
131 लाख रूपये की लागत से बना जलजीवन मिशन का पानी टंकी सूखा?
खनिज ग्राम टिमरलगा के निवासी पीने के पानी के लिये तरसे!
जल जीवन मिशन में नया पानी टंकी बनकर तैयार,
लेकिन पानी आपूर्ति नही होने से पड़ा है बेकार?
प्राईवेट बोर वालो से 500 रूपये प्रतिमाह की दर से खरीद रहे है पीने का पानी?
क्रेशर और खदान से होती है हर साल करोड़ो रूपये का राजस्व एकत्रित,
गौण खनिज मद का आता है हर साल करोड़ रूपये का फंड?
लेकिन शुद्ध पानी भी नही मिल पा रहा है गांव वासियो को?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आ चुके है टिमरलगा लेकिन यहा जल-जीवन मिशन फ्लाप?
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़ के प्रसिद्ध खनिज ग्राम टिमरलगा में 131 लाख रूपये की लागत से बनाया गया जलजीवन मिशन अर्न्तगत पानी टंकी पूर्ण होने के सालभर बाद भी एक भी बूंद पानी की आपूर्ति नही कर पाया है। इस पानी की टंकी से 892 नलो के माध्यम से घर-घर पानी की आपूर्ति होना था किन्तु शायद ही किसी घर मे पानी की आपूर्ति हुई होगी। इसके पानी टंकी के सूखा पड़े होने के कारण से श्रमिको की बस्ती यानि वार्ड क्रमांक 15,16,17,18 में पीने का पानी की बड़ी किल्लत पड़ी हुई है तथा 500 रूपये में पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है।
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला का टिमरलगा प्रसिद्ध खनिज ग्राम है तथा 26 दिसंबर 2024 को यहा पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का आगमन हुआ था और श्री अश्वमेघ यज्ञ पूजा में वे शामिल होकर टिमरलगा के विकास के लिये कई घोषणा करके गये है किन्तु वास्तविकता यहा पर बिल्कुल विपरीत है। यहा पर 131 लाख रूपये की लागत से 40 कि.ली. की क्षमता वाले 12 मीटर ऊंचे पानी टंकी का निमार्ण जलजीवन मिशन के तहत किया गया है। इस पानी की टंकी से 892 नलो के द्वारा टिमरलगा में हर घर में पानी की आपूर्ति होना था और इसके लिये पानी की टंकी में नलकूप से और साराड़ीह बैराज, कलमा बैराज और मिरौनी बैराज से पानी लाने की भी प्लांनिंग है साथ ही पानी की टंकी से महानदी महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। किन्तु जलजीवन मिशन के योजना के तहत बनाई गई इस पानी टंकी को लेकर अधिकारियो और ठेकेदार की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज इस टंकी को बने सालभर से अधिक हो गया है
किन्तु यहा पर पानी की टंकी मे एक बूंद भी पानी की आपूर्ति नही हो पाई है जिसके कारण से 892 नलो मे पानी आपूर्ति प्रारंभ भी नही हो पाई है। सामान्य तौर पर माना जाता है कि जिस गांव में प्रदेश के मुख्यमंत्री जाते है उस गांव की समस्याओ को निराकरण करने के लिये जिला स्तर के अधिकारी सक्रिय रहते है किन्तु टिमरलगा के साथ ऐसा नही हुआ और मुख्यमंत्री के आगमन होने और अधिकारियो के इस गांव मे लगातार कैम्प करने के बाद भी यहा पर पानी की समस्या की ओर किसी अधिकारी का ध्यान नही गया या ध्यान नही देना चाहे जिसके कारण से यहा पर पानी की समस्या अभी सर- चढ़कर बोल रहा है। यहा पर कुछ वार्ड में प्राईवेट बोर से पानी की खरीदी करके लोग पेयजल को पूरा कर रहे है। जबकि इस पंचायत मे लाखो रूपये का गौण खनिज की राशी भी आती है किन्तु समस्या अभी सरचढ़कर बोल रही है।
पीने का पानी के लिये तरस रहे है गांववासी?
सारंगढ़ विकासखंड़ के ग्राम टिमरलगा में पीने का पानी एक बड़ी समस्या के रूप मे सामने आ खड़ी हुई है जबकि अभी अप्रैल माह ही चल रहा है और गर्मी माह पूरे ड़ेढ़ माह तक तड़पाने वाली है। ऐसे मे टिमरलगा मे पीने की पानी की समस्या का निराकरण कैसे होगा? यह सवाल भी प्रशासन को परेशान करेगा। जलजीवन मिशन की टंकी मे पानी की आपूर्ति होना और गांव मे पानी की आपूर्ति होना एक सपना की तरह है वही गौण खनिज मद या डीएफएम मद से बोर खनन का काम भी दिक्कत का काम है। ऐसे में क्या टिमरलगा वासी प्राईवेट बोर से पानी खरीदकर ही गर्मी माह मे अपनी जमा पूंजी लूटायेगें? यह भी प्रशासन के लिये बड़ा सवाल के रूप मे सामने आ रहा है। क्रेशर और खदान से मिलता है हर साल करोड़ो रूपये का राजस्व, सारंगढ़ के टिमरलगा में लगभग 50 से अधिक क्रेशर प्लांट स्थापित है तथा यहा पर करोड़ो रूपये का राजस्व शासन को प्राप्त होता है। पत्थर खदान की रायल्टी के रूप मे भी शासन को
बड़ी राशी मिलती है किन्तु सुविधाओ के नाम पर शून्य बटा सन्नाटा पसरा है। यहा पर पीने तक का पानी की सुविधा प्रशासन नही दे पा रही है तो स्वास्थ और शिक्षा व्यवस्था की बात करना बेमानी होगी। ऐसे में जिस गांव में मुख्यमंत्री तक आ चुके है और वहा पर पीने का पानी बड़े समस्या के रूप मे सामने आया है और जिला स्तर के अधिकारी इस समस्याओ को निराकरण करने मे रूचि नही ले रहे है तो यहा पर पानी की समस्या बड़ी समस्या के रूप मे ही विराजमान रहेगी। इसका समाधान होता नही दिखाई दे रहा है।