
सरसीवां के मंधाईभाठा में सरपंच और सचिव पर फर्जी प्रस्ताव से राशि आहरण का आरोप?
6 दिन से शिकायत के बावजूद कार्रवाई शून्य
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला, जनपद पंचायत बिलाईगढ़ के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत
मंधाईभाठा में पंचायत व्यवस्था और वित्तीय पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सरपंच दीनानाथ जाटवर एवं सचिव श्यामसुंदर अनंत पर बिना विधिवत पंचायत बैठक बुलाए, फर्जी प्रस्ताव तैयार कर, सरकारी राशि का आहरण करने का गंभीर आरोप लगा है।प्राप्त जानकारी के अनुसार, 05 जून 2025 को पंचायत निधि के अंतर्गत सीसी रोड निर्माण की प्रथम किस्त, पूर्व पंचायत पदाधिकारियों का मानदेय, और जनसंपर्क मद की राशि का मनमाना आहरण किया गया। आरोप है कि इस कार्य के लिए न तो कोई बैठक आयोजित की गई, न ही पंचों की सहमति ली गई, और न ही किसी पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया गया।
“बैठक नहीं, प्रस्ताव फर्जी, आहरण असंवैधानिक”
ग्राम पंचायत के कुल 19 वार्डों में से 12 पंचों ने लिखित शिकायत कर बताया कि इस आहरण के लिए पंचायत बैठक नहीं बुलाई गई थी। बल्कि सरपंच ने सचिव पर दबाव डालकर कागजों में फर्जी प्रस्ताव तैयार कर राशि का आहरण कर लिया। यह पूरा प्रकरण पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40(1) के प्रतिकूल है, जिसके तहत जनप्रतिनिधि द्वारा पद का दुरुपयोग दंडनीय अपराध माना जाता है।
अशोभनीय भाषा और धमकियों का भी आरोप
शिकायतकर्ता पंचों ने यह भी आरोप लगाया है कि पंचायत की बैठकों में सरपंच गाली-गलौज एवं धमकी देते हैं। उनका कथित बयान था:मैं बिना प्रस्ताव भी राशि निकाल लूंगा, जो करना है कर लो, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।" यह कथन न केवल असंवैधानिक है, बल्कि पंचायत की लोकतांत्रिक गरिमा के लिए भी अपमानजनक है।
6 दिन से शिकायत लंबित, प्रशासनिक चुप्पी पर जनता आक्रोशित इस गंभीर मामले की शिकायत 6 दिन पहले की जा चुकी है। शिकायत सीधे तौर पर जिला कलेक्टर, सारंगढ़-बिलाईगढ़, अनुविभागीय अधिकारी, बिलाईगढ़ तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत बिलाईगढ़ को किया गया है। किन्तु अब तक कोई स्पष्ट जवाब, न कोई जांच
समिति, न ही स्थल निरीक्षण जैसी कोई कार्रवाई प्रारंभ हुई है। इससे ग्रामीणों और पंचों में रोष गहराता जा रहा है।
क्या शिकायतकर्ताओं को मिलेगा न्याय?
अब सवाल उठता है कि क्या लोकतांत्रिक प्रणाली में चुने गए पंचों की आवाज़ प्रशासन तक
पहुंचेगी? क्या सरपंच जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को कानून के दायरे में लाया जाएगा? या फिर यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह धूल फांकता रहेगा?
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों और शिकायतकर्ताओं की प्रमुख माँगें हैं कि तत्काल निष्पक्ष जांच समिति गठित की
जाए। आहरित राशि की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। दोषी पाए जाने पर पद से हटाने की कार्रवाई की जाए। सरपंच और सचिव को जांच पूरी होने तक निलंबित किया जाए। पंचों को दी जा रही धमकियों के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा दी जाए। ग्राम पंचायत मंधाईभाठा का यह मामला न सिर्फ एक पंचायत का मुद्दा है, बल्कि पूरे पंचायत तंत्र की पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक व्यवहार पर एक बड़ी परीक्षा है। अगर प्रशासन समय रहते हस्तक्षेप नहीं करता, तो यह जनता के भरोसे और लोकतंत्र की नींव को हिला सकता है।
अब देखना यह है कि क्या शासन-प्रशासन इस मामले को गंभीरता से
लेकर न्याय दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाएगा, या फिर शिकायतकर्ता पंच और ग्रामीण अन्य लोकतांत्रिक विकल्प—जैसे आंदोलन या जनदर्शन—की ओर अग्रसर होंगे।