जिला- सारंगढ़जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

शिकारियो नें गोमर्डा अभ्यारण्य में करंट बिछाकर कर दिया “बाघ” का शिकार!
घोराघाटी में बाघ का शिकार करके दफना दिया शिकारियो नें,
10 दिन बाद वन विभाग को पता चला,
5 शिकारी गिरफ्तार? लेकिन जानकारी नही दे रहा विभाग?
आये दिन वन्यप्राणियो का हो रहा है अवैध शिकार,
मामले की जानकारी देने से बचते रहे वन अधिकारी,
घरो पर आराम कर रहे है वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी,

शिकारियो नें गोमर्डा अभ्यारण्य में करंट बिछाकर कर दिया “बाघ” का शिकार!
घोराघाटी में बाघ का शिकार करके दफना दिया शिकारियो नें,
10 दिन बाद वन विभाग को पता चला,
5 शिकारी गिरफ्तार? लेकिन जानकारी नही दे रहा विभाग?
आये दिन वन्यप्राणियो का हो रहा है अवैध शिकार,
मामले की जानकारी देने से बचते रहे वन अधिकारी,
घरो पर आराम कर रहे है वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी,
स्थानीय कर्मचारियो की पदस्थापना से अवैध शिकार को मिल रहा है बढ़ावा
पीसीसीएफ सुधीर अग्रवाल पहुंचे घटना स्थल
फारेसिंक टीम पहुंची सारंगढ़, बाघ की मौत की पुष्टी किया,
सारंगढ़,
सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य में उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व से आये बाघ की शिकारियो ने करेंट लगाकर शिकार कर दिया। जंगल के राजा के नाम से जाना जाने वाला बाघ को जिस प्रकार से सारंगढ़ जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे से लगा हुआ घोराघाटी गांव के पास करेंट से शिकार कर दिया गया और उसको दफना दिया गया उससे गोमर्डा अभ्यारण्य के शिकारियो से हौंसला बुलंद साफ प्रतीत हो रहा है। बाघ पर नजर रखने के लिये विशेष निगरानी टीम बनाई गई थी किन्तु बाघ के शिकार होने के 10 दिन बाद वन विभाग को बाघ के बारे मे जानकारी मिलना यह दर्शाता है कि स्थानीय अधिकारी और कर्मचारियो से सुसज्जित सारंगढ़ वन विभाग में अवैध कार्यो को कौन संरक्षण प्रदान कर रहा है। यहा के अधिकारियो के लापरवाही के कारण से वन विभाग के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।
सारंगढ़-बिलाईगढ़ वनमंडल में देखे गए उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के बाघ की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई है। घटना की जानकारी वन विभाग के अफसरों को मुखबिर की मदद से 10 दिन बाद मिली। घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर वन अफसरों की टीम पहुंच गई है। बाघ की मौत के बाद वन विभाग के अफसरों ने चार ग्रामीणों को हिरासत में लिया है तथा रामचरण बरिहा नामक एक ग्रामीण को गिरफ्तार किया है। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल के मुताबिक बाघ की मौत गोमर्डा अभयारण्य के घोराघाटी में हुई है। गोमर्डा में बाघ का आखरी बार मूव्हमेंट पांच जनवरी को देखा गया है। उसके बाद से बाघ की किसी तरह से कोई लोकेशन नहीं मिला है। बाघ की मौत कैसे हुई इस बात की जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा। अफसर के अनुसार बाघ की मौत की जांच करने फोरेंसिंक एक्सपर्ट की टीम शुक्रवार को बिलासपुर से सारंगढ़ पहुंची है। बाघ को जहां कब्र खोदकर गाड़ा गया है, फोरेंसिंक एक्सपर्ट की टीम ने बाघ की लाश को निकाला तथा बाघ के लाश की पुष्टी किया। उन्होने बताया कि बाघ की उम्र 5 साल है। शिकारियो से बाघ को दफन करने के साथ साथ उसमें नमक भी डाल दिया था ताकि किसी को इसकी भनक तक नही लगे।
देबरीगढ़ से पहुंचा था बाघ
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के जिस बाघ की गोमर्डा अभयारण्य में मौत हुई है। उस बाघ को अंतिम बार यूएसटीआर में वर्ष 2022 में देखा गया था। इसके बाद बाघ ओडिशा के रास्ते होते हुए हीराकुंड के देबरीगढ़ के जंगल से होते हुए भोजन की तलाश में दिसंबर में गोमर्डा अभयाराण्य पहुंच गया, तब से उक्त बाघ गोमर्डा के आस-पास विचरण कर रहा था। संभावना व्यक्त की जा रही थी कि बाघ गोमर्डा में स्थायी रूप से डेरा जमा सकता है।
वन्यजीवों द्वारा बिछाए करंट की चपेट में आया
गौरतलब है कि गोमर्डा अभयारण्य में बहुतायत में जंगली सुअर तथा चीतल हैं, ग्रामीण आए दिन इन वन्यजीवों का शिकार करने खेतों में करंट वाले तार बिछाए रहते हैं। आशंका जताई जा रही है, उसी करंट की चपेट में आने से बाघ की मौत हुई होगी। गौरतलब है कि गोमर्डा अभयारण्य में एक दशक पूर्व पानी में जहर मिलाने से आधा दर्जन से ज्यादा बायसन की मौत होने की घटना घटित हो चुकी है।
कौन-कौन आरोपी हुए गिरफ्तार
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार इस शिकार मे कुल 10 शिकारियो ने वारदात को अंजाम दिया था। जिसमे से 5 शिकारियो को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ़्तार किये गये शिकारियो में रामचरण बरिहा, विजेता राम सिदार, भुवनेश्वर साहू, बंशी बरिहा, सहदेव साहू है। शेष 5 आरोपी अभी फरार है जिसकी पतासाजी किया जा रहा है।
स्थानीय अधिकारी-कर्मचारी से सुसज्जित है वन विभाग?
सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य में अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी वर्षो से एक ही स्थान पर पदस्थ है तथा कई स्थानीय निवासी है। इस कारण से यहा पर वन विभाग की मुस्तैदी पर सवाल खड़े हो रहे है। मुख्यालय मे नही रहकर अपने निज निवास मे रहने वाले वन विभाग के अमले के कारण से वन विभाग मे गश्ती सिर्फ कागजो पर ही हो रही है। वन विभाग का सरकारी अमला निमार्ण कार्यो के नाम पर भ्रष्ट्राचार करने के ही कार्यो मे दिन-रात लगा रहता है तथा उनको यहा पर वन्यप्राणियो की सुरक्षा से कोई मतलब नही रह गया है। जल्द ही यहा के स्थानीय सरकारी अधिकारी-कर्मचारी का अन्यत्र स्थानान्तरण नही किया गया तो अवैध शिकार और अवैध कटाई से गोमर्डा अभ्यारण्य अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिये संघर्ष करते दिखेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button