जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

क्या नकली पनीर की खपत सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में भी हो रही है ?” प्रदेश में खाद्य सुरक्षा पर सवाल, स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़

क्या नकली पनीर की खपत सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में भी हो रही है ?" प्रदेश में खाद्य सुरक्षा पर सवाल, स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़

क्या नकली पनीर की खपत सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में भी हो रही है ?” प्रदेश में खाद्य सुरक्षा पर सवाल, स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़

सारंगढ़-बिलाईगढ़, 

रायपुर में हाल ही में 700 किलो नकली पनीर जब्त होने की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यह न सिर्फ एक बड़ी खाद्य सुरक्षा विफलता को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या ऐसे नकली और मिलावटी उत्पाद अब सारंगढ़ बिलाईगढ़ जैसे ज़िलों में भी खुलेआम बिक रहे हैं?

फ़ूड विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

प्रदेशभर में खाद्य सुरक्षा विभाग की भूमिका पर पहले भी कई बार सवाल उठते रहे हैं। लेकिन लगातार हो रही मिलावटी सामानों की बरामदगी, खासकर त्योहारों और भीड़भाड़ के मौसम में, यह साबित करती है कि विभाग की निगरानी या तो नाममात्र की है या फिर गंभीरता का अभाव है।

नकली पनीर – एक खामोश ज़हर

पनीर जैसी रोज़मर्रा की चीज़ में जब मिलावट होती है, तो वह केवल स्वाद को नहीं, बल्कि स्वास्थ्य को सीधा नुकसान पहुंचाता है। इसमें उपयोग होने वाले सिंथेटिक रसायन, मिलावटी दूध और केमिकल्स, लिवर, किडनी, और पाचन तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

सारंगढ़-बिलाईगढ़ में भी है खतरे की आशंका

हालांकि अब तक सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले से नकली पनीर की जब्ती की कोई बड़ी सूचना नहीं आई है, लेकिन रायपुर जैसी राजधानी में जब इतने बड़े पैमाने पर नकली पनीर पकड़ा जा सकता है, तो यह मानना भी मुश्किल नहीं कि छोटे ज़िलों और कस्बों में भी यह ज़हर दुकानों के ज़रिए घर-घर तक पहुंच रहा हो। स्थानीय बाजारों में बिक रहे सस्ते और संदिग्ध गुणवत्ता वाले पनीर के स्रोतों की जांच अब समय की मांग बन गई है।

जनता में रोष, अधिकारियों से सख्ती की माँग

स्थानीय उपभोक्ता अब सजग हो रहे हैं, लेकिन जब तक प्रशासन, खाद्य सुरक्षा विभाग और नगर निकाय सक्रियता नहीं दिखाएंगे, तब तक मिलावटखोरों का यह खेल यूं ही चलता रहेगा। आम जनता ने प्रशासन से नियमित छापेमारी, नमूना परीक्षण और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

खाद्य सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि अधिकार है।
जब पनीर जैसी बुनियादी चीज़ भी नकली बिकने लगे तो यह केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि लोगों की सेहत के साथ किया गया घिनौना मज़ाक है। अब समय आ गया है कि शासन प्रशासन ज़मीनी स्तर पर कार्रवाई कर यह भरोसा दिलाए कि जनता की थाली में ज़हर नहीं, पोषण परोसा जा रहा है।

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