जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

उपपंजीयक कार्यालय का सरिया में खुलने की घोषणा से बरमकेला और डोंगरीपाली अंचलवासियो का झलक रहा है दर्द?

उपपंजीयक कार्यालय का सरिया में खुलने की घोषणा से बरमकेला और डोंगरीपाली अंचलवासियो का झलक रहा है दर्द?

उपपंजीयक कार्यालय का सरिया में खुलने की घोषणा से बरमकेला और डोंगरीपाली अंचलवासियो का झलक रहा है दर्द?

व्यावहारिक रूप से बरमकेला में खुलना चाहिये उपपंजीयक कार्यालय,
लगातार उपेक्षा से बरमकेला-डोंगरीपाली अंचल मे आक्रोश?

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/बरमकेला,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक अंतर्गत आने वाले ग्राम डोंगरीपाली के लोग इन दिनों खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। रजिस्ट्री कार्यालय के सरिया में खुलने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है। डोंगरीपाली से सरिया की दूरी 40 किलोमीटर है जबकि बरमकेला 26 किलोमीटर दूर है, इसके बावजूद लोगों का मानना है कि यदि यह कार्यालय बरमकेला में खोला जाता, तो दोनों ही क्षेत्रों के लोगों को ज्यादा सुविधा मिलती।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह निर्णय पूरी तरह से राजनीतिक हितों को ध्यान में रखकर लिया गया है। रजिस्ट्री कार्यालय को विधायक रायगढ़ एवं वर्तमान वित्त मंत्री ओपी चौधरी के विधानसभा क्षेत्र सरिया में खोलना, लोगों के अनुसार, क्षेत्रीय भेदभाव को दर्शाता है। बरमकेला और डोंगरीपाली के लोगों को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उन्हें विकास के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। बरमकेला क्षेत्र में चाय की टपरियों और चौक-चौराहों पर चर्चा का विषय यह बन चुका है कि आखिर क्यों अनुविभागीय कार्यालय की मांग वर्षों से पूरी नहीं हो सकी। पांच वर्षों के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार भी बरमकेला को एसडीओ स्तर का दर्जा नहीं दिला सकी। अब सवाल उठ रहा है कि क्या भारतीय जनता पार्टी
इस मांग को पूरा करेगी या फिर यह भी महज चुनावी वादों तक सीमित रह जाएगा?
स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं में भी इस मुद्दे को लेकर असंतोष है। बरमकेला और डोंगरीपाली जैसे क्षेत्रों में विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं, और वित्त मंत्री से सीधे संवाद की गुंजाइश भी नहीं बन रही है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इन क्षेत्रों को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है? बरमकेला के नागरिकों का आरोप है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद इस क्षेत्र को विकास कार्यों से वंचित कर दिया गया है। वहीं, सरिया में तेजी से हो रहे विकास कार्यों को देखकर यह भेदभाव और
स्पष्ट हो जाता है। सरिया की नगर पंचायत में रात में उजाले की चकाचौंध दिखाई देती है, जबकि बरमकेला अब भी अंधेरे में डूबा हुआ नजर आता है। स्थानीय जनता पूछ रही है कि क्या उन्हें केवल वोट देने के समय ही याद किया जाता है? रजिस्ट्री कार्यालय जैसे मूलभूत सुविधा का मुद्दा अब एक बड़ा राजनीतिक सवाल बन चुका है।
क्या यह केवल चुनावी राजनीति है या फिर सचमुच डोंगरीपाली और बरमकेला के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा  है? बरमकेला की जनता जानना चाहती है कि क्या उनके हक की बात करने वाला कोई नेता है या नहीं। अगर विकास कार्य केवल राजनीतिक समीकरणों पर आधारित होंगे, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ होगा। अब देखना होगा कि सरकार इस नाराजगी को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या वाकई इन उपेक्षित क्षेत्रों को उनका अधिकार मिल पाएगा। बरमकेला मुख्यालय में कार्यालयों की कमी, विकास कार्य ठप: चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ने उठाई आवाज सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक में सभी विभागों के कार्यालय मुख्यालय में ही स्थापित होने चाहिए थे,
लेकिन जिला गठन के बाद आज तक किसी भी सरकारी कार्यालय का विधिवत शुभारंभ नहीं हो पाया है। इस कारण बरमकेला के लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए भटकना पड़ रहा है। चेंबर्स ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष रतन शर्मा के सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर कई बार मंत्री एवं विधायकों से मुलाकात की है और विकास कार्यों के लिए लिखित आवेदन भी सौंपा है। उनका कहना है कि बरमकेला को प्रशासनिक दृष्टि से सशक्त बनाना आवश्यक है, ताकि क्षेत्र का संतुलित विकास हो सके। भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी बरमकेला को अपनी कर्मभूमि मानते हैं, लेकिन मुख्यालय के विकास को लेकर अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जनता उम्मीद कर रही है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होगा।

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