रायगढ़ के टीपाखोल डैम से लीक हो रहा पानी, जल संसाधन विभाग नींद में
- पूरे साल बेकार बहता रहता है पानी, नगर निगम आयुक्त ने लिखा ईई को पत्र लेकिन कोई सुधार नहीं
रायगढ़, किसानों को सिंचाई के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है और जल संसाधन विभाग बेकार में पानी बहने दे रहा है। टीपाखोल डैम की दीवार में लीकेज है, लेकिन कोई सुधार नहीं किया जा रहा है। यह पानी नाले के जरिए शहर के ड्रेनेज सिस्टम में घुस रहा है। सिंचाई के 1075 में बने टीपाखोल डैम का न तो रखरखाव ठीक से किया गया न ही उसके आसपास की जमीन पर खनन रोका गया। टीपाखोल की नहर पर अतिक्रमण को भी जल संसाधन विभाग नहीं रोक सका। रायगढ़ नगर निगम की सीमा तक आने वाली नहर भी गायब हो गई। जल संसाधन विभाग ने अपना काम नहीं किया इसलिए यह स्थिति बनी है।
टीपाखोल डैम के एक हिस्से में ओवरफ्लो का पानी बहकर निकल रहा है। यहां पानी इतनी तेजी से निकल रहा है कि कई एकड़ में सिंचाई हो सकती है। डैम का पानी जमा करके उसे ऐसे जगह से निकाला जा रहा है जो आगे लाकर शहर के ड्रेनेज सिस्टम में घुस रहा है। इसकी जानकारी होने के बाद निगम कमिश्नर ने कार्यपालन अभियंता सुशील गुप्ता को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि आई एंड डी प्वाइंट से भारी मात्रा में पानी बह रहा है। 14 मई 2024 को एसडीओ जल संसाधन और निगम के सब इंजीनियर द्वारा निरीक्षण भी किया गया था।
तब पाया गया कि टीपाखोल डैम के गेट में लीकेज होने के कारण डैम का पानी नाले में बह रहा है। यही पानी जब शहर में घुस रहा है तो पूरे घरेलू अपशिष्ट जल व ठोस अपशिष्ट को बहाकर केलो नदी में मिल रहा है। इससे नदी में प्रदूषण कई गुना बढ़ रहा है।
टीपाखोल डैम को खत्म करने का हो रहा प्रयास
1975 में बने इस डैम के एक हिस्से में क्वाट्र्जाइट खनन हो रहा है। दूसरी ओर बने नहरों की हालत अच्छी नहीं है। कई किलोमीटर की नहर पर अतिक्रमण हो चुका है। इसकी रिपोर्ट भी एसडीएम रायगढ़ कार्यालय में धूल खा रही है। अब डैम के गेट से लीकेज भी होने लगा है। लेकिन जल संसाधन विभाग खामोशी से यह सब देख रहा है। शायद अब टीपाखोल डैम का महत्व कम करने का काम शुरू हो चुका है। डैम से लगी हुई जमीन पर खनिपट्टा स्वीकृत करते वक्त भी आपत्ति नहीं की गई।