मौसम साफ होने के बाद धान फसलों में शीत ब्लाइट का प्रकोप शुरु
धान फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को महंगी दवाओं का उपयोग करना पड रहा है। इससे
किसानों की उत्पादन लागत बढ़ रही है। दवा छिडकाव कराने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में
मजदूर ठेका में दवा छिडकाव कर रहे है।
साल्हेओना,
मानसून की अंतिम चरण में लगातार तीन – चार दिन तक रुक रुककर बारिश होने से किसानों के खेतों में धान फसलों में जान आ गया है। लेकिन अब मौसम साफ होते ही दिन में भारी उमस और रात में शीत बरसने के कारण धान फसलों के पौधों में फंगस पनपने लगे है और शीत ब्लाइट नामक बीमारी शुरु हो गया है। ऐसे में किसानों ने बीमारी से बचाव करने दवा छिडकाव करा रहे हैं। किसानों ने बताया कि मानसून की नियमित बारिश नहीं हुई है। वही अंतिम दिनों में यानि पिछले सप्ताह बारिश होने के बाद धान फसल लहलहा रहे हैं। मौसम साफ होकर धूप खिलने लगा है। इससे वातावरण में उमस भरी गर्मी बन रहा है। जबकि रात में शीत बरस रही है। इस तरह के वातावरण में धान फसलों के पौधों में फंगस पनपने लगे हैं। पौधों के जड़ सडन दिखने लगा है और पत्तों के आवरण पर अंडाकार धब्बे पड़ गए हैं। जिसे शीत ब्लाइट बीमारी के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी को सडहा पत्ती कहते है। धान फसलों में इस बीमारी को लेकर किसान दवा छिडकाव कराने में जुटे हुए हैं और बचाने की कोशिश में लगे है।
सप्ताह भर में पूरे खेत को ले लेता है चपेट में
शीत ब्लाइट बीमारी से धान के पौधों में तेजी से संक्रमित होकर एक सप्ताह में पूरे खेत को चपेट में ले लेता
है। इससे धान की उत्पादन प्रभावित होता है। शीत ब्लाइट बीमारी ज्यादातर सरना किस्म के फसल में
देखा जा रहा है।
जंगली चूहों से परेशान है किसान
इस बार किसानों के खेतों में जंगली चूहों से परेशान है। चूहों का आतंक इस कदर फैला हुआ है कि इनके
ऊपर कोई दवा असर नहीं कर रहा है। किसानों का कहना है कि चूहे मेड पर बिल बना देने के कारण मेड
खोखला होकर कमजोर हो रहे हैं।इससे किसानों की दोहरी परेशानी बढ़ गई है।