बिना पीसी स्वीकृति के कीटनाशक दवा यहा बिक रही
कृषि विभाग के संरक्षण मे बिक रही है बिना पीसी की दवाईयां
बिना पीसी वाली कीटनाशक दवाई के गुणवत्ता पर संदेह?
जिन दवा कंपनी को प्रदेश में अनुमति नही वो बिक रही है सारंगढ़ अंचल में?
सारंगढ़,
सारंगढ़ अंचल प्रदेश का सबसे बड़ा धान का उत्पादक क्षेत्र है। सारंगढ़ और सरिया-बरमकेला क्षेत्र में कृषि सबसे बड़ा रोजगार का कार्य है। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक उत्पादन करने वाले विकासखंड़ में सारंगढ़ और बरमकेला विकासखंड़ शामिल है। किन्तु इस बार बेमौसम बरस रही पानी के कारण से धान के फसल पर विभिन्न प्रकार से रोग से फसलो को जबरदस्त नुकसान हो रहा है। लेकिन इस रोग को ठीक करने के लिये ऐसे ऐसे कीटनाशक कंपनियो के कीटनाशक दवाई सारंगढ़ अंचल मे बिक रहा है जिसको प्रदेश मे विक्रय करने की अनुमति नही है। कृषि विभाग सारंगढ़ के जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद कर ऐसे कंपनियो को संरक्षण प्रदान कर रहे है।
कृषि प्रधान क्षेत्र सारंगढ़ और बरमकेला मे अभी किसानो को अपने फसल को विभिन्न रोगो से बचाने की चिंता सता रही है। धान का उत्पादन प्रति एकड़ कम होने की सबसे बड़ी वजह है धान की फसल में लगने वाले कीट व रोगों का सही समय पर नियंत्रण नहीं होना। वही अंचल में धान की फसल में लगने कीट तथा रोगों के प्रकोप से सालाना लगभग 10 से 15 फीसदी उत्पादन कम होने का अनुमान है। ऐसे में सही समय पर फसल में कीट व रोगों की पहचान करके इनका नियंत्रण करना आवश्यक होता है। धान की फसल को मुख्यतः चार तरह के सूक्ष्म जीव जैसे कवक, जीवाणु, वायरस तथा नेमाटोड नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में धान की फसल में कीट व रोगों का उचित प्रबंधन करना बेहद आवश्यक है। वर्तमान मे खरीफ फसल में ब्लास्ट रोग सबसे बड़ी समस्या के रूप मे सामने आया है। इस रोग के रोकथाम के लिये विभिन्न कंपनी के कीटनाशक दवाईयां बाजार मे उपलब्ध है किन्तु इसमें कई कंपनी की ऐसी दवा भी बाजार मे मिल रही है जिनकी पीसी छत्तीसगढ़ राज्य में स्वीकृत नही है। वही किसानो के द्वारा कीटनाशक दवा के बारे मे अधिकांश सलाह कीटनाशक दवा बेचने वाले दुकानदारो के भरोसे करतै है। कई किसानो ने बताया कि फसलो मे लगने वाले रोगो से बचाव के लिये फसल का नमूना कीटनाशक दवा बेचने वाले दुकानदारो को ही बताते है तथा उनकी सलाह से ही दवाओ की खरीदी करते है। किन्तु छत्तीसगढ़ राज्य मे जिन कंपनी के ही दवाओ को विक्रय करने की अनुमति है तथा बाजार में किन-किन कंपनी के दवाओ का विक्रय हो रहा है? इस बात की जानकारी लेने का प्रयास कृषि विभाग के अधिकारी और मैदानी अमला बिल्कुल भी नही करते है। वर्तमान समय मे खरीफ की फसल को कीट प्रकोप से सबसे ज्यादा खतरा है किन्तु आश्चर्य की बात है कि कृषि विभाग अभी तक इस संबंध में ना तो कोई आयोजन करवा रहा है और ना ही किसानो को लिये किसी भी प्रकार का कोई बैठक करवा रहा है। ऐसे मे किसान दुकानदार के भरोसे ही अपना फसल पर लगे रोग को दूर करने का सलाह लेकर दवाईयो का छिड़काव कर रहा है। वही दर्जनभर से अधिक किसानो ने चर्चा मे बताया कि सारंगढ़ में मिल रही कुछ कंपनी के दवाओ का कोई भी असर फसलो पर नही हो रहा है। काफी महंगी दर पर मिल रही दवाओ को छिड़काव सही समय पर तथा सही मात्रा मे करने के बाद भी कोई लाभ यहा पर नही मिल रहा है। ऐसे में अभी किसान सिर्फ खेतो मे दवाओ के छिड़काव करने मे ही व्यस्त है। वही कई किसानो ने बताया कि सारंगढ़ अंचल में कई प्रकार के कंपनियो के कीटनाशक दवाईयो का विक्रय हो रहा है। जिसमे से कई नामी कंपनी का दवा फसलो मे लाभदायक तो है किन्तु कई कंपनियो की दवाई बेअसर है। जिसके कारण से आर्थिक नुकसान होने के साथ साथ फसलो के खराब होने का खतरा बना रहता है।
बिना स्वीकृति के बिक रही है अवैध कीटनाशक दवाईयां?
बताया जा रहा है कि प्रदेश में कीटनाशक कंपनी को अपनी दवाओ के लिये पीसी स्वीकृति करानी पड़ती है तब जाकर उस कंपनी के दवाओ की गुणवत्ता संबंधी जांच के उपरांत प्रदेश सरकार के कृषि विभाग कीटनाशक दवाओ की विक्रय की अनुमति प्रदान करता है। किन्तु ऐसे भी कंपनी की दवा सारंगढ़ अंचल के कृषि दुकानो मे धड़ल्ले से बिक रही है जिसका पीसी प्रदेश सरकार के द्वारा स्वीकृत नही है। साथ ही पड़ोसी राज्य उड़ीसा से भी काफी संख्या में कीटनाशक दवाओ की बड़ी खेप छत्तीसगढ़ में खप रही है। विशेषकर सारंगढ़-बरमकेला-सरिया अंचल में कृषि दवाओ का बड़ा व्यापार का केन्द्र है। वही पूरे मामलें में कृषि विभाग के अधिकारियो से संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु उनसे संपर्क नही हो पाया।
फसलो से रोग से बचाने के लिये नही है कोई पुख्ता सलाहकार?
नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला मूल रूप से कृषि पर निर्भर है तथा सिंचाई के सिमित संसाधन होने के कारण से सिर्फ खरीफ के फसल यहा पर व्यापक मात्रा मे होता है। ऐसे मे इस वर्ष हो रही इस माह तक की वर्षा से फसलो मे कीटप्रकोप काफी लग रहे है। किन्तु कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी इस दिशा मे कोई प्रयास नही कर रहे है कि गांव-गांव मे जनचौपाल लगाकर किसानो को धान के फसल मे लगने वाले रोग के उपचारात्मक कोई जानकारी दे सकें। इसके कारण से किसानो को अभी कीटप्रकोप के मामले मे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।कृषि विभाग मे मैदानी अमला भी काफी संख्या में है किन्तु किसानो की समस्या से दूर सिर्फ कागजो पर सक्रिय रहने वाले मैदानी अमला किसानो के लिये मददगार साबित नही हो पा रहे है।