
कोसीर सेंट्रल बैंक की लचर व्यवस्था से खाताधारक परेशान
तपती धूप में घंटो लाईन लगने के बावजूद नही हो रहा काम
कोसीर – एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार लोगों को डिजीटल भारत के सपने दिखा रहा वहीं आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में माताएं, बुजुर्ग, वृद्ध, युवा कई दिनों तक बैंको के चक्कर काटने घंटो लाईन में लगने मजबूर है ठीक ऐसा ही हाल सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के कोसीर सेंट्रल बैंक शाखा में भी नजर आ रहा जहां लोगों को वित्तीय लेनदेन कार्यों के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि अंचल का एकमात्र पुराना बैंक शाखा होने के वजह से यहां 50 हजार से भी ज्यादा खाताधारक है और प्रतिदिन सैकडो़ं से हजारों लोग 20 किमी.दूर दूर से इस भयंकर तपती धूप में पैसा जमा निकासी के साथ साथ, खाता होल्ड खुलवाने, आधार लिंक, इकेवाईसी कराने,माताएं महतारी वंदन का पैसा निकालने, स्टेटमेंट,ऋण जैसे विभिन्न कार्यों के लिए बैंक पहुंच रहें है पर घंटों लाईन में लगने के बाद भी उनका काम नही हो पा रहा।

दरअसल इस शाखा में कैश की समस्या तो बिल्कुल आम बात है अब इसके साथ साथ यहां के अधिकारी कर्मचारी लंबी छुट्टी पर रहने लगे हैं ऊपर से यहां पहले से ही स्टाफ की कमी के वजह से बैंक में भींड़ बनी रहती है और स्टाफ बैंक छोंड़कर कैश की तलाश में लगे रहतें है और लोग बैंकों के बाहर उनके आने का इंतजार । कैश की कमी के वजह से पैसा निकासी के साथ साथ अब साहब नही आने पर आधार लिंक, ईकेवाईसी न होने के वजह से माताएं राज्य सरकार द्वारा डाली जा रही महतारी वंदन की राशि नही निकाल पा रही वहीं एक बुजुर्ग ने बताया कि एक हफ्ते पूर्व बैंक स्टेटमेंट निकालने उनके द्वारा आवेदन देने के बाद भी यहां उपस्थित अधिकारी द्वारा यह कहकर वापिस भेज दिया गया कि हम 10 पेज से ज्यादा वाले का स्टेटमेंट नही देते जब मैनेजर साहब आएंगे तब उनसे ले लेना। अब कितने पेज तक का स्टेटमेंट देने का अधिकार सेंट्रल बैंक या आरबीआई ने इन अधिकारी को निर्धारित किया है यह यहां के ब्रांच मैनेजर ही बता पाएंगे। वहीं ग्राहकों ने यह भी बताया कि अंदर एसी पंखा में बैठे अधिकारी इन खाताधारकों की मजबूरी और परेशानी नही समझ रहे वो तो कल आओ, परसों आना, ब्रांच मैनेजर छुट्टी से वापिस आएंगे तो उन्ही से काम करवाना, प्रिंटर खराब है यह सब कहकर वापिस भेज रहे जिससे खाताधारक सैंट्रल बैंक की कार्यप्रणाली व शाखा कर्मियों के अडै़ल रवैये और मनमानी से परेशान होकर अन्य बैंको में खाता खुलवाने मजबूर हैं। आखिर कब तक खाताधारक तपती धूप में इस तरीके से रोज भटकते रहेंगे ? कब सेंट्रल बैंक के क्षेत्रिय उच्च अधिकारी इस मामले में संज्ञान लेकर लोगों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास करेंगे ? या फिर ऐसे ही इस बैंक की लचर व्यवस्था के साथ डिजीटल भारत का सपना आम आदमी देखता रहेगा यह सवाल का विषय है ।