जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

आपातकाल भारत देश का काला अध्याय- हर्षिता पांडेय आपातकाल को लेकर भाजपा सारंगढ़ का प्रेस कांफ्रेंस

आपातकाल भारत देश का काला अध्याय- हर्षिता पांडेय आपातकाल को लेकर भाजपा सारंगढ़ का प्रेस कांफ्रेंस

आपातकाल भारत देश का काला अध्याय- हर्षिता पांडेय आपातकाल को लेकर भाजपा सारंगढ़ का प्रेस कांफ्रेंस

आपातकाल लगाने वाले कांग्रेस पार्टी को संविधान पर बोलने का हक नहीं – हर्षिता पांडेय

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
नगर के केसरवानी धर्मशाला में भाजपा के द्वारा आपातकाल के 50 साल पूरे की पूर्व संध्या पर संविधान हत्या दिवस को लेकर एक प्रेस वार्ता भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हर्षिता पांडे के द्वारा आमंत्रित किया गया था कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता भाजपा के दिग्गज नेता भुवन मिश्रा ने आपातकाल की पृष्ठभूमि को बताते हुए कहे कि – न्यायालय के आदेश से तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पद से हटा दिया गया था, उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था। इसके बाद विपक्ष के दबाव को नजर अंदाज करते हुए रातों-रात आपातकाल लगा दिया गया।आपातकाल में लाखों विपक्षी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को मीसा और डीआईआर कानून के तहत जेल में डाला गया। उन्हें न तो न्यायालय जाने का
अधिकार था और न हीं जमानत का। समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगा दी गई।सरकार विरोधी खबरें छापने वाले अखबारों की मशीन सील कर दी गई व पत्रकारों वह संपादकों को गिरफ्तार कर लिया गया। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडे, भाजपा जिला अध्यक्ष ज्योति पटेल, पूर्व विधायक श्रीमती केराबाई मनहर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अजेश अग्रवाल, जगन्नाथ केसरवानी, मनोज मिश्रा, मनोज जायसवाल के साथ साथ अन्य भाजपा नेता उपस्थित रहें।

आपातकाल के 50 साल पूरे की मुख्य वक्ता प्रदेश भाजपा प्रवक्ता हर्षिता पांडे ने आपात
काल क्यों लगा ?आपातकाल में कांग्रेसी सरकार ने क्या किया ? पूरे देश में स्थिति क्या रही ? आपातकाल में क्या हुआ ? इन सभी प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि – इलाहाबाद हाईकोर्ट में 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनाव को अवैध ठहरा दिया। उन्हें 6 साल तक चुनाव लड़ने से आयोग करार दिया गया।जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति आंदोलन पूरे देश में तेज हो रहा था। सरकार विरोधी प्रदर्शन, हड़ताल व असंतोष तेजी से बढ़ रहा था। इंदिरा गांधी ने देश में आंतरिक अस्थिरता और अव्यवस्था का हवाला देते हुए आपात काल लगाया। आपातकाल में जो हुआ वह बेहद शर्म नाक था। पहले तो कांग्रेस ने संविधान की हत्या कर दी, लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए। हर्षिता ने बताया कि – नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और न्यायालय में
गिरफ्तारी को चुनौती देने का अधिकार तक रद्द कर दिए गए। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेई, मोरारजी देसाई, लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह समेत 9000 नेताओं और लाखों कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अखबारों पर सेंसर सीप लागू कर दी गई। बिना सरकारी अनुमति के कोई भी खबर का प्रकाशन नहीं किया जा सकता। अखबार प्रकाशन करने वाली मशीनों को सील कर दी गई। संजय गांधी के नेतृत्व में जबरन परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया गया। जिससे लोगों में भारी असंतोष फैला, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अंकुश लगाते हुए संसद को एक तरफा चलाया गया। न्यायपालिका की स्वतंत्रता सीमित हुई।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हर्षिता पांडे ने बताया कि – 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977
तक कुल 21 महीने आपातकाल अर्थात काला दिवस लागू रहा। जिसकी घोषणा राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिफारिश पर संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपात काल की घोषणा की थी। हर्षिता जी ने आगे बताया कि – इस आपातकाल का प्रभाव पूरे देश में क्या हुआ ?नागरिक स्वतंत्रताओं का हनन हो गया। जिससे देश में गंभीर खतरा पैदा हो गया। नेता, नागरिक, व्यापारीयों को चौक चौराहे, घरों से उठाकर जेल में डाला गया, जो न्यायालय की शरण भी नहीं जा सकते थे। इस आपातकाल से राजनीति में कांग्रेस का ग्राफ गिरा और विपक्षी दलों का ग्राफ सिर चढ़कर जन-जन के मन में समा गया। समाज में भय, दमन और असंतोष का माहौल छाया हुआ था।मीडिया पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में थी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खुलकर हमला किया गया। जिससे अखबार नवीशों को भी जेल की हवा खानी पड़ी थी। सन् 1975 का आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर एक गंभीर प्रहार था। यह काल खंड यह भी दर्शाता है कि – संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग किस प्रकार से नागरिकों के अधिकारों को कुचल सकता है, लेकिन इस संकट के बाद लोकतंत्र की पुनः बहाली ने भारतीय जनता की चेतना और संविधान की मजबूती को भी प्रमाणित किया था।

कांग्रेस ने 1961, 1962, 1965 1971 और 1972 में जो किया वह पूरी तरह से संविधान विरोधी रहा। इंदिरा की ही देन सिंधु समझौता रही जिसे 2025 में मोदी सरकार ने भंग किया। मोदी सरकार का 11 साल बेमिसाल रहा। मंच संचालन भाजपा नेता हरिनाथ खूंटे के द्वारा की गई ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button