
व्यापाक बारिश और देर से शुरू किया गया तैयारी से गढ़-उत्सव होगा फीका-फीका?
गढ़ स्थल अभी भी कीचड़ और जलभराव की समस्या से जुझ़ रहा?
नवरात्र प्रारंभ होने के बाद शुरू कर रहे है तैयारी,
प्रतिदिन की बारिश से तैयारी शून्य,
पूरा क्षेत्र कीचड़ और जलभराव से लबालब,
छोटा होते जा रहा है गढ़? सिमटजा जा रहा है गढ़,
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
पूरे देश में अनोखा रूप से मनाया जाने वाला गढ़ उत्सव इस बाद फीका रूप मनाया जायेगा। लगातार हो रही बारिश और देर से शुरू किया गया तैयारी के कारण से प्रसिद्ध गढ़-उत्सव में पब्लिक को खड़े होने की जगह मिलना मुश्किल दिख रहा है। लगभग तीन माह से इस परिसर मे भराया हुआ पानी एक पुलिया के जाम होने के कारण से अटका हुआ था। ऐसे में अभी भी कीचड़ और जलभराव से गढ़-उत्सव सिर्फ औपचारिकता रूप से संपन्न होगा।
सारंगढ़ में विश्व का अनोखा दशहरा उत्सव में गढ़-विच्छेदन किया जाता है। यह
कार्यक्रम को आज भी राजपरिवार के द्वारा ही आयोजित किया जाता है। इसकी प्राचीनता को देखते हुए इसके संरक्षण के लिये इसे सांस्कृतिक विभाग छत्तीसगढ़ शासन को अपने हाथ मे लेकर जिला प्रशासन के माध्यम से और भी ऐतिहासिक और गौरवशाली रूप से इस त्यौहार को मनाये जाना चाहिये किन्तु यहा पर ऐसा नही हो रहा है और गढ़-उत्सव सिर्फ औपचारिक उत्सव बनकर रहने वाला है।इसका मुख्य कारण यहा की तैयारी है। नवरात्र प्रारंभ होने के बाद ही इस
ग़ढ़-विच्छेदन उत्सव का प्रमुख गढ़ को संवारने का काम शुरू किया गया किन्तु प्रतिदिन हो रही बारिश के कारण से यहा काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गढ़ मैदान जो कि लगभग 2 एकड़ से अधिक का है यह स्थान गत तीन माह से पानी में डूबा हुआ था कारण यहा पर पानी निकासी के लिये बनाया गया पुलिया जाम था
जिससे पानी निकासी नही हो पाई।अभी मात्र एक पंप के सहारे पानी को निकासी किया जा रहा है। वही गढ़ यानि मिट्टी का टीला रूपी गढ़ लगातार छोटा होते जा रहा है। वही इस गढ़ को देखने के लिये बना मंच भी जर्जर हो गया है इस मंच पर आज भी सारंगढ़ राजपरिवार के राजा का दरबार सजता है और उनके चिरपरिचित लोगो का परिवार यहा पर आसन ग्रहण करता है। इसके अलावा यह मंच महज 100 लोगो के बैठक क्षमता का है किन्तु किसी तरह से दो गुना लोग यहा पर समा जाते है। इस गढ़ को देखने के लिये 25 हजार से अधिक की भीड़ मैदान पर सिर्फ खड़ी होती है। अनुशासन और समझ के बल पर यहा पर हैवी क्राऊड के बीच सफल मैनेजमेंट हो जाता है किन्तु इस प्रसिद्ध गढ़ उत्सव को संरक्षित करने के लिये छत्तीसगढ़ शासन अब भी पहल नही कर रहा है। जिसके कारण से इस बार का गढ़ कीचड़ और जलभराव की समस्या से लड़ते-लड़ते सिर्फ औपचारिकता भरा काम को ही पूरा करेगा।