जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़-बिलाईगढ़ में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन न होने पर आरक्षण प्रक्रिया पर उठे सवाल?

सारंगढ़-बिलाईगढ़ में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन न होने पर आरक्षण प्रक्रिया पर उठे सवाल?

सारंगढ़-बिलाईगढ़ में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन न होने पर आरक्षण प्रक्रिया पर उठे सवाल?

सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन न होने के बावजूद आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर दी गई है, जिससे प्रशासन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लग रहा है। राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनके अनुसार, आरक्षण प्रक्रिया को निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरक्षण प्रक्रिया को लेकर तय नियमों के अनुसार, यह प्रक्रिया मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद ही की जानी चाहिए। सारंगढ़-बिलाईगढ़ में ऐसा न करते हुए प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया गया, जिससे राजनीतिक दलों में रोष व्याप्त है। कई स्थानीय नेताओं ने इसे प्रशासन की लापरवाही करार
दिया है। उनका कहना है कि प्रशासन ने नियमों का पालन न करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।

राजनीतिक दलों की नाराजगी

स्थानीय राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार, कई ब्लॉक स्तर के नेता इस मुद्दे को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि आरक्षण प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और नियमों के तहत होनी चाहिए, ताकि किसी भी वर्ग के साथ अन्याय न हो। बंद लिफाफा प्रक्रिया पर सवाल

राज्य के अन्य जिलों में आरक्षण प्रक्रिया बंद लिफाफे के माध्यम से की गई थी, जिससे गोपनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। लेकिन सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में यह प्रक्रिया बंद लिफाफे में नहीं की गई। इस कारण, आरक्षण प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

कोर्ट में अपील की तैयारी

राजनीतिक दलों का मानना है कि आरक्षण प्रक्रिया के नियमों का पालन न करना जनता के अधिकारों का हनन है। नेताओं का कहना है कि वे कोर्ट में अपील करेंगे, ताकि इस प्रक्रिया को पुनः निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ आयोजित किया जा सके। इस विवाद के चलते यह मांग जोर पकड़ रही है कि आरक्षण प्रक्रिया को दोबारा किया जाए और प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि सभी नियमों का पालन हो। स्थानीय जनता और राजनीतिक दलों का कहना है कि यह मामला केवल आरक्षण का नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने का भी है।

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