जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़ शिक्षा विभाग में बिना स्वीकृत पदों के स्कूलों में किया गया पोस्टिंग, लाखों की हेराफेरी का आरोप?

सारंगढ़ शिक्षा विभाग में बिना स्वीकृत पदों के स्कूलों में किया गया पोस्टिंग, लाखों की हेराफेरी का आरोप?

सारंगढ़ शिक्षा विभाग में बिना स्वीकृत पदों के स्कूलों में किया गया पोस्टिंग, लाखों की हेराफेरी का आरोप?

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के बीच एक बड़ा घोटाला उजागर होने की खबर सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक जिले में कई ऐसे शासकीय स्कूल हैं जहां स्वीकृत पद ही नहीं हैं, लेकिन फिर भी शिक्षकों की पोस्टिंग कर दी गई है। यह पूरा मामला पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी एल.पी. पटेल और जिला युक्तीयुक्तकरण समिती सारंगढ-बिलाईगढ एवं विकासखण्ड शिक्षा अधिकारीयों की मिलीभगत से किए गए एक बड़े प्रशासनिक खेल के रूप में देखा जा रहा है।

इस संबंध मे सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने शिक्षकों को
युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया के माध्यम से पहले शिक्षक विहिन स्कूलों में, फिर एकल शिक्षकीय स्कूलों में करना था स्कूलों में दर्ज संख्या अनुपात में शिक्षकों को समायोजित करने के लिए विकल्प प्रणाली लागू की थी, ताकि छात्रों की संख्या के आधार पर स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था हो सके। लेकिन इसी प्रक्रिया का गलत लाभ उठाते हुए कुछेक अधिकारियों ने नियमों को ताक में रखकर अपने चहेते
शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग देने का खेल रच दिया। आरोप है कि जिन स्कूलों में कोई स्वीकृत पद नहीं था, दर्ज संख्या भी अधिक नहीं है वहां भी नए पद कर सृजित कर शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई। यह कार्रवाई न सिर्फ नियमविरुद्ध है, बल्कि शासन की आंखों में धूल झोंकने जैसा कदम है।

सूत्रों के अनुसार कई शिक्षकों ने अपनी पसंद की जगह पर पोस्टिंग पाने के लिए भारी भरकम रकम खर्च की है ऐसा कयास लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मनचाही जगह पर पदस्थापना के लिए लाखों रुपए तक की लेन-देन की आशंका जताई गई है। इसमें कुछ प्रभावशाली अधिकारियों की संलिप्तता स्पष्ट रूप से सामने आ रही है, जिसके चलते बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का संदेह गहराता जा रहा है। सबसे बड़ा खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से हुआ है, जिसमें यह सामने आया कि जिले में करीब करीब 45 ऐसे स्कूल हैं जहां स्वीकृत पद न होने के बावजूद शिक्षकों की पोस्टिंग मनचाहे जगह उनके ही गाँव गाँव अथवा एकदम पास में कर दी गई है। यह न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि विभागीय निगरानी प्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।

इस पूरे मामले ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। अभिभावक संगठन और शिक्षक संघ अब इस मुद्दे पर उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सके और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बहाल हो सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button