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सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में क्या “सारंग महोत्सव” का परिकल्पना साकार होगा?

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में क्या “सारंग महोत्सव” का परिकल्पना साकार होगा?

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में क्या “सारंग महोत्सव” का परिकल्पना साकार होगा ?
सारंगढ़ अंचल के पास अपना विरासत को संरक्षित करने नही है कोई मंच ?
कई ऐसे आयोजन यहा होते है जो पूरे देश में प्रसिद्ध,
पान,पानी और पालगी की नगरी तरस रहा है एक मंच के लिये ?
आखिर जिला बनने के दो साल बाद भी इस दिशा में पहल क्यों नही ?

सारंगढ़,
मातृत्व जिला रायगढ़ में फिर से चक्रधर समारोह का आयोजन हो रहा है और इसकी ख्याति पूरे देश में फैल रही है। अपने जिले की कला, खेल और सांस्कृतिक आयोजन के लिये श्रेष्ठ मंच के रूप में चक्रधर समारोह पूरे उत्साह के साथ प्रारंभ हो गया है किन्तु जिला निमार्ण का दूसरी वर्षगांठ मना चुका सारंगढ़ में इस दिशा में कोई पहल तक नही हो रही है। छोटा ही सही किन्तु एक पहल होनी चाहिये.. एक आयोजन सारंग महोत्सव के रूप मे होना चाहिये ताकि सारंगढ़ की पहचान प्रदेश में विशेष रूप से
स्थापित हो सकें। नया जिला बना सारंगढ़-बिलाईगढ़ अभी तक राज्य सरकार के द्वारा उपेक्षित है किन्तु इस उपेक्षा को उदासीनता और बढ़ावा दे देती है। इस कारण से सारंगढ़ के नाम पर नये सरकार में कोई भी पहल को ब्रेक लगा दिया जाता है। कला और सांस्कृति की नगरी रायगढ़ में इस बार 39वां चक्रधर समारोह हो रहा है। जिला प्रशासन और आम जनता के सहयोग के आयोजित यह आयोजन पूरे देश मे प्रसिद्ध हो गया है। ऐसे ही एक आयोजन की परिकल्पना को साकार करने के लिये सारंगढ़ में भी पहल होनी चाहिये। सारंगढ़ भी प्राकृतिक सौदर्य और कला-संस्कृति से परिपूर्ण जिला है। यहा पर भी प्रतिभाओ की कमी नही है। किन्तु जिला बना दो साल मे एक भी आयोजन ऐसा नही रहा जिसकी ख्याति प्रदेश में हो। इस कारण से सारंगढ़-बिलाईगढ़ मे भी भव्य आयोजन की आवश्यकता महसूस हो रही है। सारंगढ़ अंचल को पान-पानी और पालगी की नगरी कहा जाता है तथा यहा के कई आयोजन को पूरे देश में विशेष रूप से जाना जाता है, किन्तु प्रशासनीक उदासीनता के कारण से यहा पर हो रहे आयोजन सिर्फ औपचारिकता हो जाते है। यहा पर प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव की ख्याति देश-विदेश में है यहा के जैसे गणविच्छेदन और कही नही होता है। किन्तु यह दशहरा महोत्सव सिर्फ यही तक सिमित है। ऐसे मे सारंगढ़ जिले के कलाकारो के लिये छोटा ही सही नवरात्री में दशहरा के पहले दो या तीन दिवसीय सारंग महोत्सव का आयोजन मिल का पत्थर साबित हो सकता है। कला और संस्कृति के लिये नये जिले मे अभी एक भी आयोजन नही हुआ है। यहा पर ढ़ोकरा शिल्प सहित कई शिल्पकला का प्रदर्शनी भी आयोजित हो सकता है साथ ही कोसा साड़ी यहा का पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त है उनका भी प्रदर्शनी लगाया जा सकता है। गोमर्डा अभ्यारण्य के प्राकृतिक सौदर्य के स्थान, महानदी के तटीय क्षेत्रो का पर्यटन स्थल के रूपे में विकास, बटरफ्लाई पार्क, माडोसिल्ली, खपान, किंकारी बांध सहित क्षेत्र के प्रसिद्ध स्थानो का प्रदर्शनी इस सारंग महोत्सव के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। सांस्कृतिक और साहित्य के क्षेत्र मे अपना प्रतिभा निखारने वालो की कमी पूरे जिले मे नही है कमी है तो उनको एक मंच प्रदान करने की है। नवरात्र का उत्सव पूरे जिले में उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जात  है। अष्टमी की नवाखाई पूरे अंचल में उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशमी को प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव का गणविच्छेदन पूरे उत्साह के साथ मनाया जा सकता है। इसी सभी दिन की कड़ी को आपस में जोड़ते हुए अष्टमी, नवमी और दशमी को मिलाकर तीन दिवसीय सारंग महोत्सव का आयोजन पूरे उत्साह और उल्लास के साथ किया जा सकता है। प्रसिद्ध सुवा नृत्य हो या नृत्य कला के माध्यम से देश-विदेश में अपना नाम और सारंगढ़ का नाम रोशन करने वालो की बड़ी टीम सारंगढ़ में तैयार हो चुकी है क्षेत्र मे कवि सम्मेलन में सारंगढ़ का नाम रोशन करने वाले आधा दर्जन से अधिक प्रभावशाली व्यक्तित्व तैयार बैठे है। ऐसे में जरूरत है यहा पर सिर्फ एक मंच प्रदान करने की और जरूरत है मजबूत पहल करने की। ऐसे में नया जिला बना सारंगढ़ अपने अंचल के लोक कलाकारो और जिले के सांस्कृति को संरक्षित करने के लिये सारंग महोत्सव की मांग तो रख ही सकता है। अब देखना है कि जिला प्रशासन सारंग महोत्सव के इस परिकल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिये क्या पहल करता है?

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