


रोड पर चलना हुआ दुश्वार , अवैध गिट्टी की भरमार
सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में स्थित ग्राम टिमरलगा के सुभाष अग्रवाल नामक डामर प्लांट इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है । अगर आप रोड से गुजरो तो इनकी मशीन से निकलने वाली प्रदूषित धुँआ से होकर गुजरना होगा । डामर प्लांट से निकलने वाले धुएं से ग्रामीण परेशान हैं। संचालित प्लांट की जानकारी शायद अधिकारियों को नहीं है। यह डामरप्लांट एन एच मार्ग से लगा हुआ है । यहाँ कार्य को पूरा करने के लिए बिना दस्तावेज अनुमति प्राप्त किए गिट्टी , रेत और डामर गिराकर दिन-रात धडल्ले से कार्य किया जा रहा है, जिससे प्लांट के अगल-बगल निवास कर रहे छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग परेशान हैं। प्लांट चलने के दौरान ध्वनि और पर्यावरण प्रदूषण किया जा रहा है, जिसका हानिकारक स्थानीय लोगों को दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जिससे लोग भी काफी परेशान हैं। डामर प्लांट से भारी वाहन चलने से आवागमन कर रहे लोग भी आए दिन दुर्घटना का शिकार होते-होते बचे हैं । मशीन की आवाज व धुआं से लोग परेशान हैं। प्लांट में बड़े-बड़े गाड़ी का आना-जाना दिन-रात होता है, जो बेलगाम दौड़ रही है।
प्लांट में अवैध तरीके से गिट्टी है डंप
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहाँ अवैध तरीके से गिट्टी की भरमार पड़ी हुई है , क्योंकि बेरियर ना होने का फायदा उठाकर बिना रॉयल्टी पर्ची के गुडेली से गाड़ियां लोड होकर टिमरलगा इस प्लांट में खाली हो रही है और शासन को लाखों रुपए के चूना लगा रहे हैं । प्रदूषण विभाग और माइनिंग विभाग बेखबर नजर आ रहे हैं , आखिर ऐसे डामर प्लांट के ऊपर कब होगी कार्यवाही ?
पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक , पक्षियों पर बुरा असर
डामर प्लांट के कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। डामर प्लांट से निकलने वाले धुँए के कारण आसपास के क्षेत्र में रहने वाले के घरों में जैसे अंधेरा छा जाता है, जहरीले धुएं का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है। इसकी चपेट में आने से बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक तरफ जिला प्रशासन लगातार सुपोषण अभियान चलाकर बच्चों को पोटीन पोषण आहार देकर, महिलाओं और बच्चों को सुपोषित कर रही है, वही डामर प्लांट से निकलने वाले धुएं के कारण कई तरह की बीमारियों के साथ ही कुपोषण भी फैल सकता है।
डामर प्लांट का असर पक्षियों पर ज्यादा देखा जा सकता है, ग्रामीणों की माने तो जिन स्थानों पर प्लांट लगाए गए हैं उनके आसपास स्थानीय पक्षियों की संख्या नगण्य हो चुकी है , प्लांट लगने के बाद पक्षियों की गूंज सुनाई नहीं देती ।