जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

नौकरी से बेदखल करने के बाद आज तक बहाल नही, परेशान पिड़ित युवक ने परिवार सहित मांगी इच्छामृत्यु की अनुमति, अनुकंपा नियुक्ति दिया गया था फिर निकल दिया गया था..

सहायक शिक्षक रहे चंद्रशेखर रात्रे आज भी नौकरी के लिये दर-दर भटक रहे?
सहायक शिक्षक के पद पर पहले पोस्टिंग किया गया, फिर कर दिया गया बाहर,
न्यायालय में शिक्षाकर्मी के पद पर नियुक्ति देने का दिया गया था जवाब
किन्तु आज पर्यन्त तक नही दिया गया नौकरी,
घर-जमीन सब बिक गया चंद्रशेखर रात्रे का, भोजपुर भलवाही का निवासी है चंद्रशेखर



सारंगढ़,
सारंगढ़ निवासी चंद्रशेखर रात्रे को 1998 में उनके पिता की आकस्मिक मृत्यु होने पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किया गया था किन्तु 45 दिन बाद से ही सेवा से पृथक कर दिया गया। जिसके बाद नौकरी के लिये दर-दर भटक रहा हूं। वही माननीय न्यायालय मे शिक्षा अधिकारी के द्वारा शिक्षाकर्मी के पद पर नौकरी देने का जानकारी कोर्ट को दिया गया था किन्तु आज पर्यन्त तक नौकरी नही दिया गया। इससे परेशान होकर आवेदक चंद्रशेखर रात्रे ने परिवार सहित ईच्छामृत्यु की अनुमति देने की मांग किया है।
इस संबंध में सारंगढ़ निवासी चंद्रशेखर रात्रे ने बताया कि उसे जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ म.प्र. द्वारा दिनांक 02/02/1998 को सहायक के पद पर प्राथमिक शाला छिंद विकास खण्ड सारंगढ़ जिला रायगढ़ (म.प्र.) छ0ग0 मे अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान किया गया था। दिनांक 07/02/1998 से मै शालेय कार्य में संलग्न रहा इसी दर्मियान म.प्र. शासन स्कूल शिक्षा विभाग के एक आदेश के तहत मुझे दिनांक 24/03/1998 को सहायक शिक्षक के पद से पृथक कर दिया गया। उक्त आदेश के विरूद्ध मेरे द्वारा माननीय प्रसाशनिक न्यायधीकरण जबलपुर मे आवेदन प्रस्तुत किया जिसे प्रसाशनिक न्यायधीकरण द्वारा ओ.ए.700/98 पंजीबद्ध कर मेरे पक्ष मे दिनांक 26/03/1998 को स्थगन आदेश दिया गया फलस्वरूप मुझे पुनः शासकीय प्राथमिक शाला छिंद मे सहायक शिक्षक के पद पर कार्य भार ग्रहण कराया गया। माननीय प्रसाशनिक न्यायधीकरण जबलपुर म.प्र. मे लंबित पत्र आवेदन कमांक ओ.ए.700/ 1998 के जवाब में प्रस्तुत किये जाने पर सर्व प्रथम जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा यह जवाब प्रस्तुत किया गया कि दिनांक 01/01/1996 से शिक्षक / सहायक शिक्षक एवं व्याख्याता के सभी प्रकार की भर्ति सिधी नियुक्ति, सामान्य नियुक्ति, अनुकम्पा नियुक्ति, विशेष नियुक्ति पर स्पष्ट रोक आदेश है बाद मे पुनः जवाब प्रस्तुत कर जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ द्वारा स्पष्ट किया गया कि सहायक शिक्षक के म.प्र. के आदेश क्रमांक ओ.ए.700/1998 में पारित आदेश दिनांक 26/10/1999 को स्थिर रखकर पुष्टि की गई है। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश दिनांक 7/02/2000 के तहत मुझे जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ म.प्र. द्वारा दिनांक 24/03/2000 को सहायक शिक्षक के पद से पूर्ण रूपेण पृथक कर दिया गया तब से मैं पूर्णतः बेरोजगार होकर आर्थिक कठिनाईयों का सामना करते हुये माननीय प्रसाशनिक न्यायाधीकरण के आदेशानुसार जिला शिक्षा अधिकारी को 01/6/2000 को विधिवत निर्धारित प्रपत्र में शिक्षाकर्मी वर्ग के पद हेतु आवेदन किया परंतु आज दिनांक तक माननीय न्यायालय के आदेशानुसार मुझे शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर नियुक्ति नही दी गई।प्रसाशनिक न्यायधीकरण के आदेश कियान्वयन के पालन नही होने से मेरे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर छ०ग० मे पुनः एक रिट याचिका कमांक 3687 / 2003 पक्षकार चन्द्रशेखर विरूद्ध छ०ग० शासन एवं 3 अन्य के रूप मे प्रस्तुत की गई जिसे ग्रहण कर उचित सुनवाई उपरांत दिनांक 25/09/2013 को 4 माह के भीतर शिक्षकर्मी वर्ग 3 में नियुक्ति प्रदान किये जाने का आदेश उत्तरवादीगण को दी गई जिसका भी आज दिनांक तक अनुपालन नही किया गया है।
पिड़ित चंदेशेखर रात्रे ने बताया कि उसके अपने पूर्व पद पर ही बहाल किया जाये, जिसके पक्ष मे उन्होने जानकारी दिया कि म.प्र. शासन की शिक्षा विभाग के एक परिपत्र दिनांक 01/06/1994 के अनुसार अनुकम्पा नियुक्तिकर्ता अधिकारी को आवेदन पत्र प्राप्त होने के 30 दिवस के भीतर नियुक्ति देना अनिवार्य किया गया था जबकि मेरा नियुक्ति 72 दिनो के बाद अनुकम्पा नियुक्ति दिया गया था। अगर मेरी भी अनुकम्पा नियुक्ति 30 दिवस के भीतर होता तो मेरा नियुक्ति निरस्त नही होता अगर मे दिनांक 01/01/1998 वाला आदेश से प्रभावित हो रहा हूँ तो मुझे भी 10 जून 1994 वाला आदेश का लाभ देते हुये बहाल कर दिया जावे। प्रसाशनिक न्यायाधिकरण जबलपुर म.प्र. के आदेश दिनांक 26/10/1999 एवं माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर छ०ग० के आदेश दिनांक 25/09/2013 के अनुसार कमशः 3 एवं 4 महिने नियुक्ति देने का आदेश पारित हुआ था लेकिन मुझे इन आदेशों के बावजूद शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पदो का नियुक्ति नही दी गई। छ०ग० शासन सामान्य प्रशासन मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर 1000 के आदेश दिनांक 01/08/2018 के अनुसार शासन के समस्त विभागों को निर्देशित किया गया था अधिनस्थ कार्यालयो मे अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणो का निराकरण दिनांक 14/09/2018 तक करना सुनिश्चित किया गया था एवं समस्त विभागो दिनांक 30/09/2018 तक सामान्य प्रशासन विभाग को इस आशय का प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से भेजा जाये कि उनके विभाग मे लंबित अनुकम्पा नियुक्ति के सभी मामलो का निराकरण कर दिया गया है. लेकिन हमे क्यों वंचित रखा गया। छ०ग० शासन स्कूल विभाग के आदेश दिनांक 23/07/2020 के अनुसार प्रदेश में कार्यरत शिक्षक जिनकी सेवा 2 वर्ष एवं उससे अधिक सेवा अवधि पूर्ण करने वालो को स्कूल शिक्षा विभाग मे संविलयन किया गया है। मै भी तो दिनांक 07/02/1998 से 24/03/2000 तक लगभग 26 माह तक सहायक शिक्षक के पद एवं वेतनमान पर कार्य कर चूका हूँ उसका भी मुझे लाभ दिया जावे। मुख्य मंत्री छ0ग0 के पत्र क्रमांक 2500721004595/ मु.मं. नि./ 2021 दिनांक को सहायक शिक्षक के पद पर बहाली एवं मुवाव हेतु संबंधित अधिकारी को आदेशित किया था जिस पर कोई कार्यवाही नही होने से पुनः मुख्य मंत्री एवं राज्यपाल महोदया से शिकायत किया हूँ फिर भी आज पर्यन्त तक मेरा प्रकरण का निराकरण नहीं किया है। भोजपुर वार्ड क्रमांक 02 सारंगढ मे मेरा खुद का जमीन खसरा नं० 132 / 2 रकबा 0.0290 भूमि था जिसमे प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत मेरे पत्नी के नाम पी.एम. आवास नगर पालिका सारंगढ द्वारा मकान बनाने हेतु आदेश किया था मेरा प्रकरण निराकरण न होने से मजबूरी वश विक्रय करना पडा और प्रधान मंत्री आवास भी निरस्त हो गया जिसके कारण मेरा मकान भी नही बन पाया। वही उन्होने बताया कि उसका आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है मेरे उपर मेरे परिवार की जिम्मेदारी है मेरे पास आय का कोई अन्य साधन नही है जिससे की मैं अपने तथा अपने परिवार का भरण पोषण कर सकूं मेरा इन वर्षों मे समस्त चल व अचल संपत्ति बिक चूका है तथा मेरे उपर लाखो रूपये की उधारी है अब स्थिति यह कि मै खुले आसमान बस स्टेशन रेल्वे स्टेशन मे रहने के लिये मजबूर हूँ मेरे दो बेटिया राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी है जो सोना व चांदी विजेता है उनके जरूरतो का सामान समय में उपलब्ध नहीं करा पाता हूँ यदि मैं अपनी बेटियो का समय पर उनकी इच्छाओं को पूर्ति करता हूँ तो हो सके तो मेरी बेटियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी होते लेकिन अब इसकी भरपाई करना असंभव है। मैं अभी वर्तमान मे विश्व स्तरीय महामारी कोविड19 तथा अन्य समस्याओं से पूरी तरह से ग्रसित हूँ कुल मिलाकर मै अब इस परेशान जिंदगी से तंग आ चूका हूँ।
प्रार्थी चंद्रशेखर रात्रे ने बताया कि उसे सहायक शिक्षक के पद पर बहाल करते हुये वरिष्ठता पदोन्नति कमोन्नति वेतन सहित देने की कृपा करें या कि स्थिति में उचित मुआवजा दिया जावे ताकि मै भी सुचारू रूप से जीवन यापन कर सकू या मुझे व मेरे परिवार सहित ऐसा कोई मौत दी जाये कि हमारी आत्मा को सुकुन व शांति मिल सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button