जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

नालंदा परिसर और गर्ल्स कालेज के लिये प्रस्तावित पौने 7 एकड़ के शासकीय भूमि का टुकड़ा नजूल मेंटनेंस में हो गया निजी?

नालंदा परिसर और गर्ल्स कालेज के लिये प्रस्तावित पौने 7 एकड़ के शासकीय भूमि का टुकड़ा नजूल मेंटनेंस में हो गया निजी?

नालंदा परिसर और गर्ल्स कालेज के लिये प्रस्तावित पौने 7 एकड़ के शासकीय भूमि का टुकड़ा नजूल मेंटनेंस में हो गया निजी?

डोंगाजी चावल मिल से किसान राईस मिल के रिकार्ड में किया गया छेड़छाड़,
कलेक्टर से हुई शिकायत के बाद तहसीलदार ने बनाया जांच समिति,
चार सदस्यीय जांच समिति गठित,
17 सिंतबर तक मामले की जांच रिर्पोट सौपेगी समिति,
18 लोगो के नाम पर सरकारी जमीन हो गई निजी?
छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि अब हो गई आबादी?
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में सामने आया अरबो रूपये के भूमि घोटाला?

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़ के अजब-गजब राजस्व रिकार्ड में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहा पर किसान राईस मिल के नाम पर दर्ज शासकीय भूमि का टुकड़ा जो कि राजस्व रिकार्ड में छोटे झाड़ के जंगल मद में दर्ज था वह अब नजूल रिकार्ड में निजी भूमि के रूप मे आबादी पट्‌टा के रूप में दर्ज हो गया है। उल्लेखनीय बात यह है कि उक्त किसान राईस मिल में ही नालंदा परिसर और शासकीय कन्या महाविद्यालय कीस्थापना प्रस्तावित है और इसी जमीन पर बड़ा खेल हो रहा है। कलेक्टर को किया गया शिकायत के बाद तहसीलदार सारंगढ़ ने तीन आरआई और शहर पटवारी की संयुक्त जांच टीम बनाकर 17 सितंबर तक अपना रिर्पोट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है जिसके बाद मामले में सच सामने आ सकता है। दरअसल सारंगढ़ के राजस्व रिकार्ड मे पटवारी हल्का नंबर 28 (पूर्व में 20) के खसरा नंबर 224/1क, रकबा 4.23 एकड़, 224/1ख, रकबा 4.24 एकड़ भूमि छोटे झाड़ के जंगल मद में दर्ज
था। यह राजस्व रिकार्ड 1923-24 को निर्मित मिसल बंदोबस्त में दर्ज था। जहा पर वर्तमान में किसान राईस मिल स्थापित है। इस मामले में जानकारी मिली है कि इस भूमि पर आजादी के बाद का डोंगाजी चावल मिल जो कि 6.90 एकड़ में स्थित है उसको राज्य शासन ने नौसेरवान डोंगाजी से खरीदकर उसे किसान राईस मिल बना दिया। किन्तु इस राईस मिल की परिसर के अंदर लगभग 4.56 एकड़ जमीन  तथा बाऊड्री के बाहर शेष जमीन स्थित है। बताया जा रहा है कि राजस्व रिकार्ड मे यह भूमि छोटे झाड़ का जंगल मद की भूमि के रूप मे ही दर्ज था किन्तु 1961-62 में सारंगढ़ शहर का नजूल मेंटनेंस रिकार्ड
में कुछ भूमि को आबादी भूमि घोषित कर दिया गया तथा नौसेरवान डोंगाजी के एक वसीयत के आधार पर एक व्यक्ति के नाम पर उक्त सरकारी भूमि को आबंटित करते हुए उनके नाम पर दर्ज कर दिया गया तथा बाद मे उसी व्यक्ति के द्वारा 1.50 एकड़ से अधिक की भूमि को 18 लोगो को विक्रय कर दिया।

जिसके कारण से 6.90 एकड़ की भूमि कम होकर सिर्फ 4.23 एकड़ ही बच गई। शेष भूमि पर नजूल रिकार्ड में अलग-अलग लोगो के नाम पर राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचरियो के मिलीभगत से राजिस्ट्री भी हो गई और नजूल नामांतरण भी हो गया। किन्तु 2018 तक यह भूमि राजस्व रिकार्ड में पांच साला, खसरा में छोटे झाड़ का जंगल मद की भूमि के रूप मे ही रिकार्ड में ही दर्ज थी। वही अब सारंगढ़ शहर का बन रहा नजूल मेंटनेंस में यह भूमि आबादी भूमि हो गई तथा छोटे झाड़ का जंगल मद की सरकारी भूमि रिकार्ड से गायब हो गई है। जिसकी शिकायत कलेक्टर जनशिकायत में किया गया जिसमें तहसीलदार सारंगढ़ से विस्तृत रिर्पोट मांगी गई जहा पर मामले की जांच के लिये चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है। जिससे पूरे मामले का सच सामने आ सकता है। नालंदा परिसर और गर्ल्स कालेज के लिये प्रस्तावित डोंगाजी चावल मिल को राज्य शासन ने खरीदकर किसान राईस मिल बनाया है जो कि 6.90 एकड़ में स्थित था। वर्तमान में किसान राईस मिल बंद पड़ा हुआ है इस कारण से राज्य शासन के प्रस्तावित नालंदा परिसर (सेन्ट्रल लाईब्रेरी) और शासकीय कन्या महाविद्यालय तथा नया बनने वाले गार्डन के लिये प्रस्तावित किया गया है। हालांकि अभी यह किसान राईस मिल नान के अधीन है तथा पूर्ण जमीन का स्वामित्व नान है किन्तु जिस प्रकार से 6.90 एकड़ से अधिक इस भूमि के टुकड़ो को अपना बताकर धड़ल्ले से निमार्ण कार्य किया जा रहा है तथा रातोरात पेड़ो को काटकर दुकानो का निमार्ण किया जा रहा है उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर और मिली भगत करके सरकारी भूमि को अपना बताकर कब्जा का होड़ यहा पर लगा हुआ है। ऐसे मे इस सरकारी भूमि से निजी भूमि मामले की नये सिरे से जांच कराकर सरकारी भूमि को पूर्ण रूप से खाली कराया जाये और अवैध रूप से किया गया रिकार्ड में संशोधन आदि को निरस्त कर पूरे जमीन पर नालंदा परिसर और शासकीय कन्या महाविद्यालय का निमार्ण कराया जाये।
छोटे झाड़ के सरकारी भूमि से निजी हक की आबादी भूमि? इस मामले मे दूसरा दिलचस्प पहलू इस भूमि को सरकारी छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि से 1961-62 में नजूल मेंटनेंस में बड़ा हिस्सा का आबादी भूमि के रूप में दर्ज होना और डोंगाजी राईस मिल के संचालक नौसेरवान डोंगाजी के वसीयत के आधार पर निजी व्यक्ति के नाम पर दर्ज होकर उक्त भूमि का बिकना है।

जिसके कारण से पूरे मामले में सूक्ष्म जांच की आवश्यकता महसूस हो रही है। वही 1923-24 से लेकर 2018 तक के रिकार्ड में यह भूमि पांच साला, खसरा में पटवारी हल्का नंबर 28 (पूर्व में 20) में खसरा नंबर 224/1क तथा 224/1ख के रूप में छोटे झाड़ के जंगल मद में शासकीय भूमि के रूप मे दर्ज रहना तथा 3 मई 2018 के तहसीलदार सारंगढ़ के पारित आदेश जिसमे राजस्व निरीक्षक के एक प्रतिवेदन के आधार पर छोटे झाड़ के
जंगल की सरकारी भूमि को संशोधन करते हुए इसे निजी भूमि बताया गया तथा इस आदेश के आधार पर सभी छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि को 18 निजी लोगो के नाम पर आबादी भूमि के रूप में दर्ज करना एक बड़ा घटना है।ऐसे में पूरे मामले की जांच के बाद ही ज्ञात होगा कि सरकारी छोटे झाड़ के जंगल मद की सरकारी भूमि से लेकर नजूल मेंटनेंस में आबादी भूमि होना कैसे हो गया? वही 6.90 एकड़ की डोंगाजी चावल मिल की भूमि 4.56 एकड़ में ही कैसे सिमित हो गया? इन दोनो बिन्दु पर किया गया शिकायत के जांच के बाद ही ज्ञात होगा कि कैसे बड़े स्तर पर सारंगढ़ में अरबो की जमीन का खेल रिकार्ड मे छेडछाड़ करके खेला गया है?

कौन-कौन है जांच टीम में

तहसीलदार सारंगढ़ के द्वारा 29 अगस्त 2025 को गठित किया गया जांच टीम में नजूल
राजस्व निरीक्षक मो.इदरिस असरफी, सारंगढ़ के राजस्व निरीक्षक श्रीमती देवमति सिदार, कोसीर के राजस्व निरीक्षक दीपक पटेल तथा सारंगढ़ पटवारी हल्का नंबर 28 के पटवारी दिल सिंह बंजारे को शामिल किया गया है। इस संयुक्त जांच दल को 17 सितंबर तक अपना जांच प्रतिवेदन तहसीलदार सारंगढ के पास प्रस्तुत करना है।

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