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तीजहारिनों ने की निर्जला व्रत रख गौरी शंकर की पूजा

तीजहारिनों ने की निर्जला व्रत रख गौरी शंकर की पूजा

तीजहारिनों ने की निर्जला व्रत रख गौरी शंकर की पूजा
पूरे दिन निर्जला व्रत रख पति की लंबी उम्र की कामना की
यह सुहागिनो का पवित्र व्रत तीज है
पति के सुख समृद्धि व दीर्घायु वाला व्रत
अच्छे पति की कामना के लिए कुआरी कन्या भी रखती है व्रत 

सरसीवा – शुक्रवार को सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर एवं रात्रि जागरण कर पति की लंबी उम्र की कामना की ।
इस व्रत को सौभाग्यवती महिलाओं के साथ कुंवारी यु‍वतियां भी अच्छे पति की प्राप्ति के रखते हैं। यह पूरे दिन निराहार व्रत है जिसमे एक बूंद जल भी ग्रहण नही करते है ।
इस संबंध में पं.नरोत्तम लाल द्विवेदी ने बताया कि हमारे पौराणिक शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को ‘हरतालिका’ तीज इसीलिए कहते हैं कि पार्वती की सखी उन्हें पिता से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। ‘हरत’ अर्थात हरण करना और ‘आलिका’ अर्थात सखी, सहेली। कथा में बताया गया है कि
यह मां पार्वती को समर्पित अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी पर्व है हरतालिका तीज। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। यह भारत का प्रमुख त्यौहार है जिसे हरतालिका व्रत भी कहते हैं जिसे भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है। पहले दिन कड़ू भात खाकर व्रत प्रारंभ करते है फिर तीसरे दिन बासी रोटी खाकर व्रत का परायण करते है ।
इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। इसी सुहागिन स्त्रियां पति के सुख समृद्धि एवँ दीर्घायु के लिए गौरी शंकर का पूजन कर पूरी रात्रि भजन कीर्तन कर जागरण करते है वहीं कुआँरी कन्या अच्छे पति की कामना के लिए व्रत रखते हैं ।
गुरुवार को व्रतधारी सुहागिनो द्वारा अपने दिन की शुरुवात परंपरा का पालन करते हुवे चिरचिटा की दातुन से की इसके बाद स्नान एवं घरेलू पूजन के समय सुबह 24 घण्टे चलने वाले कठोर व्रत संकल्प लेकर पालन करती रही । शाम होते ही उनके द्वारा
सोलह श्रृंगार कर नियत स्थान पर एवं शिव मंदिरों मे सामुहिक एकत्रित होकर पूजन किये । फुलहरा सजाया और भगवान शिव गौरी की प्रतिमा स्थापित कर मेहंदी कुमकुम समेत सभी प्रकार की सुहाग की समाग्री सहित नई साड़ी अर्पित कर पूजन किया गया और देर रात्रि तक भजन कीर्तन का दौर चला वही व्रतियों ने भगवान की सेवा में रात्रि जागरण किया वे रात भर भक्तिमय भजनों से फुलहरा को झूलाते हुये भगवान की सेवा करती रही इससे पूरी रात उनका उत्साह देखते ही बन रहा था। वही सरसींवा व पूरे अंचल में शिवालय मंदिरों में भी आस्था की अलख जलती रही। शुक्रवार को 24 घण्टे तक चलने वाले निर्जला एवं कठोर तप का समापन हुआ एवं सुबह भगवान विसर्जन के बाद मायके से आया तीजा बासी रोटी ऐसा ,ठेठरी ,खुरमी एवं गुझिया का प्रसाद ग्रहण कर फलाहल कर व्रत का परायण की।

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