जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

आईओबी बैंक में नकली सोना गिरवी रखकर 22 लाख का लिया लोन, 10 खाताधारकों पर एफआईआर दर्ज

आईओबी बैंक में नकली सोना गिरवी रखकर 22 लाख का लिया लोन, 10 खाताधारकों पर एफआईआर दर्ज

आईओबी बैंक में नकली सोना गिरवी रखकर 22 लाख का लिया लोन, 10 खाताधारकों पर एफआईआर दर्ज

सभी आरोपी फरार गोल्ड विशेषज्ञों की भूमिका संदेहास्पद,

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सरायपाली,
नगर में शासकीय व निजी क्षेत्र के लगभग 20 बैंक हैं ।अधिकांश बैंकों द्वारा सोना गिरवी रखकर गोल्ड लोन दिया जाता है । बैंक प्रबंधकों द्वारा बैंक में आने वाले सोना की जांच किये जाने हेतु विशेषज्ञ भी रखे जाते हैं साथ ही सोना की जाँच हेतु मशीन भी सत्यता की पुष्टि के लिए रखी जाती है । किंतु कभी कभी नकली सोना रखकर फर्जी तरीके से लोन लेने की शिकायतें भी आती रही हैं ऐसे प्रकरणों में बैंक द्वारा रखे गए सोना विशेषग्यो की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है । सोना यदि नकली निकल जाये तो ऐसे प्रकरणों में सोना विशेषज्ञो की भूमिका संदेह के दायरे में आ जाती है । वहीं जब बैंकों में सोना के असली नकली की पहचान हेतु मशीन रखे जाने के बाद इस तरह की घटना बैकों के कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगातीं है । कहा जाता है कि पैसा बचने के चक्कर सोने की जांच काईये जाने हेतु स्थानीय व्यक्तियों को रखकर इतना बड़ा जोखिम उठाया जाता है जो कि किसी भी दृष्टिकोण से उचित नही ठहराया जा सकता ।

कुछ इसी तरह का प्रकरण नगर में स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक की सरायपाली शाखा में बड़ा गोल्ड लोन फर्जीवाड़ा सामने आया है। बैंक के वार्षिक ऑडिट में खुलासा हुआ कि 10 खाताधारकों ने नकली सोना गिरवी रखकर 22 लाख 86 हजार रुपए का लोन ले लिया। मामले को लेकर बैंक प्रबंधन ने सरायपाली थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद पुलिस ने सभी 10 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सभी आरोपी फिलहाल फरार हैं और उनकी तलाश जारी है। इस संबंध में दी गई जानकारी के अनुसार नकली सोने पर असली हॉलमार्क लगाकर गिरवी रखा गया है।ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, गिरवी रखे गए आभूषणों पर 22 कैरेट (916) का फर्जी हॉलमार्क अंकित था। इन गहनों की ऊपरी परत पर सोने की पॉलिश की गई थी, जबकि अंदर अन्य धातुएं पाई गईं। जांच में साफ हुआ कि इन गहनों को जानबूझकर नकली तरीके से तैयार कर बैंक को धोखा दिया गया।

मूल्यांकनकर्ताओं की भी भूमिका संदिग्ध

बैंक मैनेजर के अनुसार, इस फर्जीवाड़े में आभूषण मूल्यांकन करने वाले गंगाधर पुष्टि (4 खातों के मूल्यांकनकर्ता) और सियाराम चौधरी की भूमिका भी संदिग्ध है। दोनों मूल्यांकनकर्ताओं ने नकली आभूषणों को असली बताकर स्वीकृति दी थी । इनकी लापरवाही या मिलीभगत की भी जांच की जा रही है। सरायपाली थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। बैंक और पुलिस दोनों ही इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की कार्रवाई कर रहे हैं। यह मामला इस बात की चेतावनी है कि गोल्ड लोन देते समय बैंक को मूल्यांकन प्रक्रिया में और अधिक सतर्कता बरतनी होगी। साथ ही फर्जी हॉलमार्क और नकली सोने की पहचान के लिए विशेषज्ञों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं । इस संबंध बैंक प्रबंधन द्वारा अभी आरोपीयो का नाम उच्च अधिकारियों के निर्देश पर मीडिया को नही दिया जा रहा है ।

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