तीसरी आंख की पैनी नजर
दाऊ क्या जिले को देगें “लालबत्ती”?
जिला नया बना है किन्तु जिला बनने के साथ हुआ राजनिति का उठापठक अच्छे-अच्छे पुराने जिले के राजनिति को पीछे छोड़ दिया है। अब दाऊ साहब ने धीरे से घोषणा किया है कि मार्च मे नये सिरे से लाल बत्ती बांटा जायेगा। ऐसे मे उम्मीद शुरू हो गई कि नये जिले में किसी को लालबत्ती दिया जायेगा क्या? वैसे यहा पर दो सदस्य है और दोनो ही महत्वपूर्ण पद पर है एक सचिव है तो एक प्राधिकरण का उपाध्यक्ष है। ऐसे मे दोनो मे से प्रमोशन करके किसी एक को लालबत्ती का गिफ़्ट देकर क्या जिले और जिले के आसपास के चार-पांच सीट पर फोकस हो सकता है? इसका जवाब तो दाऊ ने अपने पास सुरक्षित रख लिया है और फरवरी मे बड़ा सम्मेलन को आयोजित करने के बाद नये जिले मे नया जिलाध्यक्ष के साथ साथ प्रदेश मे लालबत्ती का नया सिरे से बंटवारा कही ना कही चुनावी शोर के आहट की तैयारी है। अब देखना है कि दाऊ नये जिले मे कितना रूचि लेते है और क्या करते है?
माथा देखकर तिलक वंदन तो नही होगा ना….?
नये जिले की पुरानी सड़क पर पुरानी ढर्रे की व्यवस्था को देखकर खाखी वर्दी के बड़े साहब का तेवर गर्म हो गया और सकरी सड़क पर चलती हैवी ट्रेफिक से वर्दीधारियो का विभाग ने अब इसे अपने हाथ मे ले लिया है। माईक पकड़कर बकायदा मुनादी करा दिया गया है कि सोमवार से चौड़ी सड़क के लिये फुटपाथ वालो को हटाया जायेगा और बड़ी गाड़ियो को भी साईड किया जायेगा। चौड़ी सड़क के लिये लगातार काम जारी रहेगा। किन्तु क्या वर्दीधारी साहब माथा देखकर तिलक वंदन थोड़ी ना करेंगें? यह सवाल सभी के मन मे है। फुटपाथ पर बैठने वाले तो नाली के पार बैठते है किन्तु सड़क पर बकायदा टेंट लगाकर और चौड़ा-चौड़ा स्थान पर सामान फैलाकर दुकान का सामान को सड़क पर फैलाकर रायता फैलाने वाले बड़े-बड़े चेहरे है? ऐसे मे बड़े साहब क्या ऐसे ऐसे दिग्ग्जो पर कोई कार्यवाही कर पायेगें? या छोटे-मोटे चेहरे पर कार्यवाही कर अपना पीठ थपथपायेगें? अब सोमवार से देखना है कि कड़कदार साहब का रवैया से बड़े चेहरे वाले नियमो का पालन करेगें? या बेशर्मा की तरह फिर से टेंट लगाकर अपना धंधा पानी सड़क से चलायेगें?
पड़ोसी जिला में पटवारी बदलो… यहा सब सुस्त?
पड़ोसी और पुराने मातृ जिला मे घाघ अधिकारी ने बड़े साहब का पद सम्हालते ही सबसे पहले पटवारियो की क्लास लगानी शुरू कर दिया। एक हल्के मे वर्षो से पदस्थ पटवारियो का हल्का बदलने का आदेश दे दिया और सप्ताह भर बाद हल्का के बाद ब्लाक की तैयारी करने मे लग गये है। पटवारियो के खिलाफ बड़ा एक्शन से पड़ोसी जिले के पटवारियो मे हडकंप मचा हुआ है किन्तु नया जिला मे सबकुछ शांत है यहा पर वर्षो से एक ही हल्का मे रहने वाला वही है साथ ही बदल भी रहे है तो लु़ड़ो टाईप फिर से घर वापसी हो जा रहा है। ऐसे में पिछले पदस्थापना के बाद फिर से पदस्थापना होने पर दर मे 100 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो जा रही है। ऐसे मे कसावट नये जिले मे देखने को अभी तक नही मिली है जिसकी आशा आम जनता कर रही थी। अब पुराने मातृ जिला के अनुसरण करके ही बाबूओ और पटवारियो का ही टेबल और हल्का बदल दिया जाये तो हालात में 50 फीसदी सुधार हो जायेगा। किन्तु पता नही नये जिले मे कौन ऐसा नही होने दे रहा है?
पंजा छाप वालो का डंडा संगठन वालो के साथ प्रेम?
कुछ दिन बाद एक बड़े स्तर पर अधिवेशन नये जिले मे होने वाला है। इस अधिवेशन को कराने वाले संगठन के कार्यकर्ता अपने साथ डंडा रखते है इस कारण से पाठको को ज्ञात हो गया होगा कि यहा पर किसके बारे मे बात हो रही है। किन्तु मजेदार बात यहा पर यह है कि इस संगठन वालो को यह आयोजन सफल बनाने के लिये बड़े स्तर पर संसाधन की आवश्यकता है और संसाधन के लिये हर किसी से सहयोग लिया जा रहा है। ऐसे मे अपने विचारधारा वालो से चंदामामा का राग तो अलापा ही जा रहा है साथ ही साथ विपक्षी विचारधारा के लोगो के पास भी चंदामामा की कहानी बताई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि विपक्षी विचारधारा के लोगो ने भी इस अधिवेशन आयोजन को लेकर मोटा लिफाफा का चंदामामा सौपकर नया समीकरण बनाने का प्रयास किया है। अब आगे क्या होगा? और कौन किसके ऊपर भारी पड़ता है? यह तो समय मे पता चलेगा किन्तु अभी तो यहा रामराज चल रहा है? इसी कारण से सत्ता पक्ष के खिलाफ यहा पर विपक्ष प्यार बरसाता है?
तीन आसान सवाल
1.प्रति क्विंटल कितने का रेट मे खाद्ध वाले फिक्स हुए है? समझौते मे किस अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण रही?
2.ओव्हरलोड़ वाहनो के परिचालन के लिये प्रतिमाह किस विभाग को किस दर पर भुगतान किया जाता है?
3.वन विभाग में जंगल भीतर निमार्ण कार्य में कमीशनखोरी की नई दर क्या है?