सारंगढ़ के सरकारी हस्पताल में है 19 डॉक्टर, लेकिन ओपीड़ी
में नही आते अधिकांश डॉक्टर!यहा शाम को ओपीड़ी खुलती ही नही?
सारंगढ़ सरकारी अस्पताल का हॉल-बेहाल?
दो सर्जन होने के बाद भी रिफर सेंटर बन गया सारंगढ़ का सरकारी अस्तपाल? यह हास्पिटल 30 बिस्तर का सीएचसी है? सिविल है? या 100 बिस्तर? कि 200 बिस्तर का जिला चिकित्सालय? भाग-1
सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला बने दो वर्ष से अधिक समय हो गया किन्तु अभी तक सरकारी अस्पताल की दशा में कोई परिर्वतन नही आया
है। छत्तीसगढ़ में सरकारी डाक्टरो के निजी प्रेक्ट्रिस मे रोक लगाये जाने के आदेश के विपरीत यहा पर सुबह 9 बजे से 1 बजे तक लगने
वाला ओपीडी में तीस फीसदी डाक्टर की समय पर पहुंचते है। वही शाम को 5 बजे से 7 बजे तक लगने वाली ओपीडी यहा पर लगती है नही है। सरकारी डाक्टरो की मनमानी के कारण से जिलेवासी मजबूरन निजी हस्पताल की ओर रूख करते है। सारंगढ़ का सरकारी अस्पताल आज भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यहा पर वर्तमान में 19 एमबीबीएस डाक्टर पदस्थ है। जिसमे से कुछ विशेषज्ञ डाक्टर भी शामिल है। शासन के निर्देशानुसार सरकारी हस्पताल में पदस्थ सभी डाक्टरो का अनिवार्य रूप से सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक ओपीडी यानि बाहृय रोगी विभाग में अपनी सेवाये देनी है तथा आने वाले मरीजो को स्वास्थ परीक्षण करना है किन्तु सारंगढ़ के सरकारी अस्तपाल में ऐसा नही है यहा पर पदस्थ 19 डाक्टरो मे से महज 5 या 6 डाक्टर ही ओपीडी मे मरीजो को अटेंड करते है शेष सभी डाक्टर अपने निवास में या तो निजी प्रेक्ट्रिस मे व्यस्त रहते है या कुछ निजी हास्पीटल में सेवा देते है। जिसके कारण से सरकारी हस्पताल पहुंचने वाले मरीजो को निराशा हाथ लगती है। वही शाम को 5 बजे से 7 बजे तक लगने वाला ओपीडी यहा पर नही लगता है।
जब दिन और शाम में डाक्टर सरकारी हास्पीटल में रहना पसंद नही करते है तो रात के समय की कल्पना नही किया जा सकता है। इस सरकारी अस्पताल परिसर में अभी तीन प्रकार के कार्यालय संचालित है जिसमे से पहला जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी कार्यालय है दूसरा खंड़ चिकित्सा स्वास्थ अधिकारी का कार्यालय है और तीसरा सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र का कार्यालय है इसके बावजूद यहा पर पदस्थ 19 डाक्टरो मे सुबह 9 बजे पहुंचने वालो डाक्टरो मे सिर्फ पांच या छ: डाक्टर है। बाकि डाक्टर या तो 12 बजे आयेगे और 1 बजे वापस चले जाते है या आने के बाद अंत:रोगी विभाग का राऊंड लेकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते है। यहा पर अपना ईलाज कराने आने वाले मरीजो को डाक्टरो के नही आने पर काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है किन्तु उनकी यहा पर कोई सुनने वाला नही है।
सभी डाक्टरो की ओपीडी में नियमित रूप से उपस्थिति को लेकर सवाल पूछने पर कर्मचारी रूखा व्यवहार करते है तथा जो डाक्टर है उनसे ईलाज कराने का सलाह देते है। वही शाम को ओपीडी सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल में खुलता ही नही है। यहा पर सुबह 9 बजे से 1 बजे तक तथा शाम को 5 बजे से 7 बजे तक ओपीडी मे सभी डाक्टरो को बैठना अनिवार्य है किन्तु 19 डाक्टरो में से किसी भी डाक्टर के पास समय नही है कि शाम को ओपीडी मे नियमित रूप से समय देवे। जिसके कारण से दोपहर 1 बजे के बाद स्वास्थगत परेशानी होने पर मरीजो को निजी हस्पताल की ओर मजबूरी मे रूख करना पड़ता है।
वही आपातकालीन स्थिति में ही रात को डाक्टरो को आनकाल बुलाया जाता है। रूटिन मे स्वास्थगत परेशानी होने पर कोई भी डाक्टर रात्रीकालीन ड़्यूटी में नही रहता है। बताया जा रहा है कि ओपीडी मे डाक्टरो की नियमित रूप से उपस्थिति के लिये वर्षभर पूर्व बायोमेट्रिक्स मशीन लगाई गई थी किन्तु सरकारी अमले की आपसी प्रतिद्धंदिता के कारण से वह मशीन कबाड़ में पड़ी हुई है। दो सर्जन होने के बाद भी रिफर सेंटर बन गया सारंगढ़ का सरकारी अस्तपाल? इस संबंध में सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ का सरकारी अस्तपाल में डिलीवरी प्रकरण अधिक से अधिक करने के लिये पूर्व प्रशासन ने अभियान चलाया था और यहा पर प्रति माह डिलीवरी केस यानि सुरक्षित प्रसव के प्रकरण की संख्या 100 को पार कर जाती थी किन्तु 2 विशेषज्ञ सर्जन डाक्टर पदस्थ होने के बाद भी यहा पर डिलीवरी प्रकरण को बेवजह रिफर कर दिया जा रहा