
बिना डीओ के धान संग्रहण केन्द्र से 500 बोरी धान भेजा गया जगदम्बा राईस मिल? लेकिन धान संग्रहण केन्द्र से जारी हुआ है गेट पास आवक पर्ची?

मंडी सचिव राजेन्द्र ध्रुव और उपनिरीक्षक ने किया मामले की जांच,
बिना डीओ के धान का परिवहन का मामला?
उलखर के जगदम्बा राईस मिल भेजा गया धान?
मामले में लीपापोती के आसार? बड़े खेल का हो रहा है आशंका?
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़ के धान संग्रहण केन्द्र हरदी से 500 बोरी धान लेकर जगदम्बा राईस मिल उलखर के लिये निकला ट्रक विवादो के घेरे में आ गया। बिना डीओ के संग्रहण केन्द्र से आखिर धान कैसे राईस मिल के लिये रवाना हुआ। और धान संग्रहण केन्द्र द्वारा भेजा गया धान के साथ जावक पर्ची के स्थान पर आवक पर्ची कैसे काटा गया? यह सब बड़े स्तर के खेल की ओर ईशारा कर रहा है। वही पूरे मामले में मंडी सचिव राजेन्द्र ध्रुव और उनकी टीम ने धान की जांच किया और डीएमओ से बात करने की सलाह दिया। दरअसल पूरा मामला सारंगढ़ के धान संग्रहण केन्द्र हरदी से उलखर के जगदम्बा राईस मिल के लिये 500 बोरी धान को लेकर निकला ट्रक वाहन क्रमांक सीजी 13 डी 3571 से जुडा हुआ है। धान संग्रहण केन्द्र में जो धान आता है उसको आवक पर्ची दिया जाता है किन्तु इस बार धान संग्रहण केन्द्र से उलखर के जगदम्बा राईस मिल के लिये भेजा गया धान के लिये आवक पर्ची क्रमांक 34363 दिनांक 21 नवंबर 2025 को जारी किया गया है।

राईस मिल के लिये भेजा जाने वाला धान के साथ डीओ को भी भेजा जाता है किन्तु इस वाहन मे डीओ नही था और ना ही डीओ काटे जाने के संबंध में कोई जानकारी है। ऐसे में प्रथम दृष्टया ही यह मामला संदिग्ध लगा जिसके कारण से पूरे मामले की जानकारी खाद्य विभाग को जागरूक नागरिको ने दिया जहा पर मंडी सचिव राजेन्द्र ध्रुव और मंडी की टीम से संपर्क कर पूरे मामले की जानकारी देने का सलाह दिया गया जिस पर मंडी सचिव राजेन्द्र ध्रुव, उपनिरीक्षक अंजू दिनकर, प्रीति तिर्की एवं डी.के. साहू, अर्जुन ठाकुर, जगदीश बरेठ की टीम उलखर पहुंचकर मामले की प्रारंभिक जांच किया किन्तु धान वैध है? या अवैध है? इस पर कोई प्रतिक्रिया नही दिया।
वही जागरूक नागरिको को डीएमओ आफिस से संपर्क करने का सलाह देकर मामला को रफा-दफा करते दिखे। वही राईस मिल के संचालक का दावा है कि उक्त धान शार्टेज का धान है और शार्टेज का धान को संग्रहण केन्द्र के द्वारा गेटपास देकर ही राईस मिल भेजा जाता है इसके अलावा और कोई भी कागज
नही दिया जाता है। राईस मिल के संचालक ने डीएमओ से भी बात करने की जानकारी दिया। वही सूत्र बताते है डीएमओ कल डीओ जारी हो जाने की बात कह रहे है। ऐसे मे पूरा मामला पहली ही नजर में संदिग्ध हो गया है। यहा पर सवाल यही उठ रहा है कि बिना डीओ के धान संग्रहण केन्द्र हरदी से आखिर धान जगदम्बा राईस मिल के लिये कैसे निकला? और यदि नियमानुसार सभी सही है तो
परिवहन करने वाले वाहन के साथ डीओ क्यो नही है? वही धान संग्रहण केन्द्र से निकला 500 बोरी धान के लिये जावक पर्ची काटा जाना चाहिये?

किन्तु यहा पर आवक पर्ची धान संग्रहण केन्द्र हरदी के द्वारा काटा गया है? आवक पर्ची काटकर धान को संग्रहण केन्द्र से राईस मिल के लिये कौन से विभाग भेजता है? यह भी अजीबो-गरीब हरकत है। ऐसे मे पूरा मामला पहली की नजर में बड़े खेल की ओर ईशारा कर रहा है? क्या धान संग्रहण केन्द्र का धान को वर्तमान में हो रही धान खरीदी में उपयोग करने के लिये तो नही निकाला गया है? क्या राईस मिलर्स के द्वारा शार्टेज के चावल को संग्रहण केन्द्र के धान से मिलिंग कर जमा करने के लिये उक्त प्रयास तो नही किया गया है? जो भी हो पूरे मामले की जांच जरूरी है। यदि धान संग्रहण केन्द्र हरदी द्वारा नियमानुसार 500 बोरी धान को जगदम्बा राईस मिल उलखर के लिये जारी किया गया है तो साथ मे डीओ काटकर देना था और गेटपास जावक पर्ची के साथ देना ना कि आवक पर्ची के साथ देना था? जिसके कारण से पूरा मामला पहली ही नजर में संदिग्ध नजर आ रहा है।



