30 लाख की नई सोनोग्राफी मशीन : लेकिन रेडियोलाजिस्ट नही होने से उपयोग नही?
सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल बदहाली के दौर में,
जिला बनने के बाद भी नही सुधर रही है सरकारी अस्पताल की व्यवस्था,
39 करोड़ का जिला चिकित्सालय का वर्क आर्डर जारी लेकिन काम शुरू नही, शासन का दावा 400 प्रकार की दवाई मुफ्त, यहा है मात्र 120 प्रकार की दवा?
भाग-2
सारंगढ़,
सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल की दुर्दशा को लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि रूचि नही ले रहे है इस कारण से 19 डाक्टर होने के बाद भी यहा पर ओपीड़ी में महज 5-6 डाक्टर ही बैठ रहे है वही डीएमएफ फंड़ से 30 लाख रूपये मे खरीदी की गई सोनोग्राफी मशीन यहा पर रेडियोलाजिस्ट नही होने से धूल खाते पड़ी है। इस मशीन का उपयोग आज तीन साल होने को जा रहा है एक बार भी नही किया गया है। ऐसे ही 2 और मशीन सारंगढ़ और बरमकेला विकासखंड़ के सरकारी अस्पतालो में दिया गया है किन्तु एक का भी संचालन आज तक नही हुआ है। वही 39 करोड़ की लागत से बनने वाले नये जिला चिकित्सालय के लिये वर्कआर्डर जारी हो गया है किन्तु आज
तक काम का श्रीगणेश नही हो पाया है।
सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल के बदहाली में स्थानीय मेड़िकल अधिकारियो और पदस्थ डाक्टरो की लापरवाही की भूमिका मुख्य है। ओपीडी के बारे मे सारंगढ़ टाईम्स मे समाचार छपने के बाद यहा पदस्थ डाक्टरो के बीच हड़कंप मच गया और व्यवस्था में सुधार को लेकर आने वाले एक दो दिन में बड़े बदलाव का रूपरेखा तैयार करने मे बड़े अधिकारी जुटे हुए है। वही आज लाखो रूपये की मेडिकल मशीन का उपयोग नही होने का मामला का खुलासा किया जा रहा है। सारंगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र में स्थिति सुधारने के लिये तीन साल पहले 30 लाख रूपये की लागत से सोनोग्राफी मशीन यहा के लिये भेजा गया है किन्तु दुर्भाग्य देखिये यहा पर लाखो रूपये की यह मशीन शुरू ही नही हो पाई है तथा इस मशीन को संचालित करने वाले तकनिकी सहायक यानि रेडियालाजिस्ट के नही रहने के कारण से 3 साल से यह मशीन धूल खाते पड़ी हुई है। इस सोनोग्राफी मशीन को शुरू करने से यहा प्रसव कराने के लिये
आने वाली गर्भवती महिलाओ को काफी सहूलियत हो जाता तथा नाम मात्र के शुल्क मे उन्हे सोनोग्राफी मशीन का लाभ मिल जाता। किन्तु सारंगढ़ मे पदस्थ मेडिकल के जिला स्तर के अधिकारी तथा ब्लाक स्तर के अधिकारियो ने कभी भी प्रयास नही किया कि यहा पर सोनोग्राफी मशीन प्रारंभ हो सकें। यहा पर रेड़ियोलॉजिस्ट के नियुक्ति या संविदा नियुक्ति या दैनिक वेतनभोगी नियुक्ति के बारे मे कभी भी विचार तक नही किया गया इस कारण से आज तक 30 लाख रूपये की यह मशीन धूल खाते हुए पड़ी है। साधन-संपन्न वर्ग के गर्भवती महिलायें प्रसव संबंधी सोनोग्राफी के लिये अन्य स्थान अथवा बडे निजी अस्पतालो की ओर चले जाते है तथा उनके लिये 1000-2000 रूपये नाम मात्र का फीस है किन्तु गरीब महिलाओ के लिये जहा सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी मात्र 100-200 रूपये मे हो जाता वह रेड़ियोलाजिस्ट के नही होने से नही हो रहा है जिसके कारण से गरीबो को शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
स्वास्थ विभाग का दावा 400 प्रकार की दवाई, यहा है मात्र 120 प्रकार की दवा?
सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल मे नि:शुल्क दिये जाने वाले दवाओ को लेकर भी काफी गंभीर खामिया है। कागजो मे यहा पर पूरे 400 प्रकार की दवाई भेजा जा रहा है किन्तु हकीकत में यहा पर सिर्फ 120-130 प्रकार की ही दवाएं ही उपलब्ध है। इस संबंध में जानकरो ने बताया कि डाक्टरो के द्वारा जो दवाई प्रिपकेंपशन मे लिखा जाता है उसमें से सरकारी अस्पताल में महज आधा ही उपलब्ध हो पाता है जो मरीजो को नि:शुल्क मिलता है शेष दवाओ के लिये मरीज के परिजनो को खर्च करना पड़ता है और दवाई बाहर के दुकानो से खरीदना पड़ता है। इस कारण से सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल में आपूर्ति होने वाली सरकारी दवाओ की आड़िट होना और भौतिक सत्यापन होना आवश्यक है। जिससे आपूर्ति होने वाली दवाओ की वस्तुस्थिति का पता चल सकें।
39 करेाड़ का जिला चिकित्सालय का निमार्ण शुरू नही?
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के लिये 39 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले नये जिला चिकित्सालय भवन का निमार्ण चंदाई-कुधरी के पास सरकारी भूमि पर किया जाना है। इसके लिये शासन के द्वारा टेंडर जारी कर दिया गया है तथा निविदा दर फायनल होने के बाद वर्क आर्डर जारी हो गया है किन्तु आज तक भवन निमार्ण प्रारंभ नही हो पाया है। इस मामले मे खुलकर कोई जानकारी सामने नही आ रही है किन्तु सूत्र बताते है प्रस्तावित जमीन को लेकर कुछ विवाद चल रहा है इस कारण से नया जिला चिकित्सालय भवन के निमार्ण में अभी विलंब है।