
टिमरलगा के मां शारदा और चंद्रा क्रशर सील, एक को नोटिस जिला प्रशासन की क्रेशरो पर कार्यवाही शुरू,
सारंगढ़, लंबे समय बाद सारंगढ़-बिलाईगढ़ प्रशासन ने क्रशरों पर कार्रवाई की है। टिमरलगा और गुड़ेली के दो क्रशरों को नियमों का पालन नहीं करने पर सील कर दिया गया है। वहीं एक क्रशर को नोटिस दिया गया है। क्रशरों के लिए सूचीबद्ध पर्यावरणीय नियम बेहद गंभीर होते हैं। इन शर्तों के आधार पर ही क्रशर संचालन की अनुमति दी जाती है। ऑक्यूपेशनल डिसीज के नजरिए से क्रशर का कारोबार संवेदनशील होता है। देखने में आया है कि क्रशर संचालक केवल कारोबार पर ही ध्यान देते हैं। पर्यावरण नियमों का पालन करने में उनको कोई रुचि नहीं होती है। इस पर कार्रवाई भी सतही होती है। पर्यावरण विभाग नोटिस देकर उनको सुधरने की मोहलत देता है, उसके बाद सब ठंडा। टिमरलगा और गुड़ेली में क्रशरों की भरमार है।
हर 50 मीटर पर एक क्रशर संचालित है। दिन हो या रात पूरा क्षेत्र लाइमस्टोन डस्ट से पटा रहता है। यहां के लोग इसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। इन पर जैसी कार्रवाई होनी चाहिए, कभी नहीं होती। लंबे समय बाद सारंगढ़-बिलाईगढ़ प्रशासन ने टिमरलगा और गुड़ेली में जांच की। यहां जय मां शारदा क्रशर और मुरली चंद्रा के क्रशर में दबिश दी। डिप्टी कलेक्टर अनिकेत साहू और खनिज विभाग की
टीम ने पाया कि प्रदूषण रोकने के लिए जो उपाय किए जाने थे, वे नहीं किए गए। कन्वेयर बेल्ट कवर नहीं था, पानी का छिडक़ाव नहीं किया गया, स्टॉक और रेट लिस्ट चस्पा नहीं थी। वृक्षारोपण नहीं किया गया है। ऐसी कमियां पाए जाने पर टीम ने दोनों क्रशरों को सील कर दिया। इसके बाद जगदम्बा क्रशर में जांच हुई। लंबे समय से क्रशर बंद पाया गया। संचालक को नोटिस दिया गया है।
बीमारियां बांट रहे क्रशर
कुछ महीने पहले टिमरलगा और गुड़ेली के क्रशरों में काम करने वालों की स्वास्थ्य जांच हुई थी। इसमें टीबी के कई मरीज पाए गए थे। इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को गंभीर हो जाना था, लेकिन बात दबा दी गई। ऑक्यूपेशनल हेल्थ डिसीज को लेकर औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग भी कार्रवाई नहीं करता। इस क्षेत्र में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से बहुत लोग प्रभावित होंगे।