जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

गुरु जी बिना कैसे होही पढ़ाई…? कैसे नोनी पढ़े-लिखे ल सिखही : स्कूल आ पढ़े बर ज़िन्गी ल गढ़े बर…

गुरु जी बिना कैसे होही पढ़ाई…? कैसे नोनी पढ़े-लिखे ल सिखही : स्कूल आ पढ़े बर ज़िन्गी ल गढ़े बर...

गुरु जी बिना कैसे होही पढ़ाई…? कैसे नोनी पढ़े-लिखे ल सिखही : स्कूल आ पढ़े बर ज़िन्गी ल गढ़े बर…

चुनौतियों से जूझता स्कूल समय के साथ विद्यार्थियों की संख्या घटी शिक्षा,
शिक्षक के अभाव में कैसे होगा पूरा आखिर गरीब विद्यार्थियों के साथ मजाक क्यों ?

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/कोसीर,
सारंगढ़ जिला मुख्यालय के सांस्कृतिक नगरी कोसीर के स्कूलों की स्थिति शिक्षा के क्षेत्र में क्यों गिरावट आ रही है जिसका मंथन आज कोई नहीं करता सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या दिन ब दिन घट रही है वहीं निजी स्कूलों में दर्ज संख्या बढ़ रही है ।शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए शिक्षक की भूमिका अहम होती है लेकिन स्कूल में शिक्षक नहीं नहीं होंगे तो शिक्षा के स्तर में क्या सुधार होगा गरीब तबके के बच्चे आज भी टूटे -फूटे भवन शिक्षक के अभाव में अपनी पढ़ाई पूरा करने को मजबूर है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ भारत सरकार का एक निजी अभियान है जिसका उद्देश्य लड़कियों के लिए कल्याणकारी सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना और उनकी दक्षता में सुधार करना है जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं होंगे तो कैसे सुधार होगा । कोसीर शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक शाला शाला की स्थापना 1987 में हुई थी उस समय यहां सैकड़ों विद्यार्थी पढ़ने आते थे समय के साथ साथ आज जगह जगह स्कूल खुलने से अब यहां की वर्तमान विद्यार्थियों की संख्या 78 हो गई है कक्षा 6 वीं से 8 वीं तक बालिकाएं पढ़ने तो आती है पर शिक्षकों के अभाव में शिक्षा कहीं न कहीं अधूरी ही लगती है । बालक -कन्या प्राथमिक शाला और कन्या पूर्व माध्यमिक शाला एक ही भवन में अलग अलग समय में
लगते हैं ।

सुबह प्राथमिक स्कूल और 11बजे से माध्यमिक शाला आखिर प्राथमिक स्कूल और माध्यमिक स्कूल एक ही भवन में संचालित पिछले वर्ष से हो रही है इसका मुख्य कारण बालक -कन्या प्राथमिक शाला भवन का जर्जर होना है बालक- कन्या दोनों प्राथमिक शाला को अब जोड़कर प्राथमिक शाला बना दिया गया है यह आजादी के पहले 1914 में स्थापना हुई थी जहां हमारे पूर्वजों ने यहां पढ़ा यह स्कूल यहां की की धरोहर है 111 वर्ष के बाद अब अपनी पहचान खो चुका है भवन नहीं है । भवन जर्जर हो गई है प्राथमिक शाला में बालिका 24 और बालक 27 दर्ज हैं वहीं प्रधान पाठक प्रेम किशन सिदार,शिक्षक ऋषिकेश प्रधान ,महेंद्र कुर्रे ,शिक्षिका चांदनी चौहान पदस्थ हैं ।

कन्या पूर्व माध्यमिक शाला में 6 वीं से 8वीं कक्षा तक 78 बालिकाएं है जहां सिर्फ दो शिक्षक हैं प्रभारी प्रधान पाठक बेद प्रकाश आनंद और शिक्षिका दुलेश्वरी आदित्य दो शिक्षक के सहारे माध्यमिक शाला टिकी हुई है । जबकि यहां प्रधान पाठक की पद खाली है वहीं और दो शिक्षकों की कमी है आखिर यहां की पढ़ाई कैसे होगी । दो शिक्षकों की यहां नियुक्ति होना अनिवार्य है ? वहीं प्रभारी प्रधान पाठक के ऊपर संकुल समन्वयक की जिम्मेदारी है ।
गुरु जी बिना कैसे होही पढ़ाई _ कैसे नोनी पढ़े -लिखे ल सिखही : स्कूल आ पढ़े बर ज़िन्गी ल गढ़े बर… ऐसे नारे सिर्फ और सिर्फ कागजों में क्या सिमट जाएंगे । क्या कहते हैं प्रभारी प्रधान पाठक कन्या पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठक से शिक्षा और शिक्षकों की कमी के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा यहां शिक्षक की कमी है यहां शिक्षक की व्यवस्था से विद्यार्थियों को लाभ होगा प्रभारी प्रधान पाठक बेद प्रकाश आनंद (संकूल समन्वयक)
क्या कहते हैं पालक स्कूल में पढ़ रहे विद्यार्थी के पालक राजेश यादव ने बताया कि यहां शिक्षकों की कमी है यहां बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

क्या कहते हैं उपसरपंच

शिक्षा, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण समिति के अध्यक्ष श्रीमती लता पोलेश्वर बनज ने कहा कि स्कूल में शिक्षकों की मांग करेंगे ।

श्रीमती लता बनज कोसीर, उप सरपंच

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