
प्राकृतिक सौदर्य से परिपूर्ण जिला मुख्यालय सारंगढ़ प्रदेश के पर्यटन के नक्शे से गायब!

नये जिले में पर्यटन को लेकर नही है कोई
विशेष योजना,
माडोसिल्ली, खपान, केकड़ाखोल, मकड़ी झरना
बुनियादी सुविधाओ की कमी से जुझ रहे,
प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण यह स्थल बन सकते
है सारंगढ़ की विशेष पहचान,
भाग-1,
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़–बिलाईगढ़ जिला बनने के तीन बरस बाद भी पर्यटन के क्षेत्र में उपेक्षित है। प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण सारंगढ़ अंचल में कई ऐसे स्थान है जो कि प्रदेश स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना सकते है किन्तु प्रदेश मे पर्यटन निति के तहत जिन जिलो को विशेष रूप से चिन्हित करके वहा के पर्यटन स्थलो को विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है उसमे सारंगढ़ का नाम नही है। गोमर्डा अभ्यारण्य और कई बांधो के साथ वर्षाकाल में प्रचुर पानी के साथ कलकलधारा साथ रखे यहा के झरने बुनियादी सुविधा होने पर प्रदेश के पर्यटन के नक्शे पर अपनी विशेष पहचान स्थापित कर सकते है।

छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन से परिपूर्ण क्षेत्रो में
अविकसित पिकनिक स्पाटो को विकसित करके पर्यटन केन्द्र बनाने की निति पर विशेष ध्यान दे रही है किन्तु इसमें सारंगढ़ क्षेत्र के पर्यटन केन्द्रो का नाम अभी तक नही है, जबकि प्राकृतिक संसाधन से पूरिपूर्ण सारंगढ़ अंचल पर्यटन के क्षेत्र मे सारंगढ़ प्रदेश में अपना अलग नाम और पहचान स्थापित कर सकता है। सारंगढ़ में पर्यटन के नाम पर पिकनिक स्पाट का नाम आता है और वर्षाकाल विशेषकर सावन माह में पिकनिक मनाकर पर्यटन की इतिश्री कर लिया जाता है किन्तु जिला मुख्यालय बन चुका सारंगढ़ में अब समय आ गया है कि पर्यटन के क्षेत्र मे इसको
विशेष ध्यान देकर छत्तीसगढ़ के पर्यटन के नक्शे पर सारंगढ़ को विशेष रूप से उभारा जाये। बात करे प्राकृतिक स्थल की तो सबसे पहला नाम माड़ोसिल्ली झरने का आता है जहा पर बीते कुछ वर्षो से वन विभाग देखरेख कर रहा है किन्तु यहा पर आने वाले स्थानीय पर्यटको के लिये एक मात्र विश्राम गृह होने तथा झरना के नीचे जाकर इसका आर्कषक नजारा देखने के लिये कोई प्रबंध तथा सुविधा नही करने से इस प्राकृतिक और सौदर्य से परिपूर्ण झरना वह नाम नही कमा पा रहा है जिसका वह हकदार है।

माडोसिल्ली झरने के प्राकृतिक दृश्य को देखने के लिये ऐसे स्थान को विकसित करना होगा जहा पर सुरक्षा का भी पर्याप्त व्यवस्था हो और प्राकृतिक झरने का आनंद भी लिया जा सकें, किन्तु यहा पर ऐसा कुछ भी नही है। इस कारण से पिकनिक स्पाट के रूप मे ही माडोसिल्ली झरना सिमटा हुआ है अभी भी यह स्थानीय पिकनिक स्पाट से उबर नही पाया है। जिला मुख्यालय के हिसाब से प्रदेश में नाम कमाने वाला झरने के रूप मे अभी प्रख्यात नही हुआ है। बुनियादी सुविधा के साथ काटेज-रिसोर्ट और अन्य सुविधाओ को बढ़ोत्तरी करने पर सभावना है कि यह स्थान प्रदेश में अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकता है। इसी प्रकार से खपान झरना भी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिये विशेष रूप से
पहचाना जाता है किन्तु इस झरने पर पहुंचने के लिये ना तो कोई रोड़ है और ना ही कोई विशेष स्थान को चिन्हित करके रेस्ट हाऊस का निमार्ण आदि की कोई योजना है जिसके कारण से सोशल मिडिया में ही लाईक और कमेंट तक यह प्राकृतिक सुंदरता रख खपान झरना सिमटा हुआ है। हालांकि यहा पर भी काफी संख्या में आज भी पिकनिक मनाने के लिये क्षेत्रवासी जाते है

किन्तु पर्यटन के परिभाषा से अभी दूर है। इसी प्रकार से के़कड़ाखोल झरना प्राकृतिक सुदंरता से परिपूर्ण रोमांचक स्थान है किन्तु 100 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाला इस झरना के पास पहुंच मार्ग तक नही है। यह गोमर्डा अभ्यारण्य के कोर जोन मे स्थित होने के कारण से यहा पर आम आदमी का प्रवेश वर्जित है। वही सारंगढ़ का मकड़ी झरना अमझर गांव के पास स्थित है। यह एक गुमनाम किन्तु रमणीय जलप्रपात है जो घने जंगलों के बीच छिपा है और इसे मकरी दरहा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता और भीड़-भाड़ से दूर शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें बारिश के मौसम में पाँच-छह अलग-अलग झरने एक साथ बहते हैं। यह कई झरनों का एक अनूठा संगम है, खासकर मानसून के चरम मौसम में, जब कई झरने एक साथ बहते हैं। यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन जगह है जो भीड़-भाड़ से दूर एक शांत और प्राकृतिक अनुभव की तलाश में हैं।
सारंगढ़ से इसकी दूरी लगभग 18-20 किलोमीटर है। इसके अलावा अधरपानी झरना भी सारंगढ़ के पर्यटन के नक्शे पर अपनी विशेष पहचान स्थापित कर सकता है। किन्तु वर्षाकाल में ही इन झरनो में पानी की प्रचुरता रहती है वर्षाकाल समाप्त होने के बाद इन झरनो मे पानी नही रहता है जिसके कारण से यह झरना प्राकृतिक सौदर्य को छोड़ देता है। विशेष बात यह है कि जब ये सभी झरने प्रचुर पानी के साथ कलकलधारा की आवाज के साथ पूरे उफान पर होते है तब गोमर्डा अभ्यारण्य मे प्रवेश बंद रहता है और जब प्रवेश शुरू होता है तब अधिकांश झरने सूख जाते है। खपान और मकडी दरहा झरना गोमर्डा अभ्यारण्य के क्षेत्र से दूर सामान्य वन मे आते है किन्तु यह भी वर्षाकाल में ही दर्शनीय होते है। ऐसे मे इन झरनो के ऊपरी क्षेत्र में मिनी स्टाप डैम बनाये जाने से इन झरनो मे पानी की प्रचुरता की कमी नही होगी और दर्शनीय स्थलो के रूप मे इन झरनो को देखने बडी संख्या मे बाहर से पर्यटन यहा आयेगें।
काटेज, गेस्ट हाऊस, रिसोर्ट, मोटल की आवश्यकता
सारंगढ़ में जिस प्रकार से प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण दर्शनीय केन्द्र है उसको यदि सही प्लानिंग के साथ विकसित किया जाये तो प्रदेश के पर्यटन नक्शे पर विशेष पहचान स्थापित हो सकता है।
प्रमुख रूप से माडोसिल्ली, खपान और मकरी-दरहा झरना के पास काटेज, गेस्ट हाऊस, रिसोर्ट या मोटल को स्थापित किया जाये तो काफी संख्या में पर्यटक की आने की संभावना है। पीपीपी माडल मोड से यहा पर इन सुविधाओ का विस्तार तथा प्रसार-प्रचार से जिला मुख्यालय सारंगढ़ अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकता है। वही पर्यटन स्थल पर सुरक्षा, निमार्ण और विकास आदि पर सुनियोजित प्लान बनाये जाने पर भी यहा काफी संख्या में पर्यटक आ सकते है। मकरी-दरहा, केकड़ाखोल और अधरपानी को बारहमासी सड़क और विकसित पर्यटन केन्द्र
बनाये जाने से इन स्थलो का विशेष नाम का प्रचार होगा और सारंगढ़ पर्यटन के नक्शे पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकता है।



