सारंगढ़ में नवरात्र पर भक्ति की लहर, आज पहला दिन होगी शैलपुत्री की पूजा, मां सम्लेश्वरी
मंदिर और काली मंदिर में तैयारी पूर्ण,
विभिन्न चौक-चौराहो मे माता के विराजमान का दौर जारी चंद्रहासिनी मंदिर में लगेगा पहले दिन से ही श्रद्धालुओ की भीड़,
सारंगढ़,
सारंगढ़ में नवरात्र पर भक्ति की बयांर बहने वाली है। देवी मंदिरो मे नौ दिन मे माता का विशेष पूजा अर्चना का आयोजन होगा। मां काली मंदिर में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किया जायेगा वही मां सम्लेश्वरी मंदिर में सिर्फ राजपरिवार का एक ही ज्योति कलश
प्रज्जवलित किया जाता है। विभिन्न चौक-चौराहो में भी माता का विराजमान का क्रम देररात तक जारी था। आर्कषण सजावट के साथ झालरो से सारंगढ़ चमक रहा है।
आज पहला दिन होगी शैलपुत्री की पूजा,
नवरात्रि का पहला दिन है. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां दुर्गा का यह पहला रूप माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं. कहा जाता है कि पूर्वजन्म में इनका नाम सती था और ये प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं. नवरात्रि के पहले दिन मां की पूजा को संपूर्ण विधि-विधान के साथ करना आवश्यक है. आज नवरात्रि के पहले दिन कलश या घट की स्थापना होगी, इसके पश्चात दुर्गा पूजा का संकल्प होगा. फिर माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होगा. मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें. मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करना है, इसके बाद कपूर या गाय के घी से दीपक जलाकर माता की पूरा किया जायेगा।
पहले दिन चंद्रहासिनी मंदिर में श्रद्धालुओ को लगेगा तांता
चंद्रपुर में महानदी के तट पर चन्द्रहासिनी माता का एक अद्भुत मंदिर है। नवरात्रि के समय यहां पर भव्य मेला लगता है। मां चंद्रहासिनी चन्द्रपुर की छोटी सी पहाड़ी पर विराजमान है। यहां पर पौराणिक और धार्मिक कथाओं की सुंदर झांकियां बनाई गई है। इसके अलावा 100 फीट ऊंची महादेव-पार्वती की मूर्ति भी आकर्षण का केंद्र है। चारों ओर से प्राकृतिक सुंदरता से घिरे चंद्रपुर की खुबसूरती देखने लायक है। मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक स्वरूप मां चंद्रहासिनी महानदी और माण्ड नदी के बीच चंद्रपुर में विराजित है।
मंदिर प्रांगण में अर्धनारीश्वर, महाबलशाली पवन पुत्र, कृष्ण लीला, चिरहरण, महिषासुर वध, चार धाम, नवग्रह, सर्वधर्म सभा, शेषनाग बिस्तर और अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियाँ दिखाई देती है। इसके अलावा, शीश महल, तारा मण्डल, मंदिर के मैदान पर एक चलती हुई झांकी महाभारत काल को जीवंत तरीके से दर्शाती है। इससे आगंतुकों को महाभारत के पात्रों और कथानक के बारे में जानने और याद रखने में सरलता होती है। वहीं माता चंद्रहासिनी की चंद्रमा के आकार की मूर्ति के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।