
सारंगढ़ वन विभाग ने बबूल लकड़ी से भरा वाहन पकड़ा, पहले तो सांठगांठ कर मामला रफा- दफा करने का किया प्रयास, बात नही बनी तो मामला किया दर्ज?
बबूल लकड़ी को लेकर शासन के गाईड लाईन के विरूद्ध कार्यवाही?
सारंगढ़ में वन विभाग का अनोखा कारनामा, रेंजर आर.एस.बैगा की तानाशाही चरम पर?
मामले की जांच की मांग,
सांरगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़ में प्रशासनिक तानाशाही को लेकर जितनी भी घटनाएं हों सभी कम हैं। विशेष तौर पर वन विभाग में जिस प्रकार से नियम कानुनों को ताक में रखकर कानुनी धाराओं को आधार बनाकर जिस प्रकार से तानाशाही का परिचय दिया जा रहा है उसके कारण प्रशासन की छवि भी धुमिल हो रही है। मामला कुछ युं है कि दिनांक 01 सितम्बर को ग्राम पंचायत गोड़ा के युवक प्रकाश साहु ने प्रमाण पत्र जारी करते हुए कहा अपने खेत के बबुल के पेड को अन्य व्यक्ति के निजी कार्य हेतु रायपुर ले जाने की सहमति प्रदान की। उक्त प्रमाण पत्र में सरपंच गोड़ा की सील मुहर भी लगी हुई है। गाड़ी को रायपुर ले जाने के दौरान कुछ
लोगों को शक हुआ की गाडी में लकडी अथवा परिवहन अवैध है जिसके बाद रेंजर आर एस बैगा द्वारा सीजी-07 6862 माजदा वाहन को 1 तारिख शाम से ही जप्त कर लिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार शाम से जो गाडी की जप्ती बनाई गई थी उसकी जानकारी
जिला मुख्यालय में नही दी गई थी जिसके कारण मामला संदिग्ध प्रतीत होता है। इस मामले में मिली जानकारी के अनुसार वाहन में 6 चट्टा जलाउ बबुल लकडी जप्त थी। बबुल लकडी के लिये वैसे तो राजपत्र में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया है कि बबुल लकड़ी के परिवहन के लिए किसी प्रकार के पास की जरूरत नही पड़ती है। जिस प्रकार से शाम में पकड़ी गई गाड़ी की जानकारी जिला स्तर के अधिकारियों को दुसरे दिन देर शाम तक नही हो पायी थी उसे देखते हुए रेंजर के संरक्षण में बडे लेनदेन का मामला दिखाई देता है। बबुल लकड़ी को लेकर भी शासन की गाईड़ लाईन स्पष्ट है कि उक्त लकड़ी के परिवहन हेतु पास की कोई आवश्यकता नही है लेकिन वहीं अधिकारियों का कहना है कि दुसरे जिला में अगर परिवहन होता है तो ऐसे में परिवहन का पास लेना आवश्यक होता है। इस मामले में रेंजर बैगा से और एसडीओ श्रीमती अमिता गुप्ता से चर्चा की गई।
मैं डीविजन आफिस आया हुं जाकर देखता हुं- रेंजर बैगा
लगातार 6 से 7 बार कॉल करने पर रेंजर आरएस बैगा ने बहुत ही मुश्किल से फोन उठाया और बबुल लकडी परिवहन के विषय में सवाल पुछने पर कहा कि उनके पास किसी प्रकार को कोई परिवहन कागज नही है। परिवहन को लेकर राजपत्र में प्रकाशित बिंदुओं के बारे में बात करने पर उन्होने कन्नी काटने हुए कहा कि डीविजन आफिस में हुं और कार्यालय जाकर देखता हं।
मुझे मामले की जानकारी नही है- अमिता गुप्ता
इस विषय मे सब डिविजनल ऑफिसर अमिता गुप्ता से फोन पर चर्चा की कई तो उन्होने कहा कि मेरे पास इस विषय में कोई जानकारी नही आयी है। मेरे पास मामला आएगा तो देखेंगे और जो नियम होंगे उसके तहत कार्यवाही करेंगे।
देर शाम को बनाया गया जप्ती का मामला
इस विषय में 1 सितम्बर की शाम पकड़े गए वाहन पर 2 सितम्बर की देर शाम को कार्यवाही की गई। स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि पहले गाड़ी चालक पर किसी प्रकार का दबाव बनाने का प्रयास किया गया है और जब आखिर में उनको कुछ नही मिला तो देर शाम में कार्यवाही की गई। वन विभाग में तानाशाही अपने चरम पर- मयूरेश केशरवानी
इस मामले में नगर पालिका पार्षद और भाजपा जिला मिडिया प्रभारी मयूरेश केशरवानी ने कहा कि वन विभाग के द्वारा लगातार तानाशाही का परिचय दिया जा रहा है और जिन लकड़ियों के परिवहन को शासन स्तर पर छूट प्रदान की गई है उन लकड़ियों पर भी जबरन अवैध वसुली की जा रही है। इस मामले में संबंधित संलिप्त अधिकारियों की सिलसिलेवार शिकायत वन मंत्री श्री केडार कश्यप जी से की जाएगी। सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में खासकर वन विभाग की अवैध वसुली अपने चरम पर है जिसके कारण आम व्यक्ति बहुत ज्यादा हलाकान और परेशान है।
इस मामले में आगे क्या
सवाल यह भी उठता है कि आखिर बबूल लकड़ी परिवहन पर वन विभाग इस कदर क्यों कार्यवाही कर रहा है और पुरे 24 घण्टे से अधिक समय तक उच्च अधिकारियों को क्यों जानकारी प्रदान नही की गई। अगर नियमों की बात करें तो बबुल के साथ कुछ और भी चुनिंदा वनोपज हैं जिन्हे शासन द्वारा पास मुक्त परिवहन में दायरे में लिया गया है लेकिन अन्य जिला परिवहन पर परमिट की बात कहकर उक्त वाहन की जप्ती बनाई गई है ऐसे में अब जिला अधिकारी द्वारा या तो चालानी कार्यवाही होगी या फिर जुर्माना लगाया जाएगा।
दुसरी तरफ सड़क के लिए कट रहे वृक्षों की लगातार हो रही चोरी
इस मामले के अलावा दुसरा मामला भी वन विभाग और लकडी तस्करों के बीच रिश्तों की पोल खोलता दिख रहा है। हरदी से सारंगढ़ होते हुए दानसरा तक बनने वाली सड़क के लिए इन दिनों शासन के नियमानुसार 34 पेड़ों को चिन्हांकित किया गया है और लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है। नियम के अनुसार पेड़ो की कटाई के बाद उनको डीपो ले जाया जाना है लेकिन पेड़ों के कटने के बाद वह वही पर ही रखा हुआ है। जिसके कारण से वहा पर खुले आम पेड़ों की चोरी हो रही है वह किसी से छिपी नही है। वन विभाग में हो रहे अंतहीन भ्रष्ट्राचार और तानाशाही पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है।