जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

नाबालिक लड़की को बहला फुसलाकर अपने साथ भगाने वाला तथा शाररिक शोषण करने वाले आरोपी बसंत सिदार को 20 वर्ष की सश्रम कारावास

नाबालिक लड़की को बहला फुसलाकर अपने साथ भगाने वाला तथा शाररिक शोषण करने वाले आरोपी बसंत सिदार को 20 वर्ष की सश्रम कारावास

नाबालिक लड़की को बहला फुसलाकर अपने साथ भगाने वाला तथा शाररिक शोषण करने वाले आरोपी
बसंत सिदार को 20 वर्ष की सश्रम कारावास

फॉस्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो एक्ट) सारंगढ द्वारा सुनाया गया सश्रम कारावास एवं जुर्माने की सजा,

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
आज दिनाँक 4/12/2025 को न्यायालय माननीय अपर सत्र न्यायाधीश फॉस्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो एक्ट) सारंगढ़ श्री अमित राठौर के न्यायालय में थाना सरिया के अपराध में जो कि विशेष आपराधिक प्रकरण अंतर्गत पॉक्सो एक्ट क्र०. 27/2024 में आरोपी बसंत सिदार पिता रामराज सिदार निवासी ग्राम बार थाना सरिया जिला-सारंगढ़ बिलाईगढ़ में जो कि नाबालिक पीडिता जिसकी उम्र- 18वर्ष,से कम आयु को शादी का प्रलोभन देकर बहला-फुसलाकर, भगा ले जाकर उसके साथ निरतर शारीरिक सबध स्थापित किया था। जिसके संबंध में उनके परिजन के द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया गया था,

जिस पर थाना – सरिया मे अपराध पंजीबद्ध कर माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था । पीडित बालिका की उम्र 18 वर्ष से कम होने पर प्रकरण लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का पाये जाने से माननीय अपर सत्र न्यायाधीश फॉस्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट सारंगढ़ के द्वारा मामले का त्वरित विचारण कर सभी साक्ष्यों एवं गवाहों के बयान पर विचार करने के बाद आज आरोपी को भा.द.स. की धारा 363 के तहत 05 वर्ष के सश्रम कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया गया है एवं धारा 366 भा.द.स. के तहत 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माना तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-5 (ठ)/6 में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया गया है।

अदालत के द्वारा मामले की सवेदनशीलता को देखते हुए पीडिता के शारीरिक एवं मानसिक क्षति एवं पुनर्वास हेतु लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के तहत राज्य शासन को प्रतिकर भुगतान किये जाने की अनुशंसा की गई है। यह फैसला बाल सुरक्षा एवं यौन अपराध के खिलाफ राज्य शासन एवं न्याय पालिका की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही लैगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन को प्रभावित करता है, इस प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रफुल्ल कुमार तिवारी ने अभियोजन का पक्ष रखते हुए पैरवी की।

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