जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़ : जशपुरकछार में महानदी डूबान जमीन मुआवजा घोटाले का जिन्न आ सकता है बाहर?

सारंगढ़ : जशपुरकछार में महानदी डूबान जमीन मुआवजा घोटाले का जिन्न आ सकता है बाहर?

सारंगढ़ : जशपुरकछार में महानदी डूबान जमीन मुआवजा
घोटाले का जिन्न आ सकता है बाहर?

साराडीह बैराज के निमार्ण के समय हुआ था बड़ा घोटाला,
भारतमाला परियोजना जैसे बड़ा मुआवजा घोटाला सारंगढ़ में भी
हुआ
मदनपुर कोल्डफील्ड लिमिटेड कंपनी ने लिया था 154 किसानो
से 501 एकड़ जमीन खरीदी थी,
मुआवजा के तौर पर मिला है 44 करोड़ से अधिक राशी?
राजस्व अधिकारियो की मिलीभगत से किया गया था घोटाला

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला बनने के बाद और भारतमाला परियोजना मे जमीन अधिग्रहण मे मुआवजा के मामले राजस्व अधिकारियो से मिलीभगत करके करोड़ो रूपये का हेराफेरी का मामला प्रदेश में अभी गर्म है। ऐसे मे सारंगढ़ में साराड़ीह बैराज के नाम पर डूबान जमीन को औने-पौने दर पर खरीदी करके करोड़ो रूपये का मुआवजा लेने का भी मामला का जिन्न भी

बाहर आ सकता है। डूब प्रभावित किसानो से औने-पौने दाम पर जमीन खरीद कर मदनपुर कोल्डफील्ड लिमिटेड़ कंपनी रायपुर की कंपनी ने 154 किसानो से 501 एकड़ जमीन खरीदी कर मुआवजा के तौर पर 44 करोड़ रूपये से अधिक की राशी का मुआवजा प्राप्त किया था जिस पर काफी बवाल भी हुआ था किन्तु राजस्व अधिकारियो की मिलीभगत से इस घोटाला को अंजाम दिया गया था। अब इस मामले मे भी जांच की मांग उठने लगी है।

सारंगढ़ के महानदी किनारे के गांव जशपुरकछार में किसानो की डूबान जमीन को रायपुर की कंपनी मदनपुर
कोल्डफील्ड लिमिटेड के आलोक चौधरी के द्वारा महानदी में डूबान मे आने वाली जमीन को औने-पौने दर पर खरीदी किया था। राजस्व अधिकारियो और उपपंजीयक के मिलीभगत करके यहा पर डूबान जमीन को रातोरात राजिस्ट्री किया था। बताया जा रहा है कि 154 किसानो से 203 हेक्टेयर यानि 501 एकड़ कृषि भूमि इस कंपनी के द्वारा लिया गया। वही मेसर्स विमल अग्रवाल के द्वारा 51 एकड़ से अधिक भूमि औने-पौने दर पर खरीदी किया गया। इस दोनो भू-स्वामियो ने महज 8 हजार रूपये एकड़ के दर से भूमि को क्रय किया था और साराडीह में बैराज बनने के बाद मदनपुर कोल्डफील्ड लिमिटेड़ कंपनी को 44 करोड़ रूपये से अधिक का मुआवजा मिला है। किसानो के डूबान मे आ चुकी जमीन को सतही जमीन बताकर करोड़ो रूपये का मुआवजा प्राप्त करने के लिये यहा राजस्व अधिकारियो की मिलीभगत करके बड़े स्तर पर घोटाला को अंजाम दिया गया था उस समय यहा पर तहसीलदार के तौर पर शशीकांत कुर्रे पदस्थ थे

जो कि भारतमाला परियोजना के मुआवजा घोटाले मे भी मुख्य खिलाड़ी के तौर पर सामने आये है। ऐसे मे प्रदेश में हो रहे मुआवजा घोटाले की तरह सारंगढ़ में भी हुआ महानदी में साराडीह बैराज में मुआवजा घोटाला की जांच होने की मांग कई मंचो से उठ रही है। यह मामला विधानसभा में भी गर्मजोशी के साथ उठा था और जांच की घोषणा हुई थी किन्तु जांच के स्थान पर भू-स्वामी कंपनियो को मुआवजा राशी का भुगतान कर दिया गया जिससे बड़े स्तर पर इस घोटाले को अंजाम दिये जाने की चर्चा गर्म है। दरअसल साराडीह बैराज के निर्माण के दौरान ही सारंगढ़ के जशपुर कछार ग्राम में जमीन के खरीद-बिक्री का खेल शुरू हो गया था। इतने बड़े पैमाने पर डूबान क्षेत्र में जमीन खरीदी को लेकर उस दौरान भी सवाल उठे थे लेकिन राजस्व अधिकारियों ने इसको गंभीरता से नहीं मिला। किसानों ने दो साल पहले आरोप लगाया था कि जशपुर कछार क्षेत्र के करीब 154 किसानों के नाम पर दर्ज 203.342 हेक्टेयर जमीन को रायपुर की मदनपुर साउथ कोल कंपनी के डायरेक्टर आलोक चौधरी के नाम पर फर्जी तरीके से क्रय किया गया है। किसानो ने इसको लेकर प्रशासन को भी पूरे मामले से अवगत कराया है। लिखित तौर पर प्रशासन को दिए गए ज्ञापन के माध्यम से यह अवगत कराया गया है कि कंपनी के अधिकारियो ने ग्रामीणों को बैराज के डूबान क्षेत्र में आने वाले जमीन में जमा होने वाले रेत के उठाव के नाम पर एग्रीमेंट करना दिखाते हुए अपने नाम पर रजिस्ट्री करा लिया गया। जिसके कारण किसानों को न तो भू-अर्जन की भनक लगी न ही मुआवजा राशि की कोई जानकारी मिली। बाद में जानकारी मिलने पर पता चला कि जमीन तो कंपनी के नाम पर है और मुआवजा राशि भी जारी हो चुका है।

अपने ही आदेश की अनदेखी कर दिया मुआवजा

तत्कालीन एसडीएम नंदकुमार चौबे ने इस मामले में 26 अप्रैल 2021 को प्रकरण का निराकरण सक्षम न्यायलय द्वारा किए जाने के बाद ही मुआवजा का भुगतान किए जाने का आदेश जारी किया, लेकिन नवपदस्थ एसडीएम ने इस मामले में उक्त आदेश को अनदेखा करते हुए कंपनी को 44 करोड़, 86 लाख , 25873 रुपए के मुआवजा का चेक जारी कर दिया। साराडीह बैराज के धारा का प्रकाशन होने के बाद भी रजिस्ट्री गौर करने वाली बात यह है कि साराडीह बैराज को लेकर धारा का प्रकाशन होने के बाद भी जमीन की खरीदी की गई है। ग्रामीणों के बताए अनुसार रात में पंजीयन विभाग का कार्यालय गांव में शिविर लगाकर काम किया है। इससे यह साफ होता है कि कंपनी के अधिकारियों के साथ राजस्व व पंजीयन विभाग का भी सांठ-गांठ रहा है।

मुआवजा घोटाले का जिन्न फिर निकल सकता है बाहर?

प्रदेश में भारतमाला परियोजना के नाम पर जमीन अधिग्रहण के नाम पर हुआ करोड़ो रूपये के भूमि मुआवजा घोटाला को लेकर जिस प्रकार से सरकार गंभीरता दिखा रही है उससे लग रहा है कि सारंगढ़ के महानदी डूबान जमीन में मुआवजा मामले का जिन्न भी बाहर निकल सकता है। राजस्व अधिकारियो की मिलीभगत से कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिये छ.ग.सिलिंग एक्ट का नियमो का उल्लंघन करके कंपनी के नाम पर 501 एकड़ से अधिक की भूमि का राजिस्ट्री कर दिया गया बदले मे किसानो को एक रूपये का भी मुआवजा नही मिला। पूरा मुआवजा कंपनी को ही दे दिया गया। अब देखना है कि विष्णु देव की सरकार इस मामले में क्या पहल करती है।

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