जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़ : किसान राईस मिल के सामने शासकीय भूमि का निजी भूमि में नाम दर्ज होते ही धड़ल्ले से हो रहा निमार्ण?

सारंगढ़ : किसान राईस मिल के सामने शासकीय भूमि का निजी भूमि में नाम दर्ज होते ही धड़ल्ले से हो रहा निमार्ण?

सारंगढ़ : किसान राईस मिल के सामने शासकीय भूमि का निजी भूमि में नाम दर्ज होते ही धड़ल्ले से हो रहा निमार्ण?

शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की सरकारी
भूमि बन गई निजी भूमि,
नगर पालिका ने दे दिया दुकान निमार्ण अनुज्ञा
की अनुमति,
6.90 एकड़ सरकारी भूमि का है मामला, करोड़ो
रूपये के जमीन की अफरा-तफरी?
जिला बनने के बाद फर्जीवाड़ा करने वालो का हो
गया बल्ले-बल्ले,
रायगढ़ जिला के समय नही कर रहे थे साहस,

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला के बहुचर्चित शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की 6.90 एकड़ की सरकारी भूमि का बंदरबॉट अब निमार्ण कार्य की ओर गतिशील हो गया है। शिकायतो के बाद भी जिला प्रशासन के द्वारा कार्यवाही नही होने से बुलंद हौसलो के साथ निमार्ण कार्य धड़ल्ले से कर रहे है। वही नगर पालिका सारंगढ़ ने इस विवादित भूमि के विवाद की पूर्ण जानकारी होने के बाद भी निमार्ण की अनुमति देकर भू- माफियाओ को अघोषित रूप से संरक्षण प्रदान कर दिया है। जिला मुख्यालय सारंगढ़ के बिलासपुर रोड़ स्थित किसान राईस मिल के सामने शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि स्थित है। पटवारी हल्का नंबर 28 के खसरा नंबर 224/1 ख में रकबा 6.90 एकड़ की यह भूमि 1923 से लेकर 2018 तक राजस्व रिकार्ड में शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की शासकीय भूमि के
तौर पर दर्ज थी इस भूमि को 2018 में राजस्व निरीक्षक के एक प्रतिवेदन के आधार पर राजस्व भूमि से आबादी भूमि घोषित कर दिया गया तथा राजस्व रिकार्ड में संशोधन करते हुए इसके निजी भूमि के रूप मे दर्ज कर दिया गया।

यानि जो भूमि 1923-24 से मिशल बंदोबस्त में शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद में शासकीय भूमि के रूप मे दर्ज था उसे 1954-55 मे सारंगढ़ शहर का निस्तारी पत्रक बना तब भी उसको आबादी भूमि नजूल में दर्ज नही किया गया जिसे 2018 में आबादी भूमि के रूप मे दर्ज कर राजस्व रिकार्ड को संशोधन कर दिया गया है। वही इस शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि को नजूल खसरा में अन्य नंबरो के नाम पर खरीदी-बिक्री कराते हुए 20 लोगो के नाम पर दर्ज कर दिया गया। इस विवादित भूमि पर आज तक कोई निमार्ण कार्य नही किया गया किन्तु बीते दो माह मे ही आनन- फानन में इस भूमि पर आधा दर्जन से अधिक व्यावसायिक दुकानो का निमार्ण किया जा रहा है। विशेष बात यह है कि इन व्यावसायिक दुकानो का निमार्ण का अनुमति नगर पालिका परिषद सारंगढ़ के द्वारा ही प्रदान किया गया है जबकि उनको यह सभी बाते अच्छी तरह से ज्ञात है कि उक्त भूमि विवादित है। फिर भी व्यावसायिक दुकानो के निमार्ण के लिये नगर पालिका अनुमति जारी कर दिया है।

1923 में दर्ज सरकारी भूमि 2018 में हुई निजी?
1923 में मिशल बंदोबस्त में सारंगढ़ के इस भूमि को सरकारी छोटे झाड़ के जंगल मद में दर्ज किया गया था जो कि 1954-55 में आबादी भूमि की घोषणा में भी शामिल नही था और 2018 तक यह भूमि शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद में दर्ज था। किन्तु महज एक राजस्व निरीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर तात्कालिक
अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार के द्वारा आदेश जारी इस शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की सरकारी भूमि को तो पहले आबादी भूमि घोषित कर दिया गया और उसके बाद इसको निजी व्याक्तियो के नाम पर 1998 में किया गया अन्य खसरा नंबर के खरीदी-बिक्री को मान्य करते हुए 20 व्यक्तियो के नाम पर दर्ज कर दिया। जब यह भूमि 2018 में छोटे झाड़ के जंगल मद की सरकारी भूमि से आबादी भूमि हुई तो 1998 में कैसे राजिस्ट्री हो गई? तथा यह भूमि कैसे अब इन 20 व्यक्तियो के नाम पर इन्द्राज हो गई। यह जांच का विषय है। करोड़ो रूपये की यह भूमि निजी व्यक्तियो के नाम पर दर्ज करने के लिये पूर्ण रूप से
साजिश रची गई है।

रातो-रात चल रहा है दुकान का निमार्ण?

बताया जा रहा है कि आज तक रिक्त पड़े भूमि पर एकाएक दुकान निमार्ण का कार्य शुरू कर दिया गया है जो कि दिन-रात चल रहा है। मौके पर अवलोकन करने से ज्ञात हो रहा है कि गौरवपथ से सटकर बनाया जा रहा इन दुकानो
के लिये सड़क के बीच से 100-100 फीट छोड़कर निमार्ण करने का भी नियम को छूट दे दिया गया है। वही विवादित भूमि पर दुकान का निमार्ण कराने के लिये भू-स्वामी काफी सक्रिय है। नगर पालिका परिषद सारंगढ़ में भवन निमार्ण अनुज्ञा देने वाले संबंधित कर्मचारी से जानकारी लेने पर उन्होने बताया कि दो व्यक्तियो को दुकान निमार्ण करने की अनुज्ञा पहले जारी किया गया था और अब अन्य तीन
को भी दुकान निमार्ण करने का अनुज्ञा जारी कर दिया गया है।

छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि संवेदनशील मामला,

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार 1923 से लेकर 2018 तक शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की सरकारी भूमि को अचानक से आबादी भूमि और 20 लोगो के नाम दर्ज होने से पूरा मामला पहली ही नजर में संवेदनशील दिख रहा है। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर कान्फ्रेंस में भी इस बिन्दु पर फोकस किया था कि छोटे
झाड़ के जंगल मद के सरकारी भूमि को संरक्षित किया जाये, किन्तु सारंगढ़ में ऐसा नही हो रहा है। यहा पर छोटे झाड़ के जंगल मद की सरकारी भूमि को राजस्व रिकार्ड में ही संशोधन करके आबादी भूमि दर्शाकर लोगो के नाम पर दर्ज कर करोड़ो रूपये का घोटाला को अंजाम दिया गया है। ऐसे में छोटे झाड़ के जंगल मद
की सरकारी भूमि का आबादी भूमि घोषित होना और उसमे दुकान निमार्ण की अनुज्ञा नगर पालिका के द्वारा जारी करना बड़ा खेल के रूप में सामने दिख रहा है।

शिकायत के बाद भी नही हो रही हैकार्यवाही,

सारंगढ़ पटवारी हल्का नंबर 28 के खसरा नंबर 224/1 ख जो कि शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की सरकारी भूमि है उसको आबादी घोषित करते हुए नजूल मेंटनेंस में खसरा नंबर 13/1, 13/2 से 13/20 तक 20 टुकड़ो मे विभिक्त करके निजी व्यक्तियो के नाम पर दर्ज कर दिया है। इस बड़े फर्जीवाड़ा की शिकायत
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और कलेक्टर सारंगढ़-बिलाईगढ़ से भी किया गया है किन्तु निमार्ण पर रोक लगाने और फर्जीवाड़ा की जांच कराने के लिये तीन सदस्यीय टीम बनाने के

अलावा और कोई ठोस कार्यवाही नही हुई है। जिस राजस्व निरीक्षक पर फर्जीवाड़ा का आरोप है उसको की इस टीम का मुखिया बनाया गया है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिकायत को रफा-दफा करने के लिये ही काम को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे मे आने वाले दिनो मे यह मामला हाईकोर्ट की दहलीज पर जा सकता है।

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