जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

रद्द हो सकती है सारंगढ़ के एक दिव्यांग स्कूल की मान्यता: जांच में सामने आई कई खामियाँ, शासन के मानकों पर नहीं उतर रही खरा

रद्द हो सकती है सारंगढ़ के एक दिव्यांग स्कूल की मान्यता: जांच में सामने आई कई खामियाँ, शासन के मानकों पर नहीं उतर रही खरा

रद्द हो सकती है सारंगढ़ के एक दिव्यांग स्कूल की मान्यता: जांच में सामने आई कई खामियाँ, शासन के मानकों पर नहीं उतर रही खरा

सारंगढ़, छत्तीसगढ़ | सारंगढ़ टाइम्स विशेष रिपोर्ट

सारंगढ़ स्थित एक दिव्यांग विद्यालय की मान्यता रद्द हो सकती है। हाल ही में जिला व प्रदेश स्तरीय समिति द्वारा की गई जांच में इस स्कूल के संचालन में कई गंभीर खामियाँ उजागर हुई हैं। शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक, बुनियादी और सामाजिक मानकों पर विद्यालय खरा नहीं उतरता, जिससे दिव्यांग बच्चों के अधिकारों का खुला हनन हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार जांच में दर्जनों खामियाँ सामने आयी हैँ,

सूत्रों के अनुसार, जिला समिति की रिपोर्ट में स्कूल के शिक्षकीय स्टाफ की कमी, प्रशिक्षित विशेष शिक्षकों का अभाव, शैक्षणिक सामग्री की अनुपलब्धता, स्वच्छ शौचालय व पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी, और बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी अनदेखी जैसी दर्जनों खामियाँ दर्ज की गई हैं। वहीं इस मामले मे एक अधिकारी के बताये अनुसार, “विद्यालय में कई व्यवस्थाएँ केवल कागज़ों पर चल रही हैं। वास्तविकता में बच्चों के लिए जरूरी विशेष संसाधनों और माहौल की भारी कमी है।”

हाईकोर्ट की नजर प्रदेश की सभी दिव्यांग स्कूलों पर

हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य भर के दिव्यांग स्कूलों की स्थिति पर सख्त रुख अपनाते हुए शासन से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक स्कूल की जांच कर आवश्यक मानकों के अनुसार पुनर्मूल्यांकन किया जाए। इसी कड़ी में सारंगढ़ के दिव्यांग स्कूल की भी जांच की गई, जिसकी रिपोर्ट में गंभीर लापरवाहियाँ सामने आईं जिसके कारण कहा जा सकता है की आने वाले दिनों मे मान्यता रद्द ना हो जाये, हालांकि अभी भी उक्त स्कुल के पास सुधार की संभावनाएं हैँ।

सारंगढ़ टाईम्स की टीम कर रही लगातार पड़ताल

सारंगढ़ टाइम्स की टीम इस पूरे मामले पर पैनी नजर बनाए हुए है और लगातार ज़मीनी स्तर से सूचनाएँ एकत्र कर रही है। वहीं इस मामले मे कई लोगों से भी चर्चा की गयी तो उन्होंने बताया की अगर शासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो यह सिर्फ एक संस्था की विफलता नहीं, बल्कि समाज के सबसे संवेदनशील वर्ग—दिव्यांग बच्चों—के साथ अन्याय होगा। उनके अधिकारों और गरिमा की रक्षा करना हम सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी है। शासन को आवश्यकता सुधारों के साथ कड़ाई पूर्वक स्कुल संचालन करवानें की आवश्यकता है।

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