सहकारी समितियों में किसानो का पंजीयन शुरू,
सहकारी समितियों में किसानो का पंजीयन शुरू,
लेकिन फर्जी रकबा पर प्रशासन का ध्यान नही?
किसानो के नाम पर पंजीयन से शुरू होता है
फर्जीवाड़ा का बड़ा खेल?
गत वर्ष किसानो के नाम पर 1 हजार एकड़ से
अधिक का कृषि भूमि निकला था फर्जी,
कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खाना-पूर्ति किया प्रशासन नें,
धान माफियाओ अभी से शुरू हो गये फर्जीवाड़ा में,
सारंगढ़,
सारंगढ़ के सहकारी समितियो में धान विक्रय के लिये किसानो के पंजीयन और रकबा संशोधन जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रारंभ हो गया है।यही से फर्जी पंजीयन और फर्जी रकबा वृद्धि करके सारंगढ़ अंचल के धान खरीदी केन्द्रो में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा का काम प्रोफेशन तरीके से शुरू होता है। गत वर्ष धान खरीदी शुरू होने के पहले 1 हजार एकड़ से अधिक कृषि भूमि का फर्जी रकबा वृद्धि गाताड़ीह, जशपुर और कोसीर धान खरीदी केन्द्रो मे पाया गया था। वही उलखर, बरदुला समेत कई धान खरीदी केन्द्रो में सरकारी भूमियो को निजी किसानो के नाम पर दर्ज कर रकबा वृद्धि का मामला सामने आया है। ऐसे मे इस बार फिर से किसानो के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाला गिरोह सक्रिय हो गया है। बस फर्क इस बातका है कि नेतृत्व करने वाले माफिया का चेहरा बदल गया है। बाकि अली बाबा के चालीस चोर वही के वही है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ के धान खरीदी हर वर्ष विवादो मे रहता है। गत वर्ष धान खरीदी के पहले ही 1 हजार एकड़ से अधिक कृषि भूमि का फर्जी पंजीयन और फर्जी रकबा वृद्धि का मामला सामने आया था और जिला प्रशासन ने सभी पंजीयन को निरस्त कर दिया था। वही किसानो के नाम पर फर्जी लोन निकालने तथा फर्जी ढंग से खाद और बीज निकालने का मामला गाताड़ीह सोसायटी का विधानसभा में गूंजा और आनन-फानन मे जिला प्रशासन ने गाताडीह सेवा सहकारी समिति के 5 लोगो के खिलाफ कई संगीन धाराओ में एफआईआर दर्ज किया था। लगभग 2.19 लाख रूपये का फर्जीवाड़ा का यह मामला अपेक्स बैंक के जांच में लगभग 2 करोड़ रूपये से भी अधिक का होने की जानकारी छनकर सामने आ रही है। वही इस बार फिर से खरीफ फसल के खरीदी के लिये जिला प्रशासन के द्वारा धान खरीदी केन्द्रो में किसानो के नाम पर पंजीयन और रकबा संशोधन का कार्य प्रारंभ कर दिया है। बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़ा करने के लिये बदनाम सेवा सहकारी समितियो में गाताडीह, जशपुर, कोसीर, छिंद, बरदुला और उलखर का नाम प्रमुख रूप से सामने आता है और यहा पर ऐसे-ऐसे किसानो के नाम पर पंजीयन होता है जो कि वास्तव मे है ही नही। साथ ही इन किसानो के नाम पर किया जाने वाला जमीन का रकबा और खसरा नंबर भी फर्जी रहता है। राजस्व अभिलेख मे ऐसे
जमीन और रकबा का कोई भी अस्तित्व नही रहता है। साथ ही ऐसे किसानो के नाम पर दर्ज बैंक खाता भी इस किसान के नाम पर ना रहकर क्षेत्र के बड़े चेहरो के रिश्तेदारो के नाम पर रहता है। यह सब काम खाद-बीज से लेकर नगद ऋण और धान को 3100 रूपये प्रति क्विंटल के दर से विक्रय करने के लिये होता है। गत सत्र में किया गया धान खरीदी मे लगभग आधा दर्जन से अधिक सेवा सहकारी
समितियो में धान खरीदी के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया था। जिन किसानो के नाम पर फर्जी पंजीयन यहा पर किया जाता है उसमे से अधिकांश किसान अस्तित्व मे ही नही है। उनके नाम पर दर्ज भूमि का रकबा और खसरा भी राजस्व रिकार्ड मे नही है। वही उनके नाम पर जारी भुगतान को कोई दूसरा खाता को दर्ज कराकर प्राप्त करता है। ऐसे में जिला प्रशासन अभी से किसानो के नाम पर पंजीयन
को लेकर संजीदा नही है जिसका परिणाम फिर से बड़े स्तर के घोटाला के रूप में सामने आयेगा। राजस्व विभाग और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियो और सेवा सहकारी समिति के प्रबंधको और कम्प्यूटर आपरेटरो से सांठ-गांठ करके बड़े स्तर पर फर्जी किसानो के नाम पर पंजीयन का प्लानिंग बन चुका है किन्तु जिला प्रशासन अभी भी हाथ-पर हाथ धरे बैठा है जिसके कारण से 1 नवंबर से प्रारंभ होने वाली धान खरीदी का खेल का पटकथा अभी से लिखना प्रारंभ हो गया है।
फर्जी रकबा से होता है बड़ा खेल?
सारंगढ़ के धान खरीदी केन्द्रो में होने वाले अधिकांश घपला में फर्जी रकबा वृद्धि का बड़ा खेल है। बडे चेहरो के चहेता लोगो के नाम पर वास्तव मे चंद डिसमिल दर्ज कृषि भूमि यहा पर सेवा सहकारी समिति में दर्जन एकड़ मे तब्दील होकर पंजीयन हुए रहता है। गाताड़ीह और कोसीर में ऐसा बड़े स्तर पर खेल खेला गया है। वही फर्जी किसानो के नाम पर पंजीयन के समय ही अपना खाता को दर्ज कराकर
फर्जीवाड़ा को अंजाम देने का खेल अभी से शुरू हो गया है। ऐसे मे राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस पूरे खेल को रोकने मे कोई पहल नही कर रहे है। जिससे फिर से बड़े स्तर पर धान खरीदी मे फर्जीवाड़ा होने की आशंका है। गत वर्ष एक हजार एकड़ से अधिक कृषि भूमि को फर्जी पंजीयन के रूप मे पाया गया और खरीदी प्रारंभ होने के पूर्व ही इसका पंजीयन को निरस्त किया गया। किन्तु जो मामला अपराधिक मुकदमा के रूप मे पुलिस विभाग के पास जाना था वह सिर्फ फर्जी किसानो के नाम और रकबा को विलोपित करके ठंड़े बस्तें डाल दिया गया। वही हरदी हवाई पट्टी के शासकीय भूमि तक के नाम पर माफिया ने धान पंजीयन कराकर बडे स्तर पर घोटाला को अंजाम प्रदान कर दिया।
फर्जीवाड़ा के आरोपी घूम रहे है खुलेआम?
इस संबंध मे मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बहुचर्चित गाताडीह सोसायटी में किसानो के नाम पर फर्जी ऋण लेकर धोखाधड़ी करने के मामले में सिटी कोतवाली पुलिस सारंगढ़ ने कांग्रेस नेता शिव टंडन, जनपद सदस्य के पति राजेश रात्रे, पूर्व प्रबंधक दिलीप टंडन तथा कम्प्यूटर आपरेटर बुदंराम जांगड़े के खिलाफ संगीन धाराओ मे अपराध 19 जुलाई को ही दर्ज कर लिया गया है। इन चारो के खिलाफ भादवि 420,467, 468,471,409,120 बी, 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। इनके खिलाफ 5 किसानो के नाम पर 2.19 लाख रूपये के फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया था। किन्तु आज तीन माह बीतने को है एक भी
आरोपी को सारंगढ़ सिटी कोतवाली पुलिस पकड़ने मे कामयाब नही हो पाई है। पुलिस के रिकार्ड में फरार बताये जा रहे आरोपी अभी भी खुले आम घूम रहे है तथा सोशल मिडिया मे फोटो भी पोस्ट कर रहे है। बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट में राहत पाने के लिये फर्जीवाड़ा के आरोपी लगातार संपर्क बनाये हुए है किन्तु सारंगढ़ सिटी कोतवाली पुलिस आरोपियो के धर-पकड़ के लिये कोई भी प्रयास नही कर रही है। जिसके कारण से पूरा मामला को रफा-दफा करने का सांठगांठ का आरोप सही प्रतीत होता दिख रहा है।