जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़ और बरमकेला अंचल में धूमधाम से मनाया गया छेरछरा पर्व, डिजिटल छेरछरा की मची रही धूम

सारंगढ़ अंचल में धूमधाम से मनाया गया छेरछरा पर्व, डिजिटल छेरछरा की मची रही धूम
फोन-पे और गूगल पे के क्यू आर कोड भेजकर मांगा गया छेरछेरा,
सोशल मिडिया मे छाया रहा छेरछेरा तिहार की बधाई और शुभकामना संदेश
आनलाईन छेरछरा मांगने वाले भी नही रहे पीछे
सारंगढ़,
सारंगढ़ अंचल में परांपरिक त्यौहार छेरछेरा की धूम मची हुई थी। कड़ाके की ठंड मे सुबह से ही बच्चो की टोली दान का महान पर्व छेरछेरा पर धान लेने के लिये थैली लेकर निकले थे। कही पर धान तो कही पर चाकलेट तो कही पर सिक्के देकर इस त्यौहार का आनंद उठाया गया। वही डिजिटल पेमेंट फोन-पे और गूगल पे सहित कई कंपनियो के क्यूआर कोड़ स्कैन कर छेरछेरा मे आनलाईन पैसा ट्रांसर्फर करने की भी निवेदन छेरछेरा मे नये रूप मे सामने आया। बहुतो ने अपने परिचितो को आनलाईन भुगतान भी छेरछेरा पर किया है।
छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध पौषपुन्नी त्यौहार छेरछेरा पर सारंगढ़ में जोरदार उत्साह रहा था। हर चौक-चौराहो मे बच्चो की टोली के साथ ही साथ युवाओ की टोली मे पारंपरिक त्याहौर छेर-छेरा में दान मांगने के लिये घरो का दरवाजा खटखटाते नजर आये। उँची आवाज मे छेरछेरा का नारा लगाते हुए बच्चो की टोली के चेहरे मे छाई मुस्कान बता रही थी कि छत्तीसगढ़ मे कितने उल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है। कड़ाके की ठंड के बीच सारंगढ़ में बाजार सूना दिख रहा था तथा हर चौक पर छेरछेरा मांगने वालो की भीड़ साफ नजर आ रही थी। छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध और लोक पारंपरिक त्यौहारों में से एक है।लोग इसे बड़े ही सादगी और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस पर्व पर किसी भी जाति धर्म का कोई प्रतिबंध नहीं है छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार सभी वर्ग जाति एवं सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं। इस दिन बच्चे टोलियों में घर-घर जाते हैं और आवाज़ देते हैं “छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा” वहीं युवाओं की टोलियाँ घूम-घूमकर डंडा नृत्य करती हैं। इस दिन माँ शाकंभरी और देवी अन्नपूर्णा की पूजा होती है। इस दिन को बहुत ही पवित्र शुभ दिन माना जाता है। छेरछेरा पर्व में पारंपरिक पकवान विशेष रूप से बनाया जाता है। छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ प्रदेश में छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति को परिभाषित करने वाला पर्व है, छेरछेरा त्यौहार आपसी भाईचारा और स्नेह प्रेम भाव का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार जब किसान अपने खेतों से फसल कटाई एवं मींजाई कर अपने घरों में भंडारण कर चुके होते हैं।तब यह पर्व पौष माह की पूर्णिमा तिथि अर्थात जनवरी के महीने में मनाते हैं।यह पर्व दान देने का पर्व है किसान अपने खेतों में साल भर मेहनत करने के बाद अपनी मेहनत की कमाई धान को दान देकर छेरछेरा त्यौहार मनाते हैं।माना जाता है कि दान देना महापुण्य का कार्य होता है।
डिजिटल छेरछेरा भी छाया रहा दिन भर
सारंगढ़ अंचल मे परंपरागत छेरछेरा त्यौहार मे थैली मे धान लेने की परंपरा के साथ ही साथ सोशल मिडिया पर आनलाईन भुगतान का डिजिटल छेरछेरा भी काफी ट्रेंड किया। आज सुबह से ही अपने फोन पे या गूगल पे सहित विभिन्न डिजिटल भुगतान करने वाली कंपनियो के क्यू आर कोड़ को एक दूसरे को भेजकर आनलाईन पैसा ट्रांसर्फर कर छेरछेरा की मांग सोशल मिडिया मे किया गया। व्हाटसअप, इस्टाग्राम, फेसबुक मैसेंजर के द्वारा क्यू आर कोड स्कैन को भेज कर छेरछेरा की ना सिर्फ डिमांग किया गया बल्कि इसके रूप मे भी छेरछेरा पर बहुत लोगो ने इस त्यौहार में अपनी भागीदारी सुनिश्चित किया। व्हाटसअप के स्टेटस और फेसबुक के पोस्ट मे आज डिजिटल छेरछेरा भी सर चढ़कर अपनी भागीदारी निश्चित किया।

बरमकेला में पारंपरिक त्यौहार छेरछेरा बड़े ही धूमधाम से मनाया गया

बरमकेला। छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध और लोक पारंपरिक त्यौहारों में से एक है।लोग इसे बड़े ही सादगी और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस पर्व पर किसी भी जाति धर्म का कोई प्रतिबंध नहीं है छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार सभी वर्ग जाति एवं सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं। इस दिन बच्चे टोलियों में घर-घर जाते हैं और आवाज़ देते हैं “छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा” वहीं युवाओं की टोलियाँ घूम-घूमकर डंडा नृत्य करती हैं। इस दिन माँ शाकंभरी और देवी अन्नपूर्णा की पूजा होती है। इस दिन को बहुत ही पवित्र शुभ दिन माना जाता है। छेरछेरा पर्व में पारंपरिक पकवान विशेष रूप से बनाया जाता है। छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ प्रदेश में छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति को परिभाषित करने वाला पर्व है, छेरछेरा त्यौहार आपसी भाईचारा और स्नेह प्रेम भाव का प्रतीक है।

छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार जब किसान अपने खेतों से फसल कटाई एवं मींजाई कर अपने घरों में भंडारण कर चुके होते हैं।तब यह पर्व पौष माह की पूर्णिमा तिथि अर्थात जनवरी के महीने में मनाते हैं।यह पर्व दान देने का पर्व है किसान अपने खेतों में साल भर मेहनत करने के बाद अपनी मेहनत की कमाई धान को दान देकर छेरछेरा त्यौहार मनाते हैं।माना जाता है कि दान देना महापुण्य का कार्य होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button