जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला : सारंगढ़ दशहरा को संरक्षित करने के लिये आयोजित हो “सारंग महोत्सव”

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला : सारंगढ़ दशहरा को संरक्षित करने के लिये आयोजित हो “सारंग महोत्सव”

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला : सारंगढ़ दशहरा को संरक्षित करने के लिये आयोजित हो “सारंग महोत्सव”

नये जिले बने सारंगढ़-बिलाईगढ़ की अपनी हो
अलग पहचान,
दशहरा पर्व का गढ़ उत्सव पूरे भारत में
प्रसिद्ध,
तीन दिवसीय महोत्सव में मिल सकती है कला
और संस्कृति प्रेमियो को मंच,
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मांग करने लिखा
जायेगा पत्र,

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला बने 3 साल पूरे हो गये है और नये जिले की सांस्कृतिक विरासत को संवारने और जिले को अलग पहचान दिलाने किसी भी प्रकार से कोई रचानात्मक पहल नही किया गया है। इसी रिक्तता को पूर्ण करने के लिये नये जिले मे सारंग-महोत्सव आयोजित करने की मांग फिर उठ रही है। नवरात्र पर्व में विजय दशमी के दिन यानि दशहरा पर्व पर सारंगढ़ के प्रसिद्ध गढ़-उत्सव सारंगढ़ दशहरा के दिन इस आयोजन अमलीजामा पहनाया जा सकता है। अष्टमी पर अंचल में नवाखाई पर्व भी धूमधाम से मनाया जाता है। सारंगढ़ दशहरा को संरक्षित करने के लिये इस प्रमुख मांग पर पहल करने के लिये मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को पत्र भेजा जा रहा है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में नवरात्र पर्व यानि देवी पर्व पर उत्साह का माहौल रहता है। पूरा जिला देवीभक्ति में सराबोर रहता है। देवी मंदिरो में भक्तो की भीड़ के साथ चंद्रहासिनी, नाथलदाई, सम्लेश्वरी, मां काली, मां कौश्लेश्वरी, मां महामाया, मां, दुर्गा, मां विध्यवासिनी सहित अनेको देवी मंदिरो मे श्रद्धालुओ की भारी भीड़ उमडती है। साथ ही विजयदशमी के दिन देश का सुप्रसिद्ध गढ़-महोत्सव का भी आयोजन 200 वर्ष से अधिक समय से होते आ रहा है।

वही अष्टमी के दिन सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला का अधिकांश समाज नावाखाई पर्व बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाते आ रहा है। ऐसे क्षणो के बीच सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला के कला और संस्कृति को प्रमुख मंच प्रदान करने तथा सारंगढ़ की ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण प्रदान करने के लिये अन्य जिलो में आयोजित होने वाले समारोह के तर्ज पर सारंग-महोत्सव का आयोजन एक बड़ा कदम हो सकता है। छत्तीसगढ़ के नवीन जिलो मे अपनी विशेष पहचान रखने वाली सारंगढ़-बिलाईगढ़ को जिला बने अभी 3 साल हो गया है तथा छत्तीसगढ़ के नक्शे मे अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिये सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला उत्साहित है। ऐसे मे नये जिले मे कला और संस्कृति के प्रतिभाओ के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम को सम्मलित करते हुए तीन दिवसीय सारंग-महोत्सव का आयोजन सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में किया जा सकता है। दरअसल मातृत्व जिला रायगढ़ में फिर से चक्रधर समारोह का आयोजन हो रहा है और इसकी ख्याति पूरे देश में फैल रही है।

अपने जिले की कला, खेल और सांस्कृतिक आयोजन के लिये श्रेष्ठ मंच के रूप में चक्रधर समारोह पूरे उत्साह के साथ संपन्न गया है किन्तु जिला निमार्ण का तीसरी वर्षगांठ मना चुका सारंगढ़ में इस दिशा में कोई पहल तक नही हो रही है। छोटा ही सही किन्तु एक पहल होनी चाहिये, एक आयोजन सारंग महोत्सव के रूप मे होना चाहिये ताकि सारंगढ़ की पहचान प्रदेश में विशेष रूप से स्थापित हो सकें। नया जिला बना सारंगढ़-बिलाईगढ़ अभी तक राज्य सरकार के द्वारा उपेक्षित है किन्तु इस उपेक्षा को उदासीनता और बढ़ावा दे देती है। इस कारण से सारंगढ़ के नाम पर नये सरकार में कोई भी पहल को ब्रेक लगा दिया जाता है। कला और सांस्कृति की नगरी रायगढ़ में इस बार 40वां चक्रधर समारोह संपन्न हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा आयोजित यह आयोजन पूरे देश मे प्रसिद्ध हो गया है। ऐसे ही एक आयोजन की परिकल्पना को साकार करने के लिये सारंगढ़ में भी पहल होनी चाहिये। सारंगढ़ भी प्राकृतिक सौदर्य और कला-संस्कृति से परिपूर्ण जिला है। यहा पर भी प्रतिभाओ की कमी नही है। किन्तु जिला बना तीन साल मे एक भी आयोजन ऐसा नही रहा जिसकी ख्याति प्रदेश में हो। इस कारण से सारंगढ़-बिलाईगढ़ मे भी भव्य आयोजन की आवश्यकता महसूस हो रही है। सारंगढ़ अंचल को पान-पानी और पालगी की नगरी कहा जाता है तथा यहा के कई आयोजन को पूरे देश में विशेष रूप से जाना जाता है,

किन्तु प्रशासनीक उदासीनता के कारण से यहा पर हो रहे आयोजन सिर्फ औपचारिकता हो जाते है। यहा पर प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव की ख्याति देश-विदेश में है यहा के जैसे गणविच्छेदन और कही नही होता है। किन्तु यह दशहरा महोत्सव सिर्फ यही तक सिमित है। ऐसे मे सारंगढ़ जिले के कलाकारो के लिये छोटा ही सही नवरात्री में दशहरा के पहले दो या तीन दिवसीय सारंग महोत्सव का आयोजन मिल का पत्थर साबित हो सकता है। यहा पर ढ़ोकरा शिल्प सहित कई शिल्पकला का प्रदर्शनी भी आयोजित हो सकता है साथ ही कोसा साड़ी यहा का पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त है उनका भी प्रदर्शनी लगाया जा सकता है। गोमर्डा अभ्यारण्य के प्राकृतिक सौदर्य के स्थान, महानदी के तटीय क्षेत्रो का पर्यटन स्थल के रूपे में विकास, बटरफ्लाई पार्क, माडोसिल्ली, खपान, किंकारी बांध सहित क्षेत्र के प्रसिद्ध स्थानो का प्रदर्शनी इस सारंग महोत्सव के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। सांस्कृतिक और साहित्य के क्षेत्र मे अपना प्रतिभा निखारने वालो की कमी पूरे जिले मे नही है कमी है

तो उनको एक मंच प्रदान करने की है। तीन दिवसीय महोत्सव में मिल सकती है कला और संस्कृति प्रेमियो को मंच, सारंगढ़ दशहरा की पूरे देश में अपनी अलग पहचान है। इस प्रसिद्ध दशहरा उत्सव को संरक्षित करने के लिये सारंग महोत्सव का आयोजन आवश्यक हो गया है। इस समय में नवरात्र का उत्सव पूरे जिले में उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता  है। अष्टमी की नवाखाई पूरे अंचल में उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशमी को प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव का गणविच्छेदन पूरे उत्साह के साथ मनाया जा सकता है। इसी सभी दिन की कड़ी को आपस में जोड़ते हुए अष्टमी, नवमी और दशमी को मिलाकर तीन दिवसीय सारंग महोत्सव का आयोजन पूरे उत्साह और उल्लास के साथ किया जा सकता है। प्रसिद्ध सुवा नृत्य हो या नृत्य कला के माध्यम से देश-विदेश में अपना नाम और सारंगढ़ का नाम रोशन करने वालो की बड़ी टीम सारंगढ़ में तैयार हो चुकी है क्षेत्र मे कवि सम्मेलन में सारंगढ़ का नाम रोशन करने वाले आधा दर्जन से अधिक प्रभावशाली व्यक्तित्व तैयार बैठे है। ऐसे में जरूरत है यहा पर सिर्फ एक मंच प्रदान करने की और जरूरत है मजबूत पहल करने की। ऐसे में नया जिला बना सारंगढ़ अपने अंचल के लोक
कलाकारो और जिले के सांस्कृति को संरक्षित करने के लिये सारंग महोत्सव की मांग तो रख ही सकता है। अब देखना है कि जिला प्रशासन सारंग महोत्सव के इस परिकल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिये क्या पहल करता है?

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