
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में पटवारी और सरकारी गुरूजी सम्हालेगें पंचायत सचिवो का प्रभार!
बरमकेला और बिलाईगढ़ ब्लाक के लिये आदेश हुआ प्रसारित,
उपसंचालक पंचायत ने जारी किया आदेश,
राजस्व विभाग, कृषि विभाग और शिक्षा विभाग के कर्मचारी सम्हालेगें सचिवो का प्रभार?
जिले के 349 पंचायत में सचिवो का प्रभार अन्य सरकारी करिंदो को दिया गया,
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
हड़ताल पर चल रहे पंचायत सचिवो के प्रभार को अब पटवारी और सरकारी गुरूजी को दिया जा रहा है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के उपसंचालक पंचायत के द्वारा इस आशय का आदेश जारी कर दिया गया है। बिलाईगढ़ ब्लाक और बरमकेला ब्लाके ग्राम पंचायतो के लिये आदेश जारी कर दिया गया है। इसको लेकर सरकारी गुरूजी हैरान है। कई शिक्षकों का कहना है कि पंचायत सचिवों की हड़ताल अभी लंबी चल सकती है, और उन्हें इस जटिल प्रशासनिक भूमिका में बिना किसी प्रशिक्षण या अनुभव के धकेलना अनुचित है। पंचायतों में लेन-देन, हिसाब-किताब और अन्य वित्तीय प्रक्रियाओं की जानकारी उनके पास नहीं है, जिससे उनकी “कलम बेवजह फंसने” का डर बना हुआ है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के 349 ग्राम पंचायत के पंचायत सचिव अभी हड़ताल पर चल रहे है। प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि सचिवो की हड़ताल खत्म हो जाये और पंचायतो के ठप्प पड़ा काम-काज फिर से सुचारू रूप से गतिमान हो जाये। किन्तु ऐसा नही हो पा रहा है और अब जिला प्रशासन ने नया उपाय निकालते हुए सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला के ग्राम पंचायत के सचिचो को प्रभार को अन्य सरकारी विभाग यथा राजस्व विभाग, कृषि विभाग और शिक्षा विभाग के कर्मचारियो को प्रभार सौपने का निर्णय लेते हुए इनके लिये आदेश भी जारी कर दिया गया है।
इस आदेश के जारी होने के बाद से ही सरकारी शिक्षको में नारजगी साफ तौर पर देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि शिक्षकों का कहना है कि पंचायत सचिवों की हड़ताल अभी लंबी चल सकती है, और उन्हें इस जटिल प्रशासनिक भूमिका में बिना किसी प्रशिक्षण या अनुभव के धकेलना अनुचित है। पंचायतों में लेन-देन, हिसाब-किताब और अन्य वित्तीय प्रक्रियाओं की जानकारी उनके पास नहीं है, जिससे उनकी “कलम बेवजह फंसने” का डर बना हुआ है। शिक्षकों की चिंता यहीं खत्म नहीं होती। 30 अप्रैल से स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने वाला है, और इस समय शिक्षकों के पास स्कूलों से संबंधित कई महत्वपूर्ण कार्य बाकी हैं..। ऐसे में अतिरिक्त जिम्मेदारी थोपना उनके लिए दोहरी मार साबित हो सकता है। शिक्षकों को आशंका है कि यदि इस आदेश का अनुसरण प्रदेश के सभी जनपद पंचायतों में होने लगा, तो राज्य के सभी विभाग शिक्षकों को
मुफ्त का सहयोगी मानकर चलेंगे, जो कहीं से भी उचित नहीं है। हालांकि, शिक्षकों का कहना है कि उन्हें इन कानूनी प्रावधानों की कोई जानकारी नहीं है, और बिना प्रशिक्षण के वे इन जिम्मेदारियों को कैसे निभा सकते हैं..? यह स्थिति न केवल उनके लिए जोखिम भरी है, बल्कि पंचायतों के वित्तीय प्रबंधन में भी गड़बड़ी का कारण बन सकती है।
शिक्षकों का कहना है कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी बच्चों को शिक्षित करना और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है। उन्हें पंचायत सचिव जैसे प्रशासनिक कार्यों में शामिल करना उनके मुख्य दायित्व से ध्यान भटकाने वाला कदम है। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से ही शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में, उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारियां सौंपना शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से प्राथमिक स्कूलों में, जहां शिक्षक पहले से ही कई भूमिकाएं निभाते हैं, यह निर्णय बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है..!