रायगढ़, 27 जुलाई। सारंगढ़ की गाताडीह सहकारी समिति को डुबाने वालों पर चौतरफा वार हो रहा है। अब तक समिति में घपले-घोटाले छिपाए जा रहे थे लेकिन अपेक्स बैंक की ओर से प्रकरण दर्ज कराया गया है। कहा जा रहा है कि धान खरीदी में गड़बड़ी और खाद की कालाबाजारी के ढाई करोड़ रुपए की रिकवरी निकाली गई है।
गाताडीह उन समितियों में से है जिसे जरिया बनाकर कई लोग करोड़पति बन गए। धान खरीदी को एक अवसर की तरह भुनाकर अपने भाई-भतीजों को भी अवैध कमाई का अवसर दिया जाता रहा।
इस समिति को एक तरह से पैतृक संपत्ति की तरह इस्तेमाल किया गया। पहले भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2012 से 2016 तक जमकर अनियमितता की गई। इसके बाद 2019 से फिर मनमानी शुरू हो गई। यहां पंजीयन, केसीसी लोन, खाद वितरण सभी में घपले होते रहे। न तो अपेक्स बैंक ने कार्रवाई की और न ही सहकारिता विभाग ने कोई एक्शन लिया। इस बार सरकार ने इस समिति को सुधारने के लिए सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
पहले तो केसीसी लोन फर्जीवाड़े में शिव टंडन, राजेश रात्रे, दिलीप टंडन और बूंदराम जांगड़े के विरुद्ध भादंसं की धारा 120 बी, 34, 409, 420, 467, 468 और 471 के तहत सारंगढ़ थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। इसके बाद समिति में पिछले चार-पांच साल में की गई अनियमितता पर भी एक्शन लिया जाने लगा है। सरकार के आदेश पर अपेक्स बैंक सारंगढ़ ब्रांच ने गाताडीह समिति में गड़बड़ी की रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें वर्ष 19-20 में धान खरीदी में गड़बड़ी करने के कारण करीब 1.20 करोड़ रुपए की रिकवरी निकाली है। इसके साथ ही वर्ष 19-20, 20-21 और 21-22 में किसानों के लिए आए खाद की कालाबाजारी करने पर करीब 1.30 करोड़ रुपए की वसूली निकाली गई है। अपेक्स बैंक ने केस भी दर्ज करवाया है।
आपराधिक मामले होंगे दर्ज
गाताडीह, कोसीर, उलखर, जशपुर, कनकबीरा, साल्हेओना, छिंद, बरदुला जैसे खरीदी केंद्रों में पंजीयन में ही आधा खेल हो जाता है। 2023 में सारंगढ़-बिलाईगढ़ कलेक्टर ने इसकी जांच करवाई थी, लेकिन कार्रवाई चुनाव परिणाम आने के बाद हुई। फर्जी रकबा पंजीयन मामले में केवल प्रबंधकों को हटाया लेकिन उनका प्रभाव कम नहीं हो सका क्योंकि ऑपरेटर नहीं बदले। अब अपेक्स बैंक ने उपायुक्त के समक्ष केस दर्ज करवाया है।
खाद बेच दिया बाजार में
सारंगढ़ में खाद की कालाबाजारी सबसे अधिक होती है क्योंकि सबसे बड़े कारोबारी यहीं हैं। सारंगढ़ में खाद विक्रय के लिए सबसे ज्यादा लाइसेंस जारी किए गए हैं। इन लाइसेंसियों के पीछे वहां के बड़े कारोबारी का खेल है। समितियों में भेजे जाने वाले खाद को इन प्राइवेट दुकानों में रखवाकर तीन गुना कीमतों में बेचा गया। गाताडीह समिति में आने वाले ट्रकों का रूट ही बदल दिया जाता था। वहां के किसानों को बाहर से खाद क्रय करना पड़ता था। समिति में खाद की रिकवरी भी करीब 1.30 करोड़ निकाली गई है।