जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

शासकीय शिक्षक बन रहे नेटवर्क मार्केटिंग एजेंट, विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में सारंगढ़-बिलाईगढ़ में शिक्षा का केंद्र बन रहा निजी लाभ का अड्डा

शासकीय शिक्षक बन रहे नेटवर्क मार्केटिंग एजेंट, विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में सारंगढ़-बिलाईगढ़ में शिक्षा का केंद्र बन रहा निजी लाभ का अड्डा

शासकीय शिक्षक बन रहे नेटवर्क मार्केटिंग एजेंट, विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में सारंगढ़-बिलाईगढ़ में शिक्षा का केंद्र बन रहा निजी लाभ का अड्डा

सारंगढ़-बिलाईगढ़,

एक शिक्षक का दायित्व समाज निर्माण का होता है। लेकिन जब वही शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से भटक कर निजी लाभ के लिए नेटवर्क मार्केटिंग जैसे व्यवसाय में लिप्त हो जाएं, तो यह केवल नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। हाल ही में सामने आई रिपोर्टों से यह स्पष्ट हो रहा है कि सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में भी शासकीय शिक्षक गुपचुप तरीके से मल्टीलेवल मार्केटिंग (MLM) और ऑनलाइन प्रोडक्ट सेलिंग जैसे गतिविधियों में सक्रिय हैं।

शिक्षा छोड़, व्यापार की ओर झुकाव

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षकों का एक वर्ग आज डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया के माध्यम से छात्रों, अभिभावकों और अपने सहकर्मियों को प्रोडक्ट खरीदने या स्कीम में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहा है। इनमें से कई शिक्षकों ने खुद की टीम बनाकर नेटवर्क मार्केटिंग का जाल बिछा लिया है। वे स्कूल समय में भी ऑनलाइन मीटिंग्स, वेबिनार और लाइव सेशन्स में व्यस्त पाए जा रहे हैं।

विद्यार्थियों की उपेक्षा, परिणामों पर प्रभाव

स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता पहले से ही संसाधनों और स्टाफ की कमी से जूझ रही है। ऐसे में यदि शासकीय शिक्षक अपनी मूल भूमिका से हटकर निजी धंधों में लिप्त हों, तो इसका सबसे सीधा असर विद्यार्थियों पर पड़ता है। शिक्षा का स्तर गिरता है, परीक्षा परिणाम प्रभावित होते हैं और विद्यार्थियों में अनुशासन की कमी देखी जाती है।

फर्ज़ और फायदे के बीच उलझे शिक्षक

माना जा सकता है कि महंगाई, सीमित वेतन और निजी जरूरतें कुछ शिक्षकों को ऐसे विकल्पों की ओर धकेल रही हैं। लेकिन शासकीय सेवा की शपथ और सामाजिक जिम्मेदारी यह अनुमति नहीं देती कि शिक्षक अपना पेशा भूल जाएं। जब शिक्षक ही “ग्राहक खोजो” की दौड़ में शामिल हो जाए, तो शिक्षा मंदिर व्यापार का केंद्र बनकर रह जाता है।
प्रशासन और विभाग की चुप्पी चिंताजनक
हालांकि राज्य शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर ऐसे गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता और विभागीय उदासीनता ऐसे मामलों को बढ़ावा दे रही है।

सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले मे हो चुकी है कार्यवाही

ऐसा नहीं है की यह घटना या गतिविधि पहली बार हो रही है, पूर्व मे ऐसे कई मामलों मे बहुत से शिक्षकों पर कार्यवाही हो चुकी है. देखते हैँ आखिर इन मामलों पर जिला शिक्षा विभाग कितनी गभीरता दिखाता है।

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