नगर पालिका ने 200 से अधिक शहरी हितग्राहियो के नाम पीएम सूची से विलोपित करने भेजा नोटिस,
अंतिम किस्त के लिये 100 हितग्राही आज भी नपा का चक्कर काटने मजबूर
सारंगढ़ में सरकारी कार्यालयो का चक्कर काटने मजबूर हितग्राही?
राज्य सरकार की लचर कार्यप्रणाली का खामियजा भुगत रहे है हितग्राही
सारंगढ़,
छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन विभाग के द्वारा प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत बनाया गया डीपीआर में नजूल नामांतरण नही होने के कारण से भूमि स्वामित्व संबंधी प्रपत्र प्रस्तुत नही करने वाले 200 से अधिक हितग्राहियो को नोटिस देकर तीन दिन के भीतर प्रपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। भू-स्वामी संबंधी प्रपत्र प्रस्तुत नही करने पर उनका नाम डीपीआर से विलोपित करने की चेतावनी दिया गया। इस पत्र मे जानकारी दिया गया है कि 27 दिसंबर 2017 को उक्त डीपीआर बनाया गया है किन्तु आज तक भू-स्वामी संबंधी प्रपत्र नही दिया गया है। वही हितग्राहियो ने बताया कि सारंगढ़ शहर का नजूल नामांतरण गत 5 सालो से बंद पड़ा है। इस कारण से अपने पूर्वजो की भूमि उनके नाम पर अभिलेख में प्रविष्ट नही हो रही है। इस कारण से अपने पूर्वजो की स्वामित्व वाली भूमि पर शासन की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ नही मिल रहा है। वही नजूल नामांतरण नही होने के कारण सारंगढ़ शहरी क्षेत्र में पीएम आवास “बीरबल की खिचड़ी” बनकर रह गया है।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ नगर पालिका क्षेत्रार्न्तगत लगभग 1800 से अधिक हितग्राहियो को मोर आवास योजना के तहत आवास हेतु राशी आबंटन करने के लिये डीपीआर का निमार्ण 27 दिसंबर 2017 को किया गया। इसमें लगभग 200 से अधिक हितग्राहियो का नाम सिर्फ इस कारण से स्वीकृत नही हो रहा है कि उनका पूर्वजो के नाम की भूमि पर हितग्राही काबिज तो है किन्तु उनके नाम पर नजूल नामांतरण नही हो पाया है। इस कारण से उनके नाम पर भूमि स्वामी संबंधी दस्तावेज नही है। भू-स्वामी संबंधी दस्तावेज की कमी के कारण से डीपीआर में नाम आने के बाद भी ऐसे हितग्राही को पीएम शहरी आवास योजना के तहत आबंटन नही हो पा रहा है जो पात्र है किन्तु भू-स्वामी संबंधी दस्तावेज जमा नही किये है। इनका नाम को डीपीआर मे विलोपित करने के बाद अन्य 400 हितग्राही जो कि प्रतीक्षारत है उनका नाम का डीपीआर बनाया जायेगा और पात्र होने पर आबंटन जारी किया जायेगा। ऐसे में 6 अक्टूबर 2022 को नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी नोटिस से नजूल नामांतरण के अभाव में भटक रहे हितग्राहियो मे हड़कंप मच गया है। लगभग 200 से अधिक हितग्राही जो कि अपने पूर्वजो के भूमि-मकान पर ही काबिज है उनको सिर्फ अभिलेख दुरूस्तीकरण यानि नजूल नामांतरण के कारण से ही मोर मकान योजना के तहत पीएम शहरी आवास योजना से दूर हो जायेगें। उल्लेखनीय है कि नजूल मेटनेंस खसरा में नामांतरण की कार्यवाही गत 5 वर्षो सें लंबित है तथा इस दिशा मे सांसद, विधायक और कलेक्टर और एसडीएम को ज्ञापन देकर नजूल नामांतरण का कार्य संपन्न कराने को निवेदन करते-करते शहरवासी थक गये है। प्रशासन के द्वारा नजूल मेटनेंस खसरा के आधार पर रकबा निर्धारण के लिये ड्रोन कैमरा से सारंगढ़ शहरी क्षेत्र का नजरी नक्शा तैयार करने तथा डोर-टू-डोर मिलान करने का कार्य आज तक पूरा नही हो पाया है। इसके कारण से आज भी नजूल नामांतरण का कार्य अटका हुआ है। अब इस नजूल मेंटनेंस का नामान्तरण नही होने से हितग्राही शासन की महत्वपूर्ण योजनाओ से महरूम हो रहे है जिसको लेकर शहर मे खासा आक्रोश व्याप्त है।
कलेक्टर के पास मिले थे पार्षद सत्येन्द्र और मयूरेश
इस संवेदनशील मामले में कलेक्टर सारंगढ़-बिलाईगढ़ डी.राहुल वेंकट के पास मिलकर सारंगढ़ की इस वृहद समस्या से पार्षद तथा पूर्व उपाध्यक्ष सत्येन्द्र बरगाह और पार्षद मयूरेश केशरवानी ने अवगत कराया था। तथा इस नजूल नामांतरण और मेंटनेंस खसरा के रकबा का नजरी नक्शा नही होने से हो रही परेशानी से अवगत कराया था किन्तु इस कार्य को शीघ्रता से पूर्ण करने के प्रशासन की कयावद के बीच नगर पालिका सारंगढ़ के सीएमओ के द्वारा डीपीआर मे नाम विलोपित करने 200 से अधिक हितग्राहियो को नोटिस जारी करने से हितग्राहियो मे हड़कंप मच गया। भू-स्वामी संबंधी प्रपत्र प्रस्तुत करने के लिये महज 3 दिन का समय देना और नजूल नामांतरण का कार्य अभी तक लंबित रहने से सीधा-सीधा 200 से अधिक हितग्राही पीएम शहरी आवास योजना के डीपीआर से बाहर हो जायेगें तथा उनका अपना मकान का सपना अधूरा ही रह जायेगा।
सरकारी जमीन पर आबंटन लेकिन पुश्तैनी जमीन पर नजूल का पेंच?
मोर मकान योजना मे पीएम शहरी आवास योजना में 2015 के पूर्व सरकारी आबादी भूमि जिसमें बिजली बिल और आधार कार्ड सहित कुछ औपचारिकता संबंधी प्रपत्र होने पर पीएम शहरी आवास योजना के डीपीआर मे नाम आ जा रहा है और आबंटन भी मकान निमार्ण के लिये जारी हो गया है। किन्तु पुश्तैनी भूमि जिसका नजूल मेंटनेंस नही होने तथा शहर का रकबा का निर्धारण नही होने के कारण से भू-स्वामी संबंधी दस्तावेज अधूरा है जिसके कारण से पुश्तैनी जमीन पर पीएम शहरी आवास योजना के तहत आवास स्वीकृति डीपीआर मे नाम आने के बाद भी नही हो रहा है। और सरकारी आबादी भूमि पर काबिज हितग्राहियो का संपन्न हो जा रहा है। आखिर खुद की पुश्तैनी जमीन पर स्वामित्व संबंधी कार्य सरकार के राजस्व विभाग के लचर कार्यप्रणाली के कारण से नही हो पा रहा है और इसके कारण से 200 से अधिक हितग्राही भटकने के लिये मजबूर हो रहे है।
अंतिम किस्त के लिये 100 से अधिक हितग्राही चक्कर काट रहे?
इस योजना के तहत पहले नजूल नामांतरण के प्रकरण में नोटिस जारी होने के आधार पर डीपीआर मे नाम होने पर इसका आबंटन को स्वीकृति प्रदान कर दिया जाता था तथा अंतिम किस्त जारी होने के पूर्व स्वामित्व संबंधी प्रपत्र जमा करना अनिवार्य कर दिया गया था। इसमें लगभग 100 से अधिक हितग्राही तीन किस्त पाने के बाद अंतिम किस्त के लिये चक्कर काट रहे है। किन्तु नामांतरण नही होने से उनका भी स्वीकृति अधूरा हो गया है। अगर नामांतरण की कार्यवाही नही हो पाती है तो उनका भी स्वीकृति निरस्त हो सकती है तथा उनको दिया गया 3 किस्त की राशी को शासन वापस मांग सकती है। ऐसें में शहर मे नजूल नामांतरण की कार्यवाही काफी उपयोगी और सभी समस्याओ का एक मात्र साधन दिख रही है। पहले लगभग 2 वर्ष पूर्व न्यायालय में नजुल नामंत्रण हेतु दिए आवेदन अनुसार इश्तहार आदेश के आधार पर सैकड़ों हितग्राहियों को तीन क़िस्त भुगतान के शर्त व न्यायालय से नामंतरण अंतिम आदेश होने पर अंतिम क़िस्त की भुगतान करने हेतु भवन अनुज्ञा नगर पालिका से जारी किया गया था किंतु तत्कालीन एसडीएम चंदकांत वर्मा के द्वारा नजुल रिकॉर्ड में रकबा नही होने के कारण नजुल नामंतरण हेतु प्राप्त सभी आवेदन को निरस्त/स्थगित करने के कारण आज तक सैकड़ों हितग्राही आवास पूर्ण होने पर भी चौथा किस्त राशि भुगतान नही पा रहे है।
आवास योजना हेतु 2 वर्षो से मोर जमीन मोर मकान हेतु नया डी पी आर की स्वीकृति नहीं?
प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वेक्षण के आधार पर पात्र हितग्राहियों के नाम नजूल नामंतरण नही होने के कारण हितग्राहियों द्वारा स्वामित्व संबंधी दस्तावेज 3 दिवस में नही जमा करने पर नाम विलोपित करने से भविष्य में और इनका नामंतरण हो भी गया तो नया डी पी आर में नाम जुडना बेहद मुश्किल होगा। क्योकि वर्तमान में अभी सर्वे के आधार पर लगभग 400 नये हितग्राहियों की सूची नगर पालिका में डीपीआर स्वीकृति हेतु तैयार है।