त्रिस्तरीय चुनाव को 4 माह शेष, सारंगढ बिलाईगढ़ जिले के छह पंचायत का क्रियान्वयन रायगढ़ से संचालित
रायगढ़ जिले से अलग होने के बाद सारंगढ़ बिलाईगढ़ नए जिले के रूप में उदयमान हुआ है लेकिन इस जिले के 6 जिला पंचायत सदस्य अभी भी रायगढ़ जिला पंचायत से जुड़े हुए हैं आलम यह है कि उन्हें विकास कार्यों से लेकर विकास के लिए फंड के लिए रायगढ़ जिला पंचायत में दौड़ लगानी पड़ रही है। इस बीच आगमी चुनाव को लेकर परिसीमन व क्षेत्र सीमांकन नहीं होने से उनके माथे पर चिंता की लकीरें राजनीतिक भविष्य को लेकर सता रही है।
प्रदेश में 6 नए जिले तो बना दिए गए, लेकिन यहां जिला पंचायत कार्यालय के लिए अभी दो साल का इंतजार करना होगा। इन नए जिलों में पंचायती कार्याें के लिए लोगों को पुराने जिला पंचायत कार्यालय की ही दौड़ जनप्रतिनिधियों द्वारा लगाया जा रहा है। यही नहीं नए जिलाें को पंचायत अध्यक्ष और सदस्य भी अगले दो साल तक मिलना मुश्किल है। प्रदेश का 30 वां सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला बना है। इसकी घोषणा 15 अगस्त 2021 को तत्काल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की थी। वह इसकी स्थापना 3 सितंबर 2023 को हुई है।यहां अभी भी अब तक नई जिला पंचायत नहीं बनी है। राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य सरकार से निर्देश मिलने के बाद ही यहां चुनावी तैयारियां प्रारंभ होंगी। गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव होना तय हैं। जबकि नवगठित सारंगढ बिलाईगढ़ जिले में 6 जिला पंचायत जुड़े है। ये पूर्व में रायगढ़ में थी, सरिया बरमकेला सारंगढ़ क्षेत्र से आते हैं। वर्तमान में यह सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले का का हिस्सा बन चुका है।इस क्षेत्र में 255 पंचायत शामिल हैं। विडमेट आ गया है कि 2 साल बाद भी जिला पंचायत यहां एवं अन्य नवगठित जिले में अस्तित्व में नहीं आ पाया है ऐसे में इस क्षेत्र के 6 जिला पंचायत सदस्यों को विकास कार्यों एवं अन्य समस्या मांग को लेकर रायगढ़ जिला पंचायत की और दौड़ लगानी पड़ रही है, कुछ जनप्रतिनो ने चर्चा में बताएं कि इससे उन्हें कई तरह की परेशानी हो रही है जनता जनार्दन के बीच विकास कार्य नहीं होने के चलते उन्हें नाराजगी भी झेलना पड़ रहा है। वहीं आगामी चार
माह बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना है जिसका उन्हें विपरीत खामियाजा उठाने का भी भय सता रहा है। ऐसे में जल्द से जल्द परिसीमन तथा क्षेत्र सीमांकन करने की मांग भी कर रहे हैं, ताकि वह चुनाव में अपना पक्ष मजबूती से रख सके और जनता के बीच जा सके। बहरहाल मौजूदा हालात में जिला पंचायत चुनाव को लेकर पूरी रणनीति स्थिति राज्य सरकार के अधीन है।
यह बना नवगठित उदयमान जिला
प्रदेश में बने 6 जिले पेंड्रा – गौरेला-मारवाही, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मोहला-मानपुर-चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सक्ती।
कठिन है जिला पंचायतें बनाना, ऐसे समझे रूपरेखा
पुराने से नए जिले में आने वाली ग्राम पंचायतों की सूची बनती है।
आबादी के मुताबिक कितने जिला पंचायत सदस्य होंगे यह तय होगा।
पंचायतों का बंटवारा करते समय काफी विवाद – आपत्तियां होती हैं।
बस्तर व बिलासपुर जिलों के विभाजन में यह देखने में आया है।
कुछ जिला पंचायत सदस्यों का कार्यक्षेत्र तो विधानसभा क्षेत्र से भी अधिक होता है।
जिला पंचायतों का परिसीमन व आरक्षण राज्य सरकारें अपने राजनीतिक नफा -नुकसान के अनुसार तय करती हैं।
जबकि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन निर्वाचन आयोग करता है।
एक्सपर्ट नजरिया
नई जिला पंचायतों का गठन वहां की आबादी के मुताबिक किया जाएगा। इसमें भौगोलिक परिस्थितियों व जिलों के आकार को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके बाद तय होगा कि कितने जिला पंचायत सदस्य होंगे। पंचायतों व निकायों का परिसीमन व आरक्षण करने का अधिकार राज्य सरकार का होता है। नए जिलों की पंचायतों को मिलने वाली फंडिंग पुरानी या निकटवर्ती जिला पंचायत के जरिए उपयोग में लाई जाती है।
नए जिले में जिला पंचायत चुनाव होने के आसार
राज्य सरकार द्वारा नए जिलों में जिला पंचायतों के गठन की प्रक्रिया को लेकर ये संभावना बनती दिख रही है। इस साल के अंत में होने वाले राज्य में त्रिस्तरीय जिला पंचायतों के चुनाव में इन नवगठित जिला पंचायतों को भी शामिल किया जा सकता है। हालांकि सरकार की ओर से इस संबंध में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है। दूसरी ओर इस बात की संभावना भी है कि राज्य में नगरीय निकायों और और पंचायतों के चुनाव भी एक साथ हो सकते हैं। इसे एक प्रदेश एक चुनाव के अभियान के रूप में देखा जा रहा है।