गांव-गांव में 100 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से धंधा करने वाले अवैध सूदखोरों की बाढ़!
बिना पंजीयन के सूदखोरी करने वाले मनमानी वसूल रहे ब्याज?
छत्तीसगढ़ साहूकारी अधिनियम के तहत पंजीयन शून्य?
पंजीकृत साहूकार ले सकते है 15 फीसदी ब्याज?
अवैध रूप से ब्याज का धंधा करने वाले दर्जनो चेहरे सक्रिय?
जिले के बरमकेला थाना में अवैध साहूकार पर मामला दर्ज,
ब्याज के दलदल में फंसने वाले फिर नही निकल पाते?
भाग-1
सारंगढ़,
नवगठ़ित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में सूदखोरी करने वालो का आतंक सर चढ़कर बोल रहा है। राज्य शासन के ने साहूकारो के लिये पंजीयन अनिवार्य किया है और बिना पंजीयन के सूदखोरी करने वालो के लिये छत्तीसगढ़ साहूकारी अधिनिधिम में सजा का प्रावधान किया है किन्तु गांव-गांव में ब्याज का धंधा काफी फल-फूल रहा है। दस प्रतिशत मासिक तथा सौ फीसदी वार्षिक ब्याज की दर से भोले-भाले ग्रामीणो को सूदखोरी के जाल में फंसाने के बाद मनमानी दर पर सूद वसूलने वाले गिरोह सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के गांव-गांव में मिल जायेगें। ऐसे ही एक मामले मे बरमकेला थाना मे आरोपी पर छत्तीसगढ़ साहूकारी अधिनियम के धारा 4 के तहत अपराध भी पंजीबद्ध किया गया है जिसके बाद सूदखोरी का अवैध धंधा करने वालो में हडकंप मचा हुआ है।
शादी-बिमारी या अन्य अर्जेट आवश्कता होने पर नगद उधारी देने वाले साहूकारो की संख्या हर गांव में विराजमान हो गई है। किन्तु उधारी के एवज में ब्याज के नाम पर मनमानी वसूली की शिकायते दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है इस कारण से इस पर लगाम लगाने के लिये छत्तीसगढ़ साहूकारी अधिनियम बनाया गया है जिसमे साहूकारी का धंधा करने वालो को इस नियम के तहत पंजीयन कराना अनिवार्य है। किन्तु नवगठ़ित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले मे साहूकारी का धंधा मे पंजीयन जीरो है? किन्तु साहूकारी का धंधा करने वाले शहर के हर वार्ड में मिल जायेगे वही ग्रामीण क्षेत्र मे भी लगभग हर गांव मे साहूकार ठेठ के साथ अपना कारोबार चलाते हुए आसानी से मिल जायेगें। ब्याज के गोरखधंधा अब बड़ा व्यवसाय बन चुका है। अंचल के भोले-भाले ग्रामीण घर मे शादी-विवाह अथवा बिमारी के ईलाज के नाम पर तात्कालिन सहयोग के लिये सूदखोरो से उधारी मे नगद रकम लेते है किन्तु इसका परिणाम उनको काफी भुगतना पड़ता है। स्थिति को देखते हुए सूदखोरो के द्वारा ब्याज का दर निर्धारण किया जाता है। बेबस और लाचार व्यक्तियो से मासिक ब्याज 10 प्रतिशत मासिक तक भी वसूल लिया जाता है वही कई स्थान ऐसे है जहा पर मूलधन से दो गुना अधिक ब्याज वसूलने के बाद भी मूलधन बाकि निकलता है। ऐसे मे ब्याज के गोरखधंधा से कई लोगो अपनी संपत्ति मे कई गुना वृद्धि करने मे सफल हो जाते है तो ब्याज मे रकम उठाने वालो का जमीन-जायदाद बिक भी जाता है किन्तु उधारी को चुकता नही कर पाते है। लगभग हर गांव में उच्च दर पर ब्याज के लिये नगद रकम उधार मे देने वाले सक्रिय है। इस गोरखधंधे में कुछ चेहरे सहयोगात्मक रवैये के भी है जो मार्केट में चल रहे 2 फीसदी के ब्याज दर पर बराबर रकम उधार मे देकर अपनी छबि अच्छे बनाये है किन्तु अवैध रूप से ब्याज की मनमानी दर लगाकर वसूली करने वालो की संख्या लगातार बढ़ रही है।
यह है नियम, लेकिन पालन नही होता
बिना लाइसेंस के कोई भी साहूकारी नहीं कर सकता। छत्तीसगढ़ मनी लैंडर्स एक्ट के प्रावधानों के अंतर्गत साहूकार अपना स्टेटमेंट आफ अकाउंट अनुविभागीय अधिकारी के यहां दाखिल करेंगे। किसी भी परिस्थिति में साहूकारी का व्यवसाय करने वाले व्यक्ति किसी एजेंट, असामाजिक तत्व के माध्यम से या स्वयं अवैधानिक तरीके से जोर-जबरदस्ती, धमकी या प्रताड़ना के माध्यम से वसूली नहीं कर सकता, बल्कि मात्र सिविल कोर्ट, धारा 89 सीपीसी अन्य विधिक प्रावधानों के अंतर्गत ही डिक्री द्वारा ही वसूली की जा सकती है। समिति के अनुविभागीय अधिकारी सचिव संबंधित तहसीलदार होंगे। इस समिति पर कार्यान्वयन की जिम्मेदारी होगी
कर्जा लेने वाला धमकी-चमकी से परेशान?
पुलिस और प्रशासन के नाक के नीचे बड़े राजनीतिक पहुंच व प्रशासन में पकड़ रखने वाले लोगो, अधिकारी,व्यापारियों के अवैध पैसे को निचले स्तर पर इस कारोबार में लगाया गया है। सही समय पर कर्ज व ब्याज नहीं चुकाने पर गिरवी रखी वस्तु को बेचना, गाली गलौच करना ,मारना,डराने का कार्य कर मानसिक रूप से शोषण किया जा रहा है। गरीब ब्याज के चक्र में फंस कर खुद को नुकसान पहुंचाने या गांव छोड़ कर चले जाने में मजबूर हो गया है।
कर्मचारियों को बनाते हैं निशाना
सूदखोरों से आसानी से पैसा मिल जाता है। सो, लोग इनके चंगुल में फंस जाते हैं, मगर दूरगामी परिणाम भयंकर होते हैं। इनकी ब्याज अब तक कई परिवारों को तबाह कर चुकी है। नवीन जिले में पंजीकृत सूदखोर की संख्या शून्य है, किन्तु अवैध सूदखोरों की संख्या 100 से भी ज्यादा है। अंचल के सूदखोर न सिर्फ गरीब बस्तियों को टार्गेट करते हैं, बल्कि इनकी नजर तृतीय श्रेणी, चतुर्थ श्रेणी के राज्य सरकार के कर्मचारी एवं प्राईवेट कर्मचारी के साथ ही मध्यवर्गीय परिवार होता है, जिससे इन्हें धमकाकर वसूली करने में आसानी हो जाती है।
कोर्ट से भी वसूली नहीं
जानकारों की माने तो प्रदेश में साहूकार अधिनियम, 1934 में संशोधन किया गया है। संशोधन के अनुसार साहूकारी के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। यदि कोई गैर लाइसेंसी साहूकार ऋण देता है तो, ऐसे सभी ऋण प्रदेश साहूकार अधिनियम, 1934 में प्रस्तावित नए प्रावधानों के अनुसार शून्यवत समझे जाएंगे। किसी भी न्यायालय के माध्यम से ऐसे कर्जे की वसूली भी नहीं की जा सकेगी।
बरमकेला थाना में छ.ग.साहूकारी अधिनियम के तहत अपराध दर्ज
नवीन जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में छ.ग.साहूकारी अधिनिधम के धारा 4 के तहत पहला मामला पंजीबद्ध हुआ है। सूदखोर के खिलाफ बरमकेला पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इस संबंध में रमेश पटेल ने बताया कि वह जे.सी.बी. सी. डी. एक्स पंजीयन क्रमांक ओ.डी. 17 टी – 3092 का पंजीकृत स्वामी है उसको रकम की आवश्यकता होने के कारण वह विकास अग्रवाल पिता जयप्रकाश अग्रवाल निवासी बरमकेला के पास अपने बोलेरो वाहन को गिरवी रखकर 3,00,000/- रुपये दिनांक 02.09.2021 को उधार लिया था जिसपर विकास अग्रवाल को 20,000/- रुपये प्रतिमाह ब्याज अदा करना था एवं 2 माह ब्याज की राशि अदा नही करने पर प्रतिमाह 25,000 /- रुपये ब्याज अदा करने हेतु विकास के द्वारा रमेश को कहा गया था। रमेश के द्वारा समय पर विकास अग्रवाल को ब्याज की रकम भुगतान न करने के कारण विकास एवं उसके भाई द्वारा रमेश के पास आकर गाली गलौच एवं मारपीट की धमकी देकर गिरवी रखे गये बोलेरो वाहन को वापस कर दिया एवं रमेश के हक स्वामित्व की वाहन जे.सी.बी. सी. डी. एक्स पंजीयन क्रमांक ओ.डी. 17 टी – 3092 एवं वाहन के मूल दस्तावेज आर.सी. बुक को अपने साथ ले गये तथा दिनांक 24.03.2022 को विकास के द्वारा रमेश से बलपूर्वक एवं दबाव पूर्वक 100/- रुपये के स्टांप में इकरारनामा / बिक्रीनामा बनाकर हस्ताक्षर करवा लिया तथा उक्त जे.सी.बी. को अपने पास रख लिया है। रमेश पटेल के स्वामित्व के उक्त जे.सी.बी. वाहन चोला मंण्डलम कंपनी से फायनेंस कराकर क्रय किया है जिसका किश्त भी विकास अग्रवाल द्वारा जमा नही किया जा रहा है जिसके कारण रमेश पटेल के विरूद्ध फायनेंस कंपनी द्वारा कभी भी विधिक कार्यवाही की जा सकती है जिसके कारण रमेश को अनेक मामलों मुकदमो का सामना करना पडेगा। रमेश पटेल ने बताया कि उसके द्वारा कभी भी अपने स्वामित्व के जे.सी.बी. वाहन को विकास के पास कभी भी विक्रय नहीं किया गया है बल्कि विकास द्वारा बल पूर्वक आवेदक तथा उसके परिवार वालों को डरा धमकाकर लिखापढी करवाया गया है। पुलिस जांच में इस बात की खुलासा हुआ कि विकास अग्रवाल साहूकारी का लायसेंस लिये बिना बगैर ब्याज पर उधार रकम देता है और अनाप शनाप ब्याज लगाकर ब्याज की वसूली किया है। बरमकेला पुलिस ने रमेश पटेल की शिकायत पर आरोपी विकास अग्रवाल पिता जयप्रकाश अग्रवाल के खिलाफ छ.ग.साहूकारी अधिनियम की धारा 4 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना मे ले लिया है।