सन 1967 में हुई थी पशु औषधालय की स्थापना
सन 2013 -14 में पशु चिकित्सालय में हुआ उन्नयन
लक्ष्मी नारायण लहरे
कोसीर । ग्राम कोसीर रायगढ़ जिले का सबसे बड़े गांव के अंतर्गत आता था ।यह गांव एक ऐतिहासिक नगरी है जहां 11 वीं शताब्दी की ऐतिहासिक माँ कोशलेश्वरी की देवी मंदिर है। रायगढ़ जिला से अब वर्तमान में सारंगढ -बिलाईगढ़ जिला में यह गांव आता है । वर्तमान की कांग्रेस सरकार और सारंगढ विधानसभा की लोकप्रिय विधायक श्रीमती उत्तरी गनपत जांगडे के अथक प्रयास से आज कोसीर को उप तहसील के दर्जा मिल गया है ।
कोसीर गांव में पशु औषधालय सत्र 1967 में स्थापना हुई थी उस समय यह औषधालय का भवन खपरैल की छज्जे रही ।जब यहां औषधालय की स्थापाना हुई तो सर्वप्रथम सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्रधिकारी के रूप में डॉ श्रीवास्तव रहे उनके बाद डॉ बाल गोविंद राम और उनके बाद डॉ आर त्रिपाठी ,डॉ चीनी लाल पटेल ,डॉ आशा राम चौहान ,डॉ लक्ष्मी प्रसाद बघेल ,डॉ आशा राम चौहान और डॉ कुंज राम रत्नाकर वर्तमान में पशु औषधालय में अपनी सेवा दे रहे हैं । डॉ कुंज राम रत्नाकर 2008 से कोसीर में है 1 माह 13 दिन बाद वे सेवा नृवित्त हो जाएंगे वे यहाँ 14 वर्ष से अपनी सेवा दे रहे है। वही पशु औषधालय से पशु चिकित्सालय में सत्र 2013 -14 में उन्नयन हुआ और 2013 में पशु चिकित्सालय के पहले प्रभारी पशु चिकित्सक सहायक संलग्न डॉ प्रमोद कुमार कोसरिया रहे और उनके बाद प्रभारी के रूप में डॉ सविता पटेल ,डॉ सुनील जोल्हे और वर्तमान में 2019 से डॉ राजेश भास्कर कोसीर पशु चिकित्सालय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं ।
इस तरह कोसीर के इतिहास को देखें तो 1967 से अब तक भवन के लिए विभाग ने सुध नहीं लिया । वर्तमान में जिस भवन में डॉ बैठते हैं वह भवन जर्जर स्थिति में है जो अब मर्ज की हालत में है भवन 1990 के आस पास बना है उस समय कोसीर के सरपंच श्री अवध राम बनज हुआ करते थे इस भवन को बने 32 वर्ष गुजर गए और यह भवन आज जर्जर हो गई है । भवन निर्माण के सम्बंध में यहां पदस्थ डॉक्टरों ने अपने विभाग को कई बार विभागीय पत्र के माध्यम से अवगत कराएं पर आज तक उन्हें भवन नहीं मिल सका । आखिर विभाग ने क्यों ध्यान नहीं दिया यह बात विचारणीय है।
उम्मीद है अब नए जिले बनने के बाद कोसीर को नया आयाम मिल सके । आखिर इस जर्जर भवन में अधिकारी और कर्मचारी कब तक काम करेंगे यह बात गर्भ में छुपी है ।

