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उद्घाटन समारोह का बहिष्कार ओछी मानसिकता- अरविंद खटकर

उद्घाटन समारोह का बहिष्कार ओछी मानसिकता- अरविंद खटकर

भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा जिला उपाघ्यक्ष अरविंद खटकर ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही विपक्षियों को लताड़ लगाई है लेकिन नवीन संसद भवन उद्घाटन समारोह का बहिष्कार ठीक नहीं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह विडंबना ही है कि नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी बवाल मच गया है। अनेक राजनीतिक दलों ने 28 मई को होने वाले समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। बुधवार की सुबह राजद ने घोषणा की है की वह समारोह का बहिष्कार करेगा। एनसीपी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) भी नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करेगी। तृणमूल कांग्रेस पहले से ही समारोह में शामिल नहीं होने की बात कह चुकी है। सपा ने भी बुधवार उद्घाटन का समोराह से दूर रहने की घोषणा कर दी। इससे पहले आम आदमी पार्टी, विदुधलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), अखिल भारतीय मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल न होने का ऐलान कर चुके हैं। उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि सभी विपक्षी दलों ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। वहीं, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी डीएमके पार्टी की सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि हमारी पार्टी भी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। पूरे विवाद की शुरुआत कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक ट्वीट से हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाया जाना चाहिए। अगर प्रधानमंत्री उद्घाटन करते हैं तो ये राष्ट्रपति का अपमान होगा। हमारे राजनीतिक दलों को भी सोचना चाहिए कि संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है। यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ सम्मानित प्रतिष्ठान है। यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है। 862 करोड़ रुपये में बने नए संसद भवन का काम पूरा हो गया है। प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी। नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इस बिलिं्डग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनी ये बिलिं्डग प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसे 28 महीने में बनाया गया। पुराना संसद भवन 47 हजार 500 वर्गमीटर में है, जबकि नई बिलिं्डग 64 हजार 500 वर्ग मीटर में बनाई गई है। यानी पुराने से नया भवन 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और वीआईपीज के लिए अलग एंट्री है। इस पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसका डिजाइन एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888. सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है। अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे। कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं। कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और वीआईपी लाउंज की भी व्यवस्था है। इतना सब होने के बाद 19 राजनीतिक दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करके समारोह को किरकिरा कर दिया। हालांकि वाईआरएस, बीजू जनता दल और तेलुगु देशम ने संसद का सम्मान करते हुए समारोह में शामिल होने की बात कही है। होना भी यही चाहिए था। जिला उपाध्यक्ष अरविंद खटकर ने कहा कि संसद भवन उद्घाटन समारोह को राजनीति मंच बनाना कतई सही नहीं है। राजनीति में समर्थन और विरोध अलग मुद्दा है। जहां तक संसद भवन की बात है तो देश की सबसे बड़ी पंचायत के भवन का सम्मान किया जाना चाहिए। विरोध के लिए हजारों मौके होते हैं। जब बात देश के सम्मान की हो तो सभी हो एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए। यही लोकतंत्र का मूल है। किन्तु वास्तविकता में देखा जाए तो यह नवीन संसद भवन खासकर कांग्रेस को रास नही आ रहा है। मोदी जी के दौर में हो रहे डेवेलपमेंट के कारण कांग्रेसियों के पेट में दर्द उठ रहे हैं जिनका कोई ईलाज नही। उक्त बातें प्रेस के माध्यम से जिला उपाघ्यक्ष अरविंद खटकर के द्वारा कही गई।

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