धूल और दुर्घटनाएं
जहां देखो वहां खुदी हुई सड़कें, उखड़े हुए डामर, और धूल का गुबार – यही अब सारंगढ़ की पहचान बनती जा रही है। रोजाना कई दोपहिया वाहन चालकों के फिसलने और चोटिल होने की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन प्रशासन की नींद अब तक नहीं टूटी है। वहीं इस मामले मे युवा मोर्चा ने ठेकेदार और सम्बंधित विभाग को चेताया है और कहा है की जल्द सुधार नहीं हुआ तो होगा आंदोलन ही एकमात्र उपाय होगा।
भाजपा युवा मोर्चा के स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने प्रशासन और ठेकेदार को चेताते हुए कहा है कि यदि जल्द ही सड़कों की मरम्मत नहीं की गई और अव्यवस्था को दूर नहीं किया गया, तो वे सड़क पर उतरकर जोरदार आंदोलन करेंगे।

सत्ताधारी भाजपा पर भी उठे सवाल
अब सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या सत्ताधारी भाजपा ने भी ठेकेदार के साथ ‘सेटिंग’ कर ली है? जनता यह जानना चाहती है कि करोड़ों की योजना के बाद भी बुनियादी काम इतने लापरवाही से क्यों हो रहा है? क्या जवाबदेही तय नहीं की जाएगी? गौर करने योग्य बात है की सारंगढ़ भाजपा नगर मंडल की टीम आखिर क्यों इस गंभीर मुद्दे पर आवाज नहीं उठा रही है।

प्रशासन और विभागों की निष्क्रियता शर्मनाक
जनता अब यह जानना चाहती है कि शुद्ध जल देने की योजना कब सड़कों को सुरक्षित बनाएगी? आखिर क्यों आम लोगों की जान और सुविधा से खिलवाड़ किया जा रहा है? जल आवर्धन योजना का उद्देश्य शुद्ध पेयजल पहुंचाना है, न कि सड़कों को तहस-नहस कर देना। यदि इस स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह परियोजना एक बड़े जनआक्रोश का कारण बन सकती है, जिसकी ज़िम्मेदारी प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और ठेकेदारों पर होगी।

 

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