शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि पर राजस्व विभाग की मनमानी कार्यवाही?
आवेदन डीएफओ को और आदेश एसडीएम ने दिया? गजब है सारंगढ़?
प्रकरण की फाईल भी एसडीएम कार्यालय से हुई गायब?
भाग-2
सारंगढ़,
सारंगढ़ में शासकीय भूमि जो कि छोटे झाड़ के मद के रूप में दर्ज है उसको मनमानी तरीके से अभिलेख सुधार करने और या अन्य आदेश जारी करने के एक और मामला पूर्व से सामने आया है। हैरान करने वाली बात यह है कि कई बार कार्यवाही के उच्चाधिकारियो के आदेश के बाद भी इस प्रकरण पर आज तक कोई कार्यवाही नही हुई है। मामला सारंगढ़ के अग्रसेन राईस मिल के रास्ते से जुड़ा है इस अग्रसेन राईस मिल जाने वाला रास्ता छोटे झाड़ का जंगल मद की शासकीय भूमि है उसे पूर्व मे एसडीएम ने राईस मिलर्स के साथ सांठगांठ करके कागजो पर आम रास्ता घोषित कर दिया है। गत 10 सालो से अग्रसेन राईस मिल का संचालक इस रास्ता का व्यावसायिक उपयोग कर रहा है। नये जिले बनने के बाद उम्मीद है कि ऐसे मनमानी पारित आदेश के खिलाफ जिला प्रशासन कार्यवाही हेतु पहल करेगी।
सारंगढ़ तहसील के तात्कालिन पटवारी हल्का नंबर 20 मे शासकीय मल्टीपरपस स्कूल के सामने शासकीय भूमि स्थित है। यह भूमि खसरा नंबर 51, रकबा 0.906 है। यह भूमि राजस्व रिकार्ड में शासकीय भूमि है तथा छोटे झाड़ के जंगल मद के रूप मे दर्ज है। इस भूमि को अवैध रूप से पाटकर अग्रसेन राईस मिल के संचालक के द्वारा आम रास्ता के रूप मे व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था। इसकी शिकायत होने पर कलेक्टर रायगढ़ के द्वारा जांच का आदेश दिया गया किन्तु कार्यवाही से बचने से लिये प्रकरण क्रमांक 3471 वर्ष 2010-11 में 20 दिन के अंदर इस अवैध सड़क को बचाने के लिये तात्कालिक अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा इस रास्ता को महज एक आवेदन के आधार पर आम रास्ता घोषित कर दिया गया। मजे कि बात यह है कि उक्त प्रकरण क्रमांक 3471 वर्ष 2010-11 का फाईल अनुविभागीय अधिकारी न्यायालय के रिकार्ड रूप से गायब हो गया है। तीन बार नकल का आदेवन लगाने के बाद भी नकल प्रदान नही किया जा रहा है। किन्तु इस प्रकार का हथकंडा अपनाने के पूर्व ही सूचना के अधिकार के तहत पूरे प्रकरण का फोटो कापी मिडिया के पास उपलब्ध हो गया था जिसका अवलोकन करने से जो बात सामने छनकर आ रही है वह यह है कि इस छोटे झाड़ का जंगल के शासकीय भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर सड़क बनाकर उसको अग्रसेन राईस मिल के द्वारा अवैध रूप से व्यावसायिक उपयोग करने की शिकायत होने पर आनन-फानन मे एसडीएम सारंगढ़ ने 29 जुलाई 2011 के तिथि में प्रकरण दर्ज किया गया। सर्वाधिक आश्चर्य का विषय यह है कि जिन्होने इस सड़क को आम रास्ता घोषित करने के लिये आवेदन दिया था वह अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सारंगढ़ को दिया ही नही था उक्त आवेदन को उन्होने वनमंडलाधिकारी रायगढ़ को दिया था। वनमंडलाधिकारी रायगढ़ के द्वारा उक्त आवेदन के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी सारंगढ़ को पत्र के द्वारा सूचना प्रदान किया था। इस सूचना के आधार पर ही अनुविभागीय अधिकारी सारंगढ़ के द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध कर दिया गया और ग्राम पंचायत और पटवारी और राजस्व निरीक्षक को प्रतिवेदन का आदेश जारी कर दिया और महज 20 दिन बाद 19 अगस्त 2011 को आदेश पारित करते हुए इस अवैध सड़क को आम रास्ता घोषित कर दिया। इस आदेश की नकल आज तक सारंगढ़ अनुविभागीय अधिकारी नकल शाखा के द्वारा नही दिया गया है जबकि तीन बार नकल लगाया जा चुका है। वही सूचना के अधिकार के तहत पूरे प्रकरण का एक प्रति मिडिया के पास आ गया है। किन्तु उच्चाधिकारियो के कार्यालय में इस आदेश के विरूद्ध अपील न हो जाये इस कारण से पूरे प्रकरण को ही गायब कर दिया गया है।
कौन करता है इस रास्ता का उपयोग?
सारंगढ़ के शासकीय मल्टीपरपस स्कूल के सामने अग्रसेन राईस मिल के जाने के लिये जो रास्ता बनाया गया है वह शासकीय छोटे झाड़ के जंगल की भूमि है। इस रास्ता का अग्रसेन राईस मिल के संचालक के द्वारा व्यावसायिक उपयोग किया जाता रहा है। इस शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा कर रास्ता के रूप में उपयोग करने के शिकायत मिलने पर कलेक्टर रायगढ़ के द्वारा कार्यवाही का आदेश दिया गया था जिसके कारण से आनन-फानन मे इसको 19 अगस्त 2011 को आम रास्ता एसडीएम के द्वारा घोषित कर अग्रसेन राईस मिल के संचालक से सांठगांठ करके इसको अभयदान दिया गया। इस मामले मे आयुक्त बिलासपुर संभाग और कलेक्टर रायगढ़ के द्वारा भी कार्यवाही का आदेश दिया गया था किन्तु राईस मिल संचालक के द्वारा मिलीभगत करके कार्यवाही से अपने-आपको बचाने मे सफलता प्राप्त कर लिया गया था। किन्तु अब नये जिले बने सारंगढ़-बिलाईगढ़ में पुराने ऐसे प्रकरणो पर भी पर्दा उठना जरूरी है जिसमें अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के द्वारा मनमानी आदेश ना सिर्फ जारी किया गया है बल्कि उस प्रकरण को ही गायब कर दिया गया है।
शासकीय छोटे झाड़ के जंगम मद की भूमि का दुरूपयोग?
सारंगढ़ मे शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि का दुरूपयोग कोई नई बात नही है।पटवारी हल्का नंबर 20 के खसरा नंबर 224/1 क तथा 224/1 ख के 8.47 एकड़ भूमि के अभिलेख सुधार की बात हो या बात खसरा नंबर 51 का आम रास्ता घोषित करने का हो दोनो ही प्रकरण में एसडीएम और तहसीलदार को कोई अधिकार नही है कि शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि का मद परिर्वतन कर सके या इस भूमि को बिना उच्च कार्यालय के आदेश के किसी निजी व्यक्ति के नाम पर दर्ज कर सकें। किन्तु सारंगढ़ मे दो प्रकरण में ही करोड़ो रूपये के महंगी सरकारी भूमि को लेकर मनमानी आदेश जारी किया गया है।
कलेक्टर डां.फरिहा आलम से कार्यवाही की उम्मीद
सारंगढ़ के इस भूमि घोटाले में अब नया जिला बना सारंगढ़-बिलाईगढ में पूर्व में किया गया मनमानी आदेश के खिलाफ कार्यवाही की उम्मीद कलेक्टर डां.फरिहा आलम से है। अब तक मनमानी करते हुए कुछ भी आदेश जारी करने वाले अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही और वापस इस भूमि को शासकीय भूमि दर्ज कराकर उसके मूल स्वरूप में लाने संबंधी कड़ी कार्यवाही की उम्मीद कलेक्टर सारंगढ़-बिलाईगढ़ सें है। अब देखना है कि शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की शासकीय भूमि को लेकर कलेक्टर सारंगढ़ क्या कार्यवाही करती है।