
बुदबुदा पंचायत में लाखों की गड़बड़ी का आरोप,पंचायत भवन बन गया खंडहर!
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/साल्हेओना,
सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को लाखों रुपये की राशि इसलिए दी जाती है ताकि गांवों में मूलभूत सुविधाएं विकसित हो सकें, लोगों को साफ पानी, सड़क, रोशनी, स्वच्छता और अन्य सुविधाएं मिल सकें। लेकिन जब जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग खुद ही गडबडी करने में लिप्त हो जाएं, तो गांव का विकास रुकना तय है। ऐसा ही मामला सामने आया है । जनपद पंचायत बरमकेला के अंतर्गत ग्राम पंचायत बुदबुदा का मामला है। इस पंचायत में बीते पांच वर्षों में विकास की राशि का खुलकर दुरुपयोग किया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत बुदबुदा के तत्कालीन सरपंच शिवानी राम सिदार
और 2 पंचायत सचिवो की मिलीभगत से गांव की जनता के नाम पर जारी की गई राशि से लाखों रुपये खर्च दिखाकर जमकर गडबडी किया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि कागजों में 37,70,019 की राशि विकास कार्यों पर खर्च होना बताया गया है। लेकिन धरातल पर इसका नतीजा सिर्फ जर्जर पंचायत भवन और अधूरी योजनाएं हैं।
पांच साल में खर्च का फर्जी खेल
वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक पंचायत को 14वें और 15वें वित्त की राशि कुल 37.70 लाख रुपये मिले। इन पैसों का उपयोग पेयजल व्यवस्था, भवन मरम्मत, सड़क सुधार, स्ट्रीट लाइट, सफाई और अन्य जरूरी कार्यों के लिए होना था, लेकिन ज़्यादातर योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही पूरी कर दी गईं।
पंचायत भवन की हालत बदतर
जिस पंचायत भवन को दुरुस्त करना सबसे पहले जरूरी था, वही आज खंडहर में तब्दील है। इसकी मरम्मत के नाम पर 2.89 लाख खर्च किए गए हैं। लेकिन हकीकत यह है कि भवन की हालत देखकर यह समझना मुश्किल नहीं कि कोई काम हुआ ही नहीं। दरअसल, पंचायत भवन ही वह केंद्र होता है, जहां से विकास की सभी योजनाएं संचालित होती हैं, लेकिन यहां की स्थिति देखकर साफ होता है कि पंचायत का विकास पूरी तरह रुक गया है। वर्तमान मे पंचायत भवन मे पीडीएस गोदाम संचालित है।
सरपंच पति चला रहे थे पंचायत, सचिव नदारद
ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच शिवानी राम सिदार सिर्फ नाम की थीं, असल में पंचायत का संचालन उनके पति राम सिदार द्वारा किया जाता था। बिना उनके कहे कोई हस्ताक्षर तक नहीं होता था। पंचायत सचिव भी अधिकतर समय गायब रहते थे और गांव के कार्यों में दिलचस्पी नहीं दिखाते थे। इससे स्पष्ट होता है कि गांव के लिए जो भी योजना बनी, उसका मकसद सिर्फ राशि आहरण था, न कि विकास।
शौचालय निर्माण में भी डकार ली राशि, हुई सरकारी रिकवरी
प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 13 हितग्राहियों के शौचालय निर्माण हेतु राशि जारी की गई थी। मगर यह पैसा पंचायत में ही गुम हो गया। ग्रामीणों की शिकायत पर जांच हुई और दोष सिद्ध होने पर 136,000 रुपये की रिकवरी तत्कालीन सरपंच शिवानी सिदार और सचिव भागीरथी प्रधान से की गई। इतना ही नहीं, इन हितग्राहियों से पहले 2,000-2,000 रुपये अलग से फॉर्म भरवाने और योजना पास करवाने के नाम पर वसूले गए थे। ये पैसे लौटाए गए या नहीं, इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। जल जीवन मिशन में भी जमकर गडबडी, पानी टंकी शुरू होने से पहले ही फूटने लगी केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'जल जीवन मिशन' के तहत बुदबुदा में पानी टंकी निर्माण और पाइपलाइन विस्तार किया गया। मगर निर्माण के बाद उसमें दरारें और सीपेज की समस्या सामने आ
गई। आरोप है कि इस योजना में सरपंच और पंचायत सचिव ने ठेकेदार से मोटा कमीशन लिया। इतना ही नहीं, निर्माण सामग्री — जैसे छड़, सीमेंट, गिट्टी — सरपंच के करीबी लोगों को सप्लाई करने का ठेका दे दिया गया। गुणवत्ता की हालत यह है कि पानी टंकी अभी पूरी तरह शुरू भी नहीं हुई, लेकिन उसमें लीकेज और ढांचागत कमजोरी सामने आ रही है।
क्या कहते है ग्राम पंचायत सचिव
" 37 लाख की गड़बड़ी वाली बात बिलकुल गलत है। बुदबुदा पंचायत छोटा है। इतनी राशि पिछले दस साल में बुदबुदा पंचायत को नहीं मिला है। यहां मूलभूत की राशि 27 हजार आता है और 15 वां वित्त की राशि में कोई हेराफेरी नहीं किया गया है। पंचायत भवन जर्जर है, मरम्मत कराने के लिए पत्र लिखा गया है।
दौलत राम जायसवाल, पंचायत सचिव, बुदबुदा,