

सारंगढ़ का प्रसिद्ध गणतंत्र मेला को अनुमति देने की मांग करने हुए शहरवासी अनिश्चिकालीन धरने पर बैठे
भारतमाता चौक पर दिया गया धरना,
बुधवार को सारंगढ़ बंद का ऐलान,
शहरवासी और प्रशासन के बीच टकराहट बढ़ी
सारंगढ़,
एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा देने के लिये लगातार आयोजनो में छत्तीसगढ़िया को महत्व दे रहे है वही दूसरी तरफ उनकी ही सरकार के अधिकारी 75 वर्षो से संचालित होते आ रहा गणतंत्र मेला को बंद कराने के उद्देश्य से अनुमति नही दे रहे है। वही डिजिनीलैंड मेला को अनुमति दे दिया तो आखिर गणतंत्र मेला के लिये परेशानी क्या है? जब किसी ने कोई आपत्ति भी अभी तक गणतंत्र मेला के लिये नही किया है तो आखिर अनुमति देने मे क्या दिक्कत प्रशासन को आ रही है? ऐसे सवालो को लेकर अब शहरवासी और प्रशासन गणतंत्र मेला को लेकर आमने-सामने हो गये है। एक तरफ प्रशासन ने आज भी मेला के लिये अनुमति जारी नही किया वही दूसरी तरफ शहरवासी आज से धरना में बैठ गये है। वही बुधवार को शहर बंद कर मेला को अनुमति देने की एक सूत्रीय मांग किया जा रहा है।
सारंगढ़ में आयोजित होने वाला गणतंत्र मेला में फिर बड़ा झमेला होते दिख रहा है। यहा पर श्री विष्णु महायज्ञ एवं गणतंत्र मेला समिति के द्वारा 9 दिवसीय मेला के आयोजन के लिये विविधत रूप से 75 वर्षा से संचालित होते आ रही जवाहर भवन मेला मैदान पर ही मेला लगाने की अनुमति हेतु 23 दिसंबर को आवेदन एसडीएम सारंगढ़ के पास प्रस्तुत कर चुकी है किन्तु आज पर्यन्त तक एसडीएम ने गणतंत्र मेला के लिये अनुमति नही दिया है। ऐसे में सारंगढ़ की ऐतिहासिक और गौरवशाली गणतंत्र मेला जो कि 26 जनवरी से 3 फरवरी तक जवाहर भवन मेला मैदान में हर वर्ष आयोजित होते आ रहा है वह कोरोना काल के बाद फिर से खटाई में पड़ते दिख गया है। गत दो वर्षो में कोरोना के कारण से गणतंत्र मेला का आयोजन की अनुमति प्रशासन के द्वारा नही दिया गया किन्तु श्री विष्णु महायज्ञ की पूजा अर्चना की अनुमति प्रदान किया जाता रहा है। इस वर्ष कोरोना संबंधी समस्त प्रतिबंध भी शिथिल पड़ गये है और पास मे ही डिजनीलैंड मेला को अनुमति प्रशासन के द्वारा दे दिया गया है तो ऐसे मे सारंगढ़ कें प्रसिद्ध गणतंत्र मेला को आखिर क्यो अनुमति नही दिया जा रहा है? जबकि सारंगढ़ का प्रसिद्ध गणतंत्र मेला पहली बार 26 जनवरी 1948 को लगाया गया था। ऐसे में इस ऐतिहासिक और गौरवशाली मेला के आयोजन को आखिर प्रशासन क्यो रोक रही है। मात्र 9 दिन लगने वाले इस मेला को लेकर किसी भी वर्ग को कोई भी आपत्ति तक नही है? फिर भी प्रशासन अनुमति देने में क्यो हिचक रहा है? इन्ही सभी मुद्दो को लेकर प्रशासन का रवैया उदासीन होने के कारण से शहरवासी आज से भारतमाता चौक में गणतंत्र मेला की अनुमति के लिये अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये। आज धरना का पहला दिन था जिसमे काफी संख्या में शहरवासी शामिल हुए। वही इस धरने के साथ ही साथ बुधवार को सारंगढ़ बंद का आयोजन भी किया गया है। गणंतत्र मेला को अनुमति प्रदान करने के एक सूत्रीय उद्देश्य को लेकर सारंगढ़ बंद का आयोजन शहरवासी तथा श्री विष्णु महायज्ञ तथा गणतंत्र मेला समिति के द्वारा किया गया है।
प्रशासन नही कर रहा है स्थिति स्पष्ट?
सारंगढ़ कें प्रसिद्ध गणतंत्र मेले को लेकर प्रशासन की रहस्यमय चुप्पी समझ से परे है। यदि मेले के आयोजन को लेकर प्रशासन को परेशानी है तो आवेदन को निरस्त कर अनुमति नही देने संबंधी आदेश प्रसारित करना चाहिये। अथवा इस मेला को लेकर किसी पक्ष को कोई आपत्ति है तो उस आपत्ति का जिक्र करना चाहिये। किन्तु प्रशासन अभी तक असमंजय में फंसा हुआ है कि सारंगढ़ कें प्रसिद्ध गणतंत्र मेला को लेकर अनुमति देना चाहिये अथवा नही देना चाहिये। आसन्न वर्ष विधानसभा चुनाव का चुनावी वर्ष है तथा पहली बार सारंगढ़ जिला बना है और यहा का पहला जिला स्तर का गणतंत्र दिवस समारोह है। ऐसे मे 75 वर्षो से आयोजित होते आ रहा गणतंत्र मेला को अनुमति नही देने से शहर में धरना प्रदर्शन और शहर बंद जैसे आंदोलन से नया जिला में प्रशासन और शहरवासियो के बीच टकराव शुरू हो गया है जो कि नये जिले के लिये शुभ संकेत नही है।