





बरमकेला-चंद्रपुर मार्ग में हिचकोले खा-खा कर सफर करने के लिए मजबूर राहगीर !
गड्ढ़े और धूल से परेशान हो गये क्षेत्रवासी
सरकार के चार साल पूरे किन्तु नही बन पाया यह रोड़
बद से बदत्तर हो गया बरमकेला-चंद्रपुर रोड़,
सारंगढ़ और रायगढ़ विधानसभा में आता है यह महत्वपूर्ण रोड़
जिला बनने के बाद भी उपेक्षित है यह रोड़
सारंगढ़/बरमकेला,
छत्तीसगढ़ के नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिलांतर्गत बरमकेला जनपद पंचायत क्षेत्र के बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से कटंगपाली मार्ग वर्षों से उपेक्षित होने की वजह से सड़क की स्थिति दयनीय हो चुकी है। लोगों को इस पथ पर आवाजाही करने में काफी परेशानी होती है। जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। जिससे इस सड़क से गुजरने वाले लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। जबकि यह मार्ग दो-दो विधानसभा क्षेत्रांतर्गत समाहित है।
बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से कटंगपाली का आधा हिस्सा सारंगढ़ विधानसभा तो आधी रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। सारंगढ़ में विधायक की कुर्सी पर उत्तरी गनपत जांगड़े विराजमान है तो रायगढ़ विधानसभा सीट में प्रकाश नायक विराजमान है बावजूद इस सड़क में आवाजाही करने वाले लोग हिचकोले खाने के लिए मजबूर हैं। ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के लिए कई बार गुहार लगाई। आश्वासन तो मिला, लेकिन हुआ कुछ नहीं। ग्रामीणों के पास इंतजार करने के अलावा दूसरा विकल्प ही नहीं है। लोगों ने अधिकारियो की अनदेखी को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। इस सड़क से दो दर्जन से भी अधिक गांवों के सैकड़ों लोग रोजाना आवाजाही करते हैं। जर्जर सड़क के कारण लोगों को जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ रही है। सड़क के बीचों बीच कई जगहों पर गड्ढे निकल आए हैं। नेताओं को जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। जर्जर सड़क को लेकर किसी भी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखाई जाने की वजह से सड़क की हालत दिन प्रतिदिन जर्जर होती जा रही है। समस्या समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाने के कारण स्थानीय क्षेत्रवासियो में भारी आक्रोश पनप रहा है जो कभी भी फूट सकता है। जल्द ही जिला प्रशासन इस सड़क के लिये लंबित पड़े फाईल को स्वीकृति दिलाने के लिये विशेष प्रयास नही किया तो आने वाले समय में यह सड़क प्रमुख चुनावी मुद्दा बन जायेगा जो कि वर्तमान सत्ताधारी दल के लिये गले की हड्डी बन जायेगा।
9.3 किमी का सफर पौने घंटे में
बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से कटंगपाली तक पहुंच मार्ग की दूरी 9.3 किमी है। इतने किलोमीटर का सफर स्थानीय ग्रामीण करीब पौने घंटे में कर रहे हैं। सड़क की स्थिति जर्जर है। जिससे लोगों को आवाजाही में परेशानी उठानी पड़ती है। लोग हिचकोले खाते हुए सफर कर रहे हैं। अपनी जान हथेली पर रखकर आवाजाही करने को मजबूर हैं। कई बार सड़क निर्माण कराने के लिए आवाज उठाई गई है, लेकिन स्थानीय नेताओं के साथ अफसरों ने भी ध्यान नहीं दिया।
स्कूली छात्रों को सबसे अधिक परेशानी
कटंगपाली से बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचने का यही एक मात्र रास्ता है। कटंगपाली समेत करीब दर्जन भर गांवों का इस बीच बसेरा है। यहां के बच्चे स्कूली व कॉलेज की शिक्षा के लिए बरमकेला पहुंचते हैं। एक मात्र रास्ते होने के कारण धूल उड़ती सड़क पर आवाजाही करने के लिए छात्र मजबूर हैं। धूल की उड़ती गुब्बार के कारण स्कूली बच्चे परेशान हो रहे हैं। बावजूद इसके जिम्मेदारों को इसकी कोई परवाह नहीं है।
ओवरलोड वाहनों को खुली छूट
कटंगपाली क्षेत्र औद्योगिक एरिया है। यहां दर्जनों क्रशर उद्योग संचालित हैं। क्रशर प्लांटों में रोजाना सैकड़ों की संख्या में भारी वाहनों की आवाजाही होती है। इन वाहनों में ओवरलोड आसानी से देखा जा सकता है। इस पर न तो स्थानीय पुलिस रोक लगा पा रही है न जिला टॉस्क फोर्स समिति। परिवहन व खनिज अमला की खुलेआम मौन सहमति है। ओवरलोड वाहनों के कारण ही सड़क की स्थिति दयनीय हो चुकी है।
17 करोड़ का प्रस्ताव, नही मिल रही है मंजूरी?
बताया जा रहा है बरमकेला से कटंगपाली तक के लिये पीडब्लूडी विभाग के द्वारा लगभग 17 करोड़ रूपये का प्रस्ताव बनाकर राजधानी भेजा गया है किन्तु अभी तक अनुमति नही मिल पाई है। इस सड़क के जीर्णोद्धार के लिये कई बार फाईल चली तथा प्रसताव जिला मुख्यालय से होकर राजधानी तक जा रही है किन्तु अंतिम अनुमति की बात आती है तो कोई ना कोई कारण से इस सड़क का जीर्णोद्धार नही हो पा रहा है और स्वीकृति का काम अटक जा रहा है। इस मामले में जब पीडब्लूडी के अधिकारियो से जानकारी चाही गई तो उन्होने बताया कि वित्त विभाग से अनुमति नही मिल पा रही है। इस कारण से यह सड़क आज तक नही बन पाया है।
स्वीकृति के इंतजार मे मरम्मत कार्य भी ठप्प?
पीडब्लूडी के अधिकारियो ने इस रोड़ के जीर्णोद्धार के लिये 17 करोड़ रूपये के प्राक्कलन बनाकर स्वीकृति के लिये मुख्यालय भेजा है जिसके कारण से यहा पर इस सड़क का मेंटनेंस के लिये एक रूपये भी खर्च नही कर रहे है। पीडब्लूडी के अधिकारी मानकर चल रहे है कि इस सड़क को मंजूरी मिल जायेगा जो मेंटनेंस के नाम पर जो खर्च यहा पर होगा उसे दूसरे सड़क पर करेगें। किन्तु बजट के अभाव मे सड़क के जीर्णोद्धार के लिये स्वीकृति नही हो पा रही है और मरम्मत तक का काम नही हो पा रहा है। ऐसे में स़ड़क जर्जर से भी अति जर्जर हो गया है। स्थिति इतनी खराब है कि इस रोड़ पर आवागमन करना सबसे बड़ी परेशानी हो गई है।