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तीसरी आंख की पैनी नजर…

तीसरी आंख की पैनी नजर…………….


भाजपाई फंड़ से दबाकर काम कर रहे है कांग्रेसी नेता?

सांसद जी आये और छोटे-बड़े कार्यकर्ताओ से मिलकर हाल-चाल पूछ रहे थे किन्तु उनके सामने ही दो भाजपा नेताओ की लड़ाई खुलकर सामने आ गई। एक बड़े भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि जिला स्तर के पदाधिकारियो को 10-10 लाख रूपये की अनुंसशा सरकार ने मांगा था उसको एक भाजपा नेता ने कांग्रेस नेताओ के क्षेत्र में दे दिया। शहर से लगे हुए और कांग्रेस के खास नेताओ के इस क्षेत्र में विकास के लिये आखिर 10 लाख को क्यो दिया गया? इस सवाल पर स्थित सांसद जी के सामने ही सर-फुटौव्वल की हो गई। नौबत हाथा-पाई तक की आते-आते रह गई। कांग्रेस नेता को फंड देने वाला भाजपा नेता और आरोप लगाने वाला बड़ा नेता चीख-चीख कर एक दूसरे को भला-बुरा बोल रहे थे। वैसे यह पहली बार नही है कि भाजपाई फंड़ को कांग्रेसियो के क्षेत्र में दिया गया हो.. यहा पर आम बात है… पूर्व सांसद के फंड़ का जिन्न बाहर निकलेगा तो कई लोगो के चेहरे बेनकाब हो जायेगे… फिर जिसने अनुसंशा करके दिया है उसका तो रोज का उठना-बैठना उनके साथ है…। फिर भी बात पार्टी और सिद्धांत की हो रही है तो थोड़ा सा ख्याल तो मामा-भांजा को ध्यान रखना चाहिये.. लेकिन जहा पर बात काम के बदले नगदी की हो वहा पर कहा का सिद्धांत… कहा का पार्टीहित… अभी मौका है… नोट छाप लो……। अब तलाश इस बात की होगी कि यह लड़ाई और घटना की पूरी बात लीक कैसे हो गई?


अपने लाये अधिकारी का ट्रांसर्फर नही होने से निराश?

सत्ता बदलने से क्या-क्या बदल जाता है यह देखना हो तो इस सरकारी विभाग का हाल देख लो.. पिछले सरकार में अपना सभी काम को धड़ाधड़ कराने के लिये पुराने जिला से एक घाघ अधिकारी को पुराने सरकार के कर्ताधर्ताओ ने यहा पर मोटा खर्च करके लाया किन्तु अब सरकार बदल गई तो उस अधिकारी के भी तेवर बदल गये… हाल-चाल बदल गये…. ऐसे मे प्रेम की भाषा अब धमकी तक मे पहुंच गया किन्तु कोई परिर्वतन नही दिखा तो नजरे ट्रांसर्फर लिस्ट की ओर लग गई कि यहा से यह चला जाये किन्तु 166 की लिस्ट मे भी नाम नही दिखा तो थोड़े निराश हो गये… किन्तु अब साईन पावर का पावर पाने के बाद टोन और चेंज दिख रहा है.. ऐसे में अब इंजतार रिटायरमेंट के डेट पर आ टिकी है….. वैसे इस विभाग का कोई भरोसा नही रहता है कि कब, कौन किसका हो जाता है..? खैर इस विभाग का नाम ही अंधेर नगरी और चौपट अधिकारी है… तो फिर गर्म-नरम कहानी तो रोचक होगा ही….।

काम भाजपाई मंत्री से और झंडा फहरवाया कांग्रेसी नेताओ से?

सरकार किसी की भी आये सारंगढ़ के इनके काम कही नही रूकते है जिधर दम उधर हम वाले कहावत को लेकर चलने वाले तिकड़ी इन दिनो थोड़ी मुसीबत में दिख रही है। मामला यह है कि एक भू-माफिया का नक्शा एक सरकारी विभाग में फंस गया था और उसने भाजपा नेताओ को साधकर मंत्री से फोन कराकर नक्शा को पास करा लिया और बड़े भाजपा नेता और मंत्री जी को थैक्यू कहकर वापस आ गये। अब बारी ध्वजारोहण का आया तो इसी भू-माफिया ने अपने एक संस्था में कांग्रेसी नेताओ से झंडा फरवाया। अब काम भाजपा नेता और भाजपा मंत्री से करायेगें.. और झंडा कांग्रेस नेता से फरहवायेगे तो शिकवा-शिकायत और अखबार की कतरन तो संगठन स्तर पर जायेगा ही। ऐसे मे अब काम कराने वाले भाजपा नेता ने भी सबक सिखाने के लिये ठान लिया है और भू-माफियाओ के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के लिये मंत्री जी के सामने आंसू बहा दिया… देखते ही कि भाजपा नेता का आंखू ओरिजनल है कि मगरमच्छ वाला है……।

2028 का जोर-अजमाईश शुरू हो गया यहां


अभी 2024 चल रहा है और 2028 आने में 4 साल बाकि है फिर भी सवाल यही सामने आ रहा है कि 2028 की लड़ाई अभी से कैसे शुरू हो गई। मामला यह है कि जिले में एक नया विधानसभा 2026 के बाद बन जायेगा और 2028 में वहा पर कुश्ती होगा। अब उसी समय जो जागेगा वह तो पीछे हो जायेगा इस कारण से अभी से वहा पर जोर-अजमाईश शुरू हो गया। चूंकि नया विधानसभा सामान्य होने वाला है इस कारण से एक अनार और सौ बिमार वाला कहानी तो होना ही है। ऐसे में भगवा दल और तिरंगा पार्टी में अभी से सक्रियता की लहर शुरू हो गई है। पहली परीक्षा नगरीय निकाय चुनाव और जिला पंचायत का होगा तो दूसरी परीक्षा संगठन की राजनिति में होगी। इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण बात छनकर यह आई कि एक बड़े नेता का सुपुत्र सरकारी नौकरी में फिर से वापस इसी स्थान पर गया जहा आगे गया था क्योकि नौकरी नही यहा पर राजनितिक भूमि तैयार करना है। वैसे राजनितिक सक्रियता के मायने में यह क्षेत्र ही जिला को लीड़ करेगा इस बात मे कोई दो राय नही है। अभी तो 2028 के संभावितो का मजा लिजिये..।

तीन आसान सवाल
1. 87 करोड़ का हाईवे को 56 करोड़ में बनाने के लिये तैयार ठेकेदार का नाम क्या है?
2. किस सरकारी विभाग में होने वाली नियुक्ति को लेकर बोली का दौर शुरू हो गया?
3. सरकार बदलने के बाद भी कभी नही बदलने वाले शहर के एक राशन दुकान के कर्ताधर्ता का नाम क्या है?

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